भारतीय कप्तान महेंद्र सिंह धौनी ने क्रिकेट जगत में दस वर्ष पूरे कर लिये हैं और कप्तान के रूप में सात वर्ष. इन दस वर्ष में महेंद्र सिंह धौनी ने भारतीय क्रिकेट को कई बार गौरवान्वित किया है. कई बार ऐसे अवसर भी आये, जब यह कहा गया कि धौनी से बेहतर कप्तान टीम इंडिया को आजतक मिला ही नहीं.
धौनी की रणनीति और मैदान पर परिस्थितियों के अनुसार निर्णय लेने की क्षमता उन्हें भारतीय क्रिकेट के अन्य कप्तानों से अलग करती है. यह तो हुई महेंद्र सिंह धौनी की खासियत, लेकिन चंद बातें ऐसी भी हैं, जिनके लिए धौनी की काफी आलोचना की जाती है और जिसे धौनी के कैरियर का स्याह पक्ष भी माना जा सकता है.
महेंद्र सिंह धौनी के नाम एक अद्भुत रिकॉर्ड है कि उनकी कप्तानी में भारतीय क्रिकेट टीम ने विदेशी धरती पर सर्वाधिक मैच गंवाये हैं. आंकड़ों की बात करें, तो धौनी की कप्तानी में भारतीय टीम ने वर्ष 2008 से 2014 तक 59 मैच खेले हैं, जिनमें से 27 मैच भारत ने जीता है और 18 हारा है, जबकि 14 मैच ड्रा हुए हैं. वहीं विदेशी धरती पर धौनी की कप्तानी में 26 मैच खेले गये हैं और जिनमें से मात्र छह मैच भारत ने जीता है और 12 मैच हारे हैं, जबकि आठ मैच ड्रा रहा है.
वहीं सौरभ गांगुली जिन्हें विदेशी धरती पर भारत का सबसे सफल कप्तान माना जाता है, उन्होंने 28 मैच खेलकर 11 मैच जीते थे और 10 हारे थे, सात मैच ड्रा रहा था. इस दृष्टिकोण से अगर देखा जाये, तो यह माना जा सकता है कि अगर धौनी कोशिश करें, तो वे दादा की बराबरी शायद न कर सकें, लेकिन हार के अंतर को कम जरूर कर सकते हैं.
अभी धौनी की कप्तानी में ऑस्ट्रेलिया में और दो मैच खेला जाना है. अगर इन दोनों मैचों में भारत ऑस्ट्रेलिया पर जीत दर्ज कर दे, तो धौनी के माथे का कलंक कुछ हद तक धुल सकता है.जरूरत इस बात की धौनी अपने कूल माइंड से कल से शुरू होने वाले मैच के लिए रणनीति बनाये और कंगारुओं को पटखनी दें.
वैसे भी अगर पिछले दो मैचों में भारत के प्रदर्शन पर गौर करें, तो यह कहा जा सकता है कि पहली पारी में तो टीम अच्छा खेली, लेकिन दूसरी पारी में वह मैच को संभाल नहीं पायी. अगर इस मोर्चे पर हम टीम के प्रदर्शन में सुधार ले आयें, तो कहना ना होगा कि टीम इंडिया विदेशी धरती पर जीत दर्ज कर सकेगी.