Vat Savitri Vrat 2025: भारतीय संस्कृति में व्रत-त्योहारों का बहुत बड़ा महत्व होता है, और वट सावित्री व्रत उनमें से एक सबसे खास पर्व माना जाता है. यह दिन हर सुहागन महिला के लिए आस्था, प्रेम और समर्पण का प्रतीक होता है. सावित्री जैसी दृढ़ नारी ने अपने पति को यमराज से भी छीन लिया था उसी निष्ठा के साथ महिलाएं इस दिन कठिन उपवास रखती हैं और वट वृक्ष की पूजा करती हैं.
इन बातों का रखें खास ध्यान
वट सावित्री व्रत के दिन महिलाओं को कुछ खास नियमों का पालन करना चाहिए, जिससे उनका व्रत पूर्ण फलदायक और पुण्यदायक बन सके:
- क्रोध और नकारात्मकता से बचें – मन में शांति रखें, किसी से झगड़ा न करें.
- झूठ बोलने से बचें – इस दिन सच बोलना और सत्य के मार्ग पर चलना बहुत जरूरी है.
- सबसे प्रेम से पेश आएं – किसी का अपमान न करें, सबको सम्मान दें.
- निर्जला व्रत में सावधानी – यदि निर्जला व्रत कर रही हैं तो भारी काम करने से बचें.
- शारीरिक और मानसिक शुद्धता बनाए रखें – मन और शरीर दोनों को पवित्र रखें.
- पूजा के बिना व्रत का पारण न करें – विधिपूर्वक पूजा करना अनिवार्य है.
- मासिक धर्म में व्रत न रखें – शास्त्रों के अनुसार यह व्रत उस स्थिति में नहीं करना चाहिए.
- तामसिक भोजन से परहेज करें – इस दिन सात्विक भोजन ही व्रत के बाद ग्रहण करें.
वट सावित्री व्रत का धार्मिक महत्व
यह व्रत सिर्फ एक धार्मिक परंपरा नहीं, बल्कि नारी शक्ति और समर्पण की मिसाल है. मान्यता है कि इस दिन सावित्री ने अपने मृत पति सत्यवान को यमराज से पुनः जीवित कर लिया था. इसी आस्था से महिलाएं यह व्रत करती हैं, जिससे उन्हें अखंड सौभाग्य, पति की दीर्घायु और संतान सुख की प्राप्ति होती है. वट वृक्ष की पूजा करने से त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है. यह व्रत महिलाओं के आत्मबल और श्रद्धा को दर्शाता है.
वट सावित्री व्रत 2025 में कब रखा जाएगा?
इस साल वट सावित्री व्रत 26 मई 2025 (सोमवार) को रखा जाएगा. पंचांग के अनुसार अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 12:11 बजे शुरू होगी और 27 मई को सुबह 8:31 बजे समाप्त होगी. चूंकि अमावस्या का प्रभाव 26 मई को दिन में रहेगा, इसलिए यही दिन व्रत के लिए उपयुक्त है. इसी दिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष की पूजा करेंगी और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करेंगी.
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