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Mahalakshmi Vrat 2024: आज महालक्ष्मी पूजन से ऐसे दूर करें आर्थिक संकट, जानें स्कंदपुराण के प्रभावी उपाय

Mahalakshmi Vrat 2024: आज 11 सितंबर 2024 से महालक्ष्मी व्रत की शुरुआत हो चुकी है. इसका समापन 24 सितंबर 2024 को किया जाएगा.

Mahalakshmi Vrat 2024: अगर आपके घर में लंबे समय से आर्थिक परेशानियां चल रही हैं, तो स्कंदपुराण और अन्य धार्मिक ग्रंथों में इससे छुटकारा पाने के लिए विशेष उपाय बताए गए हैं. आज11 सितंबर, बुधवार (भाद्र शुक्ल अष्टमी) से लेकर 24 सितंबर, मंगलवार (आश्विन कृष्ण अष्टमी) तक महालक्ष्मी माता का विशेष पूजन विधि से आप अपनी आर्थिक समस्याओं से मुक्ति पा सकते हैं. यह पूजा विधि विशेष रूप से उन लोगों के लिए है, जिनके घर में लगातार धन की तंगी रहती है, चाहे कितनी भी मेहनत कर लें.

पुराणों में इस विशेष पूजा विधान का उल्लेख है, जिसमें महालक्ष्मी माता का पूजन किया जाता है ताकि घर में धन, संपत्ति और समृद्धि का वास हो सके. इस उपाय को सरल और प्रभावी बताया गया है, जिसे हर व्यक्ति आसानी से अपने घर पर कर सकता है.

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महालक्ष्मी पूजन की विधि

11 सितंबर से लेकर 24 सितंबर तक प्रतिदिन सुबह के समय महालक्ष्मी माता का स्मरण करना चाहिए. इसके साथ ही “ॐ लक्ष्मयै नमः” मंत्र का कम से कम 16 बार जाप करें. मंत्र जाप के बाद महालक्ष्मी माता की प्रतिमा या तस्वीर के सामने विधिपूर्वक पूजन करें. पूजन के दौरान निम्नलिखित श्लोक का पाठ करें:

धनं धान्यं धराम हरम्यम, कीर्तिम आयुर्यश: श्रीयं,
दुर्गां दंतीन: पुत्रां, महालक्ष्मी प्रयच्‍छ में

इसके साथ ही “ॐ श्री महालक्ष्मये नमः” मंत्र का जाप भी किया जा सकता है. इस मंत्र और श्लोक के जाप से घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होगा और धीरे-धीरे आर्थिक परेशानियों से मुक्ति मिलेगी.

इस पूजा विधि के लाभ

इस पूजा का प्रभाव धीरे-धीरे आर्थिक समृद्धि के रूप में घर में दिखने लगता है. कहा जाता है कि जिन लोगों के घर में महालक्ष्मी का पूजन नियमित रूप से किया जाता है, उनके घर में कभी धन की कमी नहीं रहती. इस पूजा से केवल धन की ही प्राप्ति नहीं होती, बल्कि मानसिक शांति और समृद्धि का आशीर्वाद भी मिलता है.

पूजन के दौरान ध्यान देने योग्य बातें

पूजा स्थल का शुद्धिकरण: महालक्ष्मी पूजन करने से पहले पूजा स्थल को अच्छे से साफ और शुद्ध कर लेना चाहिए. पूजा के स्थान पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बनाए रखने के लिए दीपक जलाना भी आवश्यक है.

नैवेद्य चढ़ाएं: महालक्ष्मी माता को प्रसन्न करने के लिए हलवे, फल, और मिठाई का भोग लगाना चाहिए. विशेषत: हलवे का भोग माता लक्ष्मी को प्रिय माना जाता है.

सात्विक भोजन का सेवन: इस पूजा के दौरान साधक को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए. मांसाहार, नशा, और अशुद्ध वस्त्रों से बचें.

लक्ष्मी माता के पूजन का महत्व

हिंदू धर्म में महालक्ष्मी को धन, समृद्धि और वैभव की देवी माना गया है. लक्ष्मी माता के आशीर्वाद से ही व्यक्ति को न केवल भौतिक सुख-सुविधाएं प्राप्त होती हैं, बल्कि वह मानसिक शांति और संतोष का अनुभव भी करता है.

स्कंदपुराण और अन्य धर्मग्रंथों के अनुसार, महालक्ष्मी पूजन से व्यक्ति को न केवल आर्थिक संकट से छुटकारा मिलता है, बल्कि उसके जीवन में शांति, संतुलन और समृद्धि का भी प्रवेश होता है.

24 सितंबर के बाद का महत्व

यह विशेष पूजन विधि 24 सितंबर तक चलती है, जिसके बाद साधक को महालक्ष्मी माता का विशेष धन्यवाद ज्ञापन करना चाहिए. ऐसा माना जाता है कि इस दिन के बाद से साधक के घर में लक्ष्मी जी का वास स्थायी रूप से हो जाता है, और वह आर्थिक समस्याओं से सदा के लिए मुक्त हो जाता है.

जो लोग इस पूजा को पूरे नियम से करते हैं, उन्हें जीवन में धन और समृद्धि की कोई कमी नहीं रहती. उनके घर में सकारात्मक ऊर्जा और खुशियों का वातावरण बना रहता है.

इसलिए, यदि आप भी अपने घर में आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं, तो स्कंदपुराण के अनुसार महालक्ष्मी माता का यह सरल और प्रभावी पूजन अवश्य करें. इससे न केवल आपकी समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि आपके जीवन में खुशहाली और समृद्धि भी आएगी.

जन्मकुंडली, वास्तु, तथा व्रत त्यौहार से सम्बंधित किसी भी तरह से जानकारी प्राप्त करने हेतु दिए गए नंबर पर फोन करके जानकारी प्राप्त कर सकते है .

ज्योतिषाचार्य संजीत कुमार मिश्रा
ज्योतिष वास्तु एवं रत्न विशेषज्ञ
8080426594/9545290847

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