Santan Saptami 2025: सनातन धर्म में संतान सप्तमी व्रत का विशेष महत्व बताया गया है. यह व्रत मुख्य रूप से विवाहित महिलाएं अपने बच्चों की सुख-समृद्धि, अच्छे स्वास्थ्य और दीर्घायु के लिए रखती हैं. इस दिन माता-पिता शिव-पार्वती की पूजा करते हुए संतान की रक्षा और कल्याण की कामना करते हैं. वैदिक पंचांग के अनुसार, संतान सप्तमी का व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को किया जाता है. इस वर्ष यह व्रत 30 अगस्त 2025 को मनाया जा रहा है.
संतान सप्तमी पूजा मुहूर्त (Santan Saptami Puja Muhurat)
- प्रातः 07:45 बजे से 09:18 बजे तक
- दोपहर 12:28 बजे से सायं 05:11 बजे तक
संतान सप्तमी व्रत पूजा विधि(Santan Saptami Puja Vidhi)
- व्रती को प्रातःकाल सूर्योदय से पहले उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए.
- घर के पूजा स्थान में उत्तरमुख होकर भगवान श्रीविष्णु, भगवान शिव और माता पार्वती की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें.
- इसके बाद शुद्ध जल व कच्चे दूध से अभिषेक करें और चंदन का तिलक अर्पित करें.
- संतान की रक्षा व उत्तम स्वास्थ्य की कामना के साथ भगवान शिव को पवित्र धागा चढ़ाकर व्रत का संकल्प लें.
संतान सप्तमी व्रत मंत्र
“ॐ ह्रीं षष्ठी देव्यै स्वाहा”
मंत्रोच्चारण के बाद खीर, पूरी और मालपुए का भोग लगाकर आरती करें. भगवान शिव को अर्पित किया गया डोरा (धागा) बाद में अपनी संतान की कलाई में बांध दें.
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संतान सप्तमी व्रत का महत्व और लाभ
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, संतान सप्तमी व्रत करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है. जिनके पहले से संतान है, उनकी संतान को यह व्रत दीर्घायु और अच्छे स्वास्थ्य का आशीर्वाद देता है. इस व्रत से परिवार में सुख-समृद्धि और सौभाग्य में भी वृद्धि होती है.

