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IPL स्‍पॉट फिक्सिंग मामले में सुनवाई टली, श्रीनिवासन को शुक्रवार तक राहत

नयी दिल्ली : इंटरनेशनल क्रिकेट कौंसिल के चेयरमैन एन श्रीनिवासन को शुक्रवार तक राहत मिल गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएल सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग मामले में सुनवाई टल गयी है. अब इस मामले में शुक्रवार को फैसला आना है. सुप्रीम कोर्ट ने मुद्गल समिति के द्वारा दायर रिपोर्ट पर कहा कि इस मामले में […]

नयी दिल्ली : इंटरनेशनल क्रिकेट कौंसिल के चेयरमैन एन श्रीनिवासन को शुक्रवार तक राहत मिल गयी है. सुप्रीम कोर्ट ने आईपीएल सट्टेबाजी और स्पॉट फिक्सिंग मामले में सुनवाई टल गयी है. अब इस मामले में शुक्रवार को फैसला आना है.

सुप्रीम कोर्ट ने मुद्गल समिति के द्वारा दायर रिपोर्ट पर कहा कि इस मामले में कुछ समय और चाहिए. कोर्ट ने कहा कि रिपोर्ट पढ़ने के लिए कुछ वक्‍त और चाहिए. ज्ञात हो कि मुद्गल समिति ने 3 नवंबर को सुप्रीम कोर्ट में अंतिम रिपोर्ट दाखिल की थी.

गौरतलब हो कि 3 वनंबर को समिति की ओर से एक सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट सुप्रीम कोर्ट को जमा किया गया. मुकुल मुद्गल की अध्यक्षता में बनी कमेटी में पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली भी शामिल हैं. इस कमेटी ने फरवरी में कोर्ट को 13 लोगों के नाम दिए थे जिनके खिलाफ आगे जांच करने की जरूरत थी. इस लिस्ट में एक नाम एन श्रीनिवासन का भी था जिसके बाद कोर्ट ने पैनल से उनके खिलाफ भी जांच करने को कहा था.

न्यायमूर्ति मुदगल ने कहा, यह उच्चतम न्यायालय को तय करना है कि हमारा काम संतोषजनक रहा या नहीं. हमने आदेश का पालन किया और अच्छा काम किया. रिपोर्ट अब न्यायालय के पास है और उसे भावी कार्रवाई पर फैसला करना है.

उन्होंने यह भी कहा कि समिति के सदस्यों पर जांच के दौरान किसी तरह का दबाव नहीं था. उन्होंने कहा, हमने अपना काम कर दिया है और अब इस मसले पर उच्चतम न्यायालय को न्याय करना है. न्यायालय ने एक सितंबर को बीसीसीआइ अध्यक्ष के पद पर बहाली की श्रीनिवासन की दलील यह कहकर खारिज कर दी थी कि समिति से क्लीन चिट मिलने तक वह पद नहीं संभाल सकते.

पीठ ने कहा था कि मामले की जांच चल रही है लिहाजा श्रीनिवासन बोर्ड अध्यक्ष के रुप में काम नहीं कर सकते. न्यायालय ने जांच की धीमी गति पर नाराजगी जताते हुए समिति को दो महीने के भीतर अपना काम पूरा करने का निर्देश दिया था और उसे श्रीनिवासन तथा अन्य पदाधिकारियों के खिलाफ अंतरिम रिपोर्ट जमा करने की अनुमति भी दी थी.

इस मामले में श्रीनिवासन और 12 प्रमुख खिलाडियों के खिलाफ जांच कर रही मुद्गल समिति ने 29 अगस्त को सीलबंद लिफाफे में अंतरिम रिपोर्ट जमा की थी. उच्चतम न्यायालय ने 16 मई को न्यायमूर्ति मुद्गल समिति को इस मामले में श्रीनिवासन और 12 खिलाडियों के खिलाफ जांच करके अगस्त के आखिर तक रिपोर्ट जमा करने के लिये कहा था. उसने अपनी समिति द्वारा मामले की जांच कराने के बीसीसीआई के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था. मुद्गल समिति ने अपनी प्रारंभिक रिपोर्ट में श्रीनिवासन और 12 क्रिकेटरों के नाम लिये थे. मुद्गल के अलावा समिति में अतिरिक्त सालिसीटर जनरल एल नागेश्वर राव और अधिवक्ता निलय दत्ता भी हैं.

एन श्रीनिवासन के दामान गुरुनाथ मयप्पन पर यह आरोप लगा था कि वे सट्टेबाजी में शामिल है, जिसके बाद से श्रीनिवासन के बीसीसीआई अध्यक्ष पद पर बने रहने को लेकर विवाद शुरू हो गया था और स्थिति यहां तक पहुंच गयी थी कि श्रीनिवासन को अपना कार्यभार जगमोहन डालमिया को सौंपना पड़ा था. उस वक्त उनकी भूमिका पर सवाल उठाये गये थे.

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