Diwali 2025: इस साल दिवाली 20 अक्टूबर को मनाई जाएगी. हर वर्ष कार्तिक महीने की अमावस्या को यह पावन त्यौहार होता है. इस दिन मां लक्ष्मी और भगवान गणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है. ध्यान देने वाली बात यह है कि अधिकतर देवताओं को उनकी देवी के साथ ही आराधित किया जाता है. लेकिन प्रश्न यह उठता है कि लक्ष्मी जी के साथ भगवान विष्णु के अलावा गणेश जी की पूजा क्यों अनिवार्य है और क्यों मां लक्ष्मी की मूर्ति हमेशा गणेश जी के दाहिनी तरफ रखी जाती है.
इसलिए होती है मां लक्ष्मी के साथ गणेश जी की पूजा
पुराणों में एक कहानी है कि लक्ष्मी जी को यह अहसास हुआ कि लोग केवल धन की प्राप्ति के लिए उनकी आराधना करते हैं. इस अहंकार को देखकर भगवान विष्णु ने उन्हें समझाया कि धन की देवी होने के बावजूद भी उनका जीवन अधूरा है. कारण पूछा तो विष्णु जी ने कहा कि स्त्री तब तक पूरी नहीं होती जब तक उसे मां बनने का अनुभव न हो. लक्ष्मी जी इस बात से दुखी हुईं और उन्होंने माता पार्वती से सलाह ली. उन्होंने पार्वती से गणेश जी को दत्तक पुत्र रूप में देने का अनुरोध किया. इस पर लक्ष्मी जी ने वरदान दिया कि जहां भी उनकी पूजा होगी, वहां गणेश जी की भी पूजा अनिवार्य होगी. तभी से दीपावली पर लक्ष्मी जी और गणेश जी की पूजा की परंपरा शुरू हुई.
इस ओर रखें गणेश जी की मूर्ति
ज्योतिष के अनुसार माता लक्ष्मी हमेशा अपने पुत्र गणेश जी के दाहिनी ओर विराजती हैं. इसलिए गणेश जी की मूर्ति माता की मूर्ति के बायीं ओर रखनी चाहिए.
गणेश जी के साथ कौन-कौन मौजूद रहते हैं?
गणेश जी के साथ उनकी पत्नी रिद्धि और सिद्धि भी विराजती हैं, जो उनके पुत्र शुभ और लाभ के साथ आते हैं.
माता लक्ष्मी की मूर्ति गणेश जी के किस ओर रखनी चाहिए?
माता लक्ष्मी हमेशा गणेश जी के दाहिनी ओर विराजित होती हैं. इसलिए गणेश जी की मूर्ति माता लक्ष्मी की बायीं ओर रखनी चाहिए.
रिद्धि और सिद्धि कौन हैं?
रिद्धि और सिद्धि ब्रह्माजी की पुत्रियां मानी जाती हैं और ये गणेश जी के साथ घर में समृद्धि और शुभता लाती हैं.
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Disclaimer: यहां दी गई जानकारी केवल मान्यताओं और परंपरागत जानकारियों पर आधारित है. प्रभात खबर किसी भी तरह की मान्यता या जानकारी की पुष्टि नहीं करता है.

