बिक्रम प्रताप सिंह
कुछ जीतने के लिए कुछ हारना भी पड़ता है और हार कर जीतने वाले को बाजीगर कहते हैं. बाजीगर फिल्म का यह डॉयलॉग वर्ल्ड कप में टॉस को लेकर भारतीय टीम पर पूरी तरह फिट बैठती है. वल्र्ड कप के कई महत्वपूर्ण मैचों में टॉस हारना भारतीय टीम के लिए शुभ साबित हुआ है.
भारत ने अब तक दो बार वर्ल्ड कप खिताब जीता है. पहली बार 1983 में और दूसरी बार 2011 में. संयोग देखिये कि दोनों बार फाइनल मुकाबले में भारतीय कप्तान टॉस हार गये थे. भारत 2003 में भी फाइनल में पहुंचा था. तब भारतीय कप्तान सौरभ गांगुली ने टॉस जीता था लेकिन टीम को शर्मनाक हार का सामना करना पड़ा था.
टॉस गंवाने पर जीत और हार का औसत 2.09
भारतीय टीम अब तक हुए वर्ल्ड कप में कुल 35 मैचों में टॉस हारी है. इन 35 मैचों में भारतीय टीम 23 मैच जीतने में सफल रही, जबकि उसे 11 में हार का सामना करना पड़ा. इस तरह वल्र्ड कप में टॉस गंवाने पर भारतीय टीम की जीत और हार का औसत 2.09 है. भारतीय टीम कुल 32 मैचों में टॉस जीतने में सफल रही है. इनमें भारत को 16 मैचों में जीत मिली, जबकि उसे 15 मैचों में हार का सामना करना पड़ा. इस तरह इन मैचों में भारत की जीत और हार का औसत महज 1.066 है. इससे जाहिर है कि टॉस हारने पर भारतीय जीत की उम्मीद दोगुनी हो जाती है.
जब टॉस जीत कर मिली दिल तोड़नेवाली हार
1987 विरुद्ध इंगलैंड
1987 वल्र्ड कप के सेमीफाइनल में मुंबई में भारत का सामना इंगलैंड से हुआ था. भारत ने टॉस जीतकर इंगलैंड को पहले बल्लेबाजी के लिए आमंत्रित किया. इंगलैंड ने ग्राहम गूच (115) के शतक की बदौलत छह विकेट पर 254 रन बनाये. जवाब में भारतीय टीम 45.3 ओवरों में 219 रनों पर सिमट गयी. मोहम्मद अजहरुद्दीन ने सर्वाधिक 64 रन बनाये लेकिन यह टीम के लिए काफी साबित नहीं हुई और भारत को घरेलू दर्शकों के सामने हार का सामना करना पड़ा.
1996 विरुद्ध श्रीलंका
1996 वर्ल्ड कप में भारत ने टॉस जीतकर श्रीलंका को पहले बल्लेबाजी के लिए बुलाया. श्रीलंका ने दो विकेट जल्दी गंवाने के बावजूद डिसिल्वा की शानदार 66 रनों की पारी की बदौलत 251 रन बनाये. जवाब में भारतीय टीम एक समय एक विकेट पर 98 रन बना चुकी थी. यहां सचिन 65 रन बनाकर आउट हुए और कुछ ही देर में भारत का स्कोर आठ विकेट पर 120 रन हो गया. दर्शकों ने उपद्रव शुरू कर दिया और मैच रेफरी क्लाइव लॉयड ने श्रीलंकाई टीम को विजेता घोषित कर दिया.

