Vishwakarma Puja 2025: ज्योतिष शास्त्र कहता है कि ग्रह-नक्षत्रों की स्थिति हर दिन अलग असर डालती है. कुछ दिन ऐसे भी होते हैं जिन्हें हर साल विशेष महत्व के कारण मनाया जाता है. इन्हीं में से एक है विश्वकर्मा पूजा. यह पर्व पूरे देश में श्रद्धा और उत्साह के साथ मनाया जाता है. खासकर कारीगरों, मजदूरों और निर्माण कार्य से जुड़े लोगों के लिए यह दिन अत्यंत शुभ और महत्वपूर्ण माना जाता है.
विश्वकर्मा पूजा 2025: तिथि और समय( Vishwakarma Puja Tithi and Time)
- पर्व की तिथि: 17 सितंबर 2025 (बुधवार)
- संक्रांति का समय: सुबह 01:55 बजे
सूर्योदय के समय पूजा करना सबसे शुभ माना गया है.
विश्वकर्मा पूजा 2025 करने की सही विधि(Vishwakarma Puja Vidhi)
- सुबह जल्दी उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- अपने औजार, मशीन, वाहन या कार्यस्थल को अच्छी तरह साफ करें.
- पूजा स्थल पर कलश, फूल, माला, चंदन, धूप, अक्षत, सुपारी और पीली सरसों रखें.
- भगवान श्री हरि का स्मरण कर उन्हें फूल अर्पित करें.
- भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा के सामने बैठकर पूजा आरंभ करें.
विश्वकर्मा पूजा 2025 पर नीचे दिए गए मंत्र का जाप करें
- “ऊं आधार शक्तपे नमः, ऊं कूमयि नमः, ऊं अनंतम नमः, ऊं पृथिव्यै नमः, ऊं श्री सृष्टतनया सर्वसिद्धया विश्वकर्माया नमो नमः.”
- मंत्र के बाद अक्षत और फूल भगवान को अर्पित करें.
- पीली सरसों की चार छोटी पोटलियां बनाकर चारों दिशाओं में बांधें.
- पूजा के बाद आरती करें और प्रसाद बांटें.
- अगले दिन प्रतिमा का विसर्जन करें.
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विश्वकर्मा पूजा का धार्मिक महत्व(Significance of Vishwakarma Puja)
हिंदू मान्यताओं के अनुसार भगवान विश्वकर्मा देवताओं के शिल्पकार और निर्माता हैं. उन्होंने द्वारका नगरी, इंद्रलोक, पांडवों का इंद्रप्रस्थ, भगवान शिव का त्रिशूल, भगवान विष्णु का सुदर्शन चक्र और कई रथ व महल बनाए. इसलिए इस दिन लोग अपने कार्यस्थल और औजारों को पवित्र करके भगवान विश्वकर्मा से तरक्की, सफलता और सुरक्षा की कामना करते हैं.

