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Rang Panchami 2023: रंग पंचमी के दिन जरूर करें ये उपाय, जानिए कब और कैसे मनाया जाता है ये पर्व

Rang Panchami 2023: रंग पंचमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की उपासना करने से जीवन में धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के दुख दूर हो जाते हैं. होली के पांचवें दिन यानी चैत्र कृष्ण पंचमी को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल 12 मार्च को रंग पंचमी मनाई जाएगी.

Rang Panchami 2023:  होली के पांचवें दिन यानी चैत्र कृष्ण पंचमी को रंग पंचमी का पर्व मनाया जाता है. इस साल 12 मार्च को रंग पंचमी मनाई जाएगी. रंग पंचमी का पर्व देवी-देवताओं को समपर्ति माना जाता है. शास्त्रों में बताया गया है कि रंग पंचमी के दिन भगवान श्री कृष्ण की उपासना करने से जीवन में धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है और सभी प्रकार के दुख दूर हो जाते हैं.  ज्योतिष शास्त्र में भी रंग पंचमी के सन्दर्भ में कुछ उपाय बताए गए हैं, जिनका पालन कर हम जीवन में खुशहाली ला सकते हैं.

रंग पंचमी के दिन जरूर करें ये उपाय

रंग पंचमी के दिन श्री कृष्ण और राधा रानी को लाल गुलाल और पीले वस्त्र अर्पित करें. इससे आपके प्यार का आपके जीवन में आगमन होगा और अगर आप विवाहित हैं तो आपके वैवाहिक जीवन में मधुरता आएगी.

रंग पंचमी के विशेष अवसर पर माता लक्ष्मी को सफेद रंग की मिठाई या सफेद खीर अर्पित करें. यह माता लक्ष्मी को बहुत प्रिय है और ऐसा करने से साधक के जीवन में धन और संपत्ति का आगमन होता है.

रंग पंचमी के दिन साधक को भगवान विष्णु के साथ धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा करनी चाहिए. इस विशेष दिन पर कनकधार स्तोत्र का पाठ करें और श्रीहरि को गुलाल अर्पित करें. इस उपाय से साधक के जीवन में कई सकारात्मक बदलाव आते हैं.

इस दिन एक पीले कपड़े में एक सिक्का और हल्दी की 5 गांठ बांधकर पूजा स्थल पर रख दें. इसके बाद मां लक्ष्मी की एक घी के दीपक से आरती करे. इसके बाद पोटली को बांधकर उस स्थान पर रख दें, जहां आप अपना धन रखते हैं.

रंगपंचमी मनाने का कारण और महत्व (Rang Panchami 2023 Importance)

पौराणिक कथाओं  के अनुसार, रंगपंचमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण ने राधा जी के साथ होली खेली थी. यही वजह है कि इस दिन विधि-विधान से राधा-कृष्ण की पूजा करने के बाद गुलाल अर्पित किया जाता है.

रंग पंचमी से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, होलाष्टक के दिन भगवान शिव ने कामदेव को भस्म कर दिया था, जिसके कारण देवलोक में सब दुखी थे. लेकिन देवी रति और देवताओं की प्रार्थना पर भगवान शिव ने कामदेव को दोबारा जीवित कर देने का आश्वासन दिया. इसके बाद सभी देवी-देवता प्रसन्न हो गए और रंगोत्सव मनाने लगे. इसके बाद से ही पंचमी तिथि को रंगपंचमी का त्योहार मनाया जाने लगा.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. prabhatkhabar.com इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

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