दिलीप बलंवत वेंगसरकर जिन्हें हम दिलीप वेंगसरकर के नाम से ज्यादा जानते हैं, उन्हें बीसीसीआई ने लाइफ टाइम एचीवमेंट पुरस्कार से नवाजा है. पुरस्कार पाने के बाद दिलीप वेंगसरकर ने कहा कि वे गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. इस पुरस्कार की घोषणा बीसीसीआई ने कुछ ही दिनों पहले की थी. बीसीसीआई ने गेंदबाज भुवनेश्वर कुमार को सर्वश्रेष्ठ अंतरराष्ट्रीय क्रिकेटर का पुरस्कार भी दिया है.
दिलीप वेंगसरकर को ड्राइव शॉट का विशेषज्ञ माना जाता था और ऐसा माना जाता था कि ड्राइव शॉट में उनके आक्रमण से बच पाना मुश्किल है. दिलीप वेंगसरकर ने अपने कैरियर की शुरुआत न्यूजीलैंड के खिलाफ टेस्ट में 24 जनवरी 1976 में की थी. एकदिवसीय मैच में भी उनका पर्दापण न्यूजीलैंड के खिलाफ 21 फरवरी 1976 में हुआ था.
वेंगसरकर ने 1991-1992 में क्रिकेट के मैदान को अलविदा कह दिया, लेकिन वे क्रिकेट जगत से जुड़े रहे. उन्होंने खेल प्रशासक के रूप में अहम भूमिका निभाई. उन्होंने नयी प्रतिभा को चुनने के लिए क्रिकेट एकडमी की स्थापना की. साथ ही वे बीसीसीआई में सलेक्टर के पद पर भी रहे. उन्हें मैच रेफ्ररी बनाने की कोशिश भी हुई थी, लेकिन फिर यह प्रस्ताव पास नहीं हो पाया. दिलीप वेंगसरकर ने अपने खेल जीवन में 116 टेस्ट और 129 एकदिवसीय मैच खेले.
टेस्ट कैरियर में उन्होंने 17 सेंचुरी और 35 अर्धशतक बनायें, जबकि एकदिवसीय क्रिकेट में उन्होंने एक शतक और 23 अर्धशतक बनाये. दिलीप वेंगसरकर ने ओपनर बैट्समैन के रूप में अपने कैरियर की शुरुआत की थी, लेकिन उनकी पहचान मिडिल ऑर्डर बैट्समैन के रूप में ज्यादा बनी. दिलीप वेंगसरकर ने अपने टेस्ट कैरियर में सर्वाधिक 166 रन बनाये.
दिलीप वेंगसरकर के कैरियर में उनका लॉर्ड्स के मैदान पर 1986 में बनाया गया शतक अविस्मरणीय है. वेंगसरकर ने उस सीरिज में तीन शतक जड़े और भारत को इंग्लैंड के खिलाफ सीरिज जीतने में मदद की. उन्हें उस सीरिज में मैन ऑफ द सीरिज भी चुना गया था. दिलीप वेंगसरकर 1987 में भारतीय क्रिकेट टीम के कप्तान भी बने थे. वेंगसरकर भारतीय क्रिकेट के उन खिलाडि़यों में शुमार हैं, जिन्हें देश हमेशा याद रखेगा.