Vastu Tips: भवन का निर्माण करते समय भोजन कक्ष की दिशा का निर्धारण करना आवश्यक होता है. भोजन कक्ष का सही दिशा में होना अत्यंत महत्वपूर्ण है. हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र का विशेष महत्व है, क्योंकि जब कोई नया मकान बनाता है या खरीदता है, तब वह वास्तु के सिद्धांतों का ध्यान रखता है. यदि मकान का वास्तु सही नहीं है, तो जीवन भर की मेहनत का फल व्यर्थ हो सकता है और विभिन्न प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है. इसलिए, वास्तु शास्त्र के नियमों का पालन करना अनिवार्य है. वास्तु शास्त्र के अनुसार, मकान की दिशा के साथ-साथ शयनकक्ष, अध्ययन कक्ष, स्नानघर और पूजा घर का होना भी महत्वपूर्ण माना जाता है. आज मैं आपको एक विशेष जानकारी देना चाहता हूँ, जो भोजन कक्ष से संबंधित है. भोजन कक्ष वह स्थान है जहाँ भोजन किया जाता है, चाहे वह घर हो या होटल, इसका प्रभाव हर जगह समान होता है. वास्तु शास्त्र में भोजन कक्ष का विशेष महत्व है, क्योंकि यह परिवार के सदस्यों को एक साथ लाने में सहायक होता है.
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भोजन कक्ष की उचित दिशा
- आधुनिक भवनों में भोजन कक्ष के लिए पश्चिम दिशा को सबसे उपयुक्त माना जाता है.
- भोजन कक्ष की व्यवस्था रसोईघर के पश्चिम दिशा की ओर करना अत्यंत शुभ माना जाता है.
- यदि मकान में भोजन कक्ष पश्चिम दिशा के अलावा किसी अन्य दिशा में स्थित है, तो खाने के समय पश्चिम दिशा की ओर मुंह करके भोजन करना चाहिए.
- रसोईघर के भीतर भोजन करने की व्यवस्था भी रसोईघर के पश्चिम दिशा में रखनी चाहिए.
- भोजन कक्ष में वासबेसिन को पूर्व दिशा में और फ्रिज एवं तैयार सामग्री को पश्चिम दिशा में रखना चाहिए.
भोजन कक्ष के लिए शुभ रंग
वास्तु शास्त्र के अनुसार, भोजन कक्ष को नारंगी रंग से पेंट करना बहुत शुभ माना जाता है. इसके अतिरिक्त, हरा, क्रीम और हल्का गुलाबी रंग भी वास्तु के अनुसार उत्तम होते हैं, जिससे परिवार में सुख और समृद्धि प्राप्त होती है तथा धन का लाभ होता है.
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ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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