Sun Transit in Pisces 2025: सूर्य का राशि परिवर्तन हर 30 दिन में होता है. वर्तमान में सूर्य शनि की राशि कुम्भ में स्थित हैं, लेकिन 14 मार्च 2025 को वे मीन राशि में प्रवेश करेंगे. इस गोचर के दौरान मीन राशि में कई अन्य ग्रह भी एक साथ उपस्थित होंगे, जिससे सूर्य का युति बनेगा. मीन राशि के स्वामी देवगुरु वृहस्पति हैं, और इस राशि में सूर्य का गोचर शुभ नहीं माना जाता है. सूर्य को पिता का कारक ग्रह माना जाता है, और यह व्यक्ति के जीवन में उन्नति और राजयोग प्रदान करता है. सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और जन्मकुंडली में दशम भाव को देखता है, जो व्यक्ति को स्थायी नौकरी में नेतृत्व प्रदान करता है. सूर्य मेष राशि में उच्च और तुला राशि में नीच के होते हैं.
मीन संक्रान्ति का महत्व
साल में कुल बारह संक्रांति होती हैं, जिसमें सूर्य हर 30 दिन में अपनी राशि बदलते हैं और राशि चक्र में मेष से मीन राशि तक यात्रा करते हैं. जब सूर्य कुम्भ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तो इसे मीन संक्रांति कहा जाता है. ज्योतिष के अनुसार, जब सूर्य वृहस्पति की राशि में प्रवेश करते हैं, तो उनका प्रभाव कम हो जाता है. इस कारण लोग मीन संक्रांति के समय शुभ कार्य करने से बचते हैं, क्योंकि ग्रहों के राजा सूर्य उस समय उपस्थित नहीं होते हैं. सभी शुभ कार्यों में वृहस्पति और सूर्य की पूजा करना अत्यंत आवश्यक होता है, क्योंकि इस समय दोनों ग्रह व्यस्त रहते हैं, अर्थात् सूर्य वृहस्पति की सेवा में लगे रहते हैं.
सूर्य का मीन राशि में गोचर से इन जातकों के करियर में आएगा बड़ा बदलाव
वैदिक पंचांग के अनुसार, जब सूर्य कुम्भ राशि से निकलकर मीन राशि में प्रवेश करते हैं, तब खरमास की शुरुआत होती है. वर्तमान में सूर्य कुम्भ राशि में हैं और 14 मार्च 2025 को संध्या 06 बजकर 40 मिनट पर मीन राशि में गोचर करेंगे.
स्वास्थ्य पर प्रभाव
जब सूर्य मीन राशि में गोचर करते हैं, तो उनका प्रभाव कम हो जाता है, जिससे इस अवधि में व्यक्तियों के शरीर में संक्रमण की संभावना बढ़ जाती है. इससे स्किन से संबंधित समस्याएँ उत्पन्न हो सकती हैं, जैसे खुजली, दाग, रक्त संक्रमण, और इस माह में चेचक जैसी संक्रामक बीमारियाँ भी बढ़ सकती हैं.
मीन संक्रांति के दौरान क्या करें
- मीन संक्रांति के समय भगवान सूर्य का पूजन और अर्चन करना चाहिए, जिससे शरीर में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है और स्वास्थ्य बेहतर रहता है. इस माह दान-पुण्य करना, गाय को चारा खिलाना और गरीब व्यक्तियों को भोजन कराना भी महत्वपूर्ण है.
- मीन संक्रांति के समय सूर्योदय से पूर्व जागकर अपनी दैनिक क्रियाओं को पूरा करें, फिर स्नान करके भगवान सूर्य की पूजा करें और सूर्य के मंत्र का जप करें. आदित्य हृदय स्तोत्र का पाठ अवश्य करें.
- भगवान विष्णु की पूजा करें और प्रत्येक गुरुवार को एक वृद्ध ब्राह्मण को भोजन कराएं, उन्हें वस्त्र दान करें और चना दाल का दान करें.
मीन संक्रान्ति में क्या नहीं करें
जब सूर्य धनु और मीन राशि में प्रवेश करते हैं या इन राशियों में संक्रांति होती है, तब इसे मलमास कहा जाता है. इस अवधि में सभी मांगलिक कार्यों को निषिद्ध माना जाता है, जैसे कि नए घर का निर्माण, विवाह संस्कार, वास्तु पूजन, गृह प्रवेश, विद्या आरंभ संस्कार, नामकरण, उपनयन संस्कार, और अन्य सभी प्रकार के मांगलिक कार्यों को रोका जाता है.
जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते हैं.
ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
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