चंडीगढ़ : इंग्लैंड में चल रहे आइसीसी महिला वर्ल्ड कप में भारतीय टीम को फाइनल में पहुंचाने वाली धुरंधर बल्लेबाज हरमनप्रीत कौर अगर अपने पिता की सुनतीं, तो आज हम उन्हें क्रिकेट पिच नहीं, बल्कि एस्ट्रोटर्फ पर हॉकी खेलते देख रहे होते.
हरमनप्रीत ने बचपन में ही न सिर्फ हॉकी छोड़ बल्ला थामने का फैसला किया, बल्कि आसपड़ोस के लड़कों के साथ ही क्रिकेट खेलना शुरू किया, क्योंकि लड़कियां क्रिकेट खेलती ही नही थीं. आज पंजाब के मोगा जिले में उनके घर के फोन की घंटियां थमने का नाम ही नहीं ले रहीं, जिस पर हरमनप्रीत के चाहनेवाले उनके माता-पिता को बधाइयां देने के लिए तांता लगाये हुए हैं.