Vishwakarma Ji Ki Aarti: विश्वकर्मा जयंती हर वर्ष 17 सितंबर को मनाई जाती है, जब सूर्यदेव कन्या राशि में प्रवेश करते हैं (कन्या संक्रांति). यह दिन भगवान विश्वकर्मा की जन्मतिथि के रूप में माना जाता है, जिन्हें सृष्टि का प्रथम शिल्पकार, अभियंता और वास्तुकार कहा जाता है. इस अवसर पर विधि-विधान से उनकी पूजा-अर्चना की जाती है. मान्यता है कि इस दिन श्रद्धापूर्वक विश्वकर्मा जी की पूजा करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. पूजा के अंत में श्रद्धा भाव से आरती (विश्वकर्मा आरती) करके पूजन संपन्न करें.
विश्वकर्मा पूजा आरती (Vishwakarma Ji Ki Aarti)-
ॐ जय श्री विश्वकर्मा, प्रभु जय श्री विश्वकर्मा।
सकल सृष्टि के कर्ता, रक्षक श्रुति धर्मा॥ ॐ जय…
आदि सृष्टि में विधि को श्रुति उपदेश दिया।
जीव मात्रा का जग में, ज्ञान विकास किया॥ ॐ जय…
ऋषि अंगिरा ने तप से, शांति नहीं पाई।
ध्यान किया जब प्रभु का, सकल सिद्धि आई॥ ॐ जय…
रोग ग्रस्त राजा ने, जब आश्रय लीना।
संकट मोचन बनकर, दूर दुःख कीना॥ ॐ जय…
जब रथकार दंपति, तुम्हरी टेर करी।
सुनकर दीन प्रार्थना, विपत हरी सगरी॥ ॐ जय…
एकानन चतुरानन, पंचानन राजे।
त्रिभुज चतुर्भुज दशभुज, सकल रूप सजे॥ ॐ जय…
ध्यान धरे जब पद का, सकल सिद्धि आवे।
मन दुविधा मिट जावे, अटल शक्ति पावे॥ ॐ जय…
“श्री विश्वकर्मा जी” की आरती, जो कोई नर गावे।
कहत गजानंद स्वामी, सुख संपति पावे॥ ॐ जय…

