Papankusha Ekadashi 2025 Bhog: हर वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को पापांकुशा एकादशी का व्रत रखा जाता है. इसे भगवान विष्णु की आराधना के लिए अत्यंत शुभ माना गया है. इस बार यह व्रत 3 अक्टूबर को पड़ रहा है. इस तिथि पर श्रवण नक्षत्र और धृति योग का संयोग बनने से इसका महत्व और भी बढ़ गया है. मान्यता है कि इस दिन किए गए व्रत और भोग से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.
पूजन विधि और संकल्प
इस दिन भक्त प्रातःकाल स्नान करके व्रत का संकल्प लेते हैं. दिनभर फलाहार या निर्जला उपवास किया जाता है. भगवान विष्णु के पद्मनाभ स्वरूप की विधिवत पूजा करने का विशेष विधान है. पूरे दिन सात्विकता और भक्ति का पालन करना आवश्यक माना गया है.
पापांकुशा एकादशी पर भोग में अर्पित किए जाने वाले पदार्थ
पापांकुशा एकादशी पर भोग में सात्विक और शुद्ध आहार ही अर्पित करना चाहिए. इसमें ताजे फल जैसे केला, अमरूद, अनार और सेब शामिल किए जाते हैं. सूखे मेवे, मखाने, नारियल और शहद भी चढ़ाए जाते हैं. पके हुए व्यंजनों में खीर, पुआ, हलवा, मूंग दाल की खिचड़ी (बिना प्याज-लहसुन), पान के पत्ते पर सुपारी और मिठाई सम्मिलित करना शुभ माना जाता है. इस दिन भगवान विष्णु को तुलसी पत्र अर्पित करना अत्यावश्यक है, क्योंकि बिना तुलसी के वे भोग स्वीकार नहीं करते.
आरती, प्रसाद और पारण
भोग अर्पित करने के बाद भक्त आरती करते हैं और प्रसाद का वितरण करते हैं. रात्रि में कथा सुनना, भजन-कीर्तन करना तथा भगवान के नाम का जप करना अत्यंत लाभकारी माना गया है. अगले दिन द्वादशी को व्रत का पारण करके ही अन्न ग्रहण किया जाता है.
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फल और महत्व
धार्मिक मान्यता है कि पापांकुशा एकादशी का व्रत करने और भोग अर्पित करने से मनुष्य के पाप नष्ट होते हैं. यह व्रत भक्त को सांसारिक कष्टों से मुक्ति देकर मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है.

