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कोर्ट ने पूछा, IPL प्रकरण में मयप्पन की भूमिका से क्या श्रीनिवासन को अलग रखा जा सकता है?

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सवाल किया कि आईपीएल-6 में सट्टेबाजी और स्‍पॉट फिक्सिंग कांड में क्या श्रीनिवासन को बीसीसीआई के प्रमुख के पद पर काम करने की अनुमति दी जा सकती है यदि उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन की इस सारे कांड में संलिप्तता का पता लगता है. न्यायालय के इस सवाल के बीच […]

नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने सवाल किया कि आईपीएल-6 में सट्टेबाजी और स्‍पॉट फिक्सिंग कांड में क्या श्रीनिवासन को बीसीसीआई के प्रमुख के पद पर काम करने की अनुमति दी जा सकती है यदि उनके दामाद गुरुनाथ मयप्पन की इस सारे कांड में संलिप्तता का पता लगता है.

न्यायालय के इस सवाल के बीच क्रिकेट प्रशासक एन श्रीनिवासन का भाग्य अभी भी अधर में लटका है. न्यायमूर्ति तीरथ सिंह ठाकुर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि वह न्यायमूर्ति मुकुल मुद्गल समिति की रिपोर्ट 14 नवंबर को खोलेगी. न्यायालय ने कहा कि इसमें कोई परेशानी नहीं होगी यदि रिपोर्ट में श्रीनिवासन और उनके रिश्तेदार के खिलाफ कुछ नहीं मिला लेकिन उस स्थिति में क्या होगा यदि उनके रिश्तेदार के खिलाफ तथ्य मिले.

इस सवाल के जवाब में श्रीनिवासन की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि यदि उनके खिलाफ कुछ नहीं मिलता है तो उन्हें बीसीसीआई के अध्यक्ष के रुप में वापस आने की अनुमति दी जानी चाहिए और उनके रिश्तेदार के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए यदि रिपोर्ट में उसके बारे में प्रतिकूल निष्कर्ष मिलता है.

सिब्बल ने कहा, मैं (श्रीनिवासन) रिपोर्ट को जस का तस स्वीकार करुंगा और इसके निष्कर्ष पर सवाल नहीं करुंगा. क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बिहार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि बीसीसीआई प्रमुख ने अपने दामाद की भूमिका पर पर्दा डालने का प्रयास किया था और इसलिए उन्हें बोर्ड के अध्यक्ष पद का चुनाव लडने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए. इसी संगठन की याचिका पर शीर्ष अदालत ने इस प्रकरण में श्रीनिवासन और 12 अन्य खिलाडियों के खिलाफ जांच का आदेश दिया था.

साल्वे ने कहा कि समिति की जांच रिपोर्ट सार्वजनिक की जानी चाहिए लेकिन सिब्बल ने इसका विरोध करते हुये कहा कि खेल के हित में पूरी रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की जानी चाहिए. मुद्गल समिति की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजू रामचंद्रन ने कहा कि 35 पेज की रिपोर्ट में किसी खिलाडी के नाम का जिक्र नहीं है और उन्हें संख्या दी गयी है जिसके बारे में अन्य रिपोर्ट में उल्लेख है.

न्यायालय ने सभी पक्षों को सुनने के बाद इसकी सुनवाई 14 नवंबर के लिये स्थगित कर दी. न्यायालय ने बंबई उच्च न्यायालय में लंबित बीसीसीआई के अध्यक्ष पद का चुनाव लडने के लिये बीसीसीआई के नियमों के संशोधन की वैधानिकता को चुनौती देने वाली याचिका पर रोक लगाने का निर्देश देने से इंकार कर दिया.

शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय से कहा कि वह अपनी सुनवाई सिर्फ नियमों की वैधानिकता तक ही सीमित रखे. न्यायालय ने एक सितंबर को श्रीनिवासन को बीसीसीआई के अध्यक्ष पद पर बहाल करने का अनुरोध यह कहते हुये ठुकरा दिया था कि समिति से क्लीन चिट मिलने तक उन्हें पदभार ग्रहण करने की अनुमति नहीं मिल सकती है.

न्यायालय ने कहा था कि जांच जारी है और श्रीनिवासन को बीसीसीआई के अध्यक्ष के रुप में काम करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है. न्यायमूर्ति मुद्गल समिति ने इस प्रकरण में श्रीनिवासन और 12 प्रमुख खिलाडियों की भूमिका की जांच करके 29 अगस्त को सीलबंद लिफाफे में अपनी अंतरिम रिपोर्ट दाखिल की थी.

Prabhat Khabar Digital Desk
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