Maha Shivratri 2025: सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड को ज्योतिलिंग के रूप में प्रकट करनेवाली महारात्रि-महाशिवरात्रि का परम- पावन- पर्व महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025,बुधवार को पड़ रहा है.आज का दिन शिव भक्तों तथा सनातन धर्मियों के लिए महत्वपूर्ण माना गया है.इस वर्ष का महाशिवरात्रि पर्व 144 वर्षों वाद महाकुंभ के अंतिम अमृत स्नान का संयोग भी बना हुआ है.
शिव मन्दिरों में होती है विशेष पूज
विश्वभर में फैले शिवानुरागी शिव भक्त अत्यन्त श्रद्धा-विश्वास के साथ जलाभिषेक-दुग्धाभिषेक-विल्व पत्राभिषेक तथा अन्यान्य विधियों से शिव पूजन कर व्रत रखकर मनाते हैं.देश भर के द्वादश ज्योतिलिंग के साथ-साथ सभी शिव मन्दिरों में विशेष पूजनः अनुष्ठान का कार्य सम्पन्न होगा.
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शिवभक्ति में लोग होते हैं सराबोर
शास्त्रीय मान्यता एवं परम्परा के अनुसार आज के दिन बाबा भोलेनाथ का माता पार्वती के साथ विवाह हुआ था.इसलिए औघड़दानी बाबा भोलेनाथ के भक्त शिवभक्ति में सराबोर होकर शिव बारात निकालकर तथा व्रत रखकर अभिषेक करके मस्ती में आकर शिवरात्रि पर्व मनाते हैं.
फाल्गुन महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को महाशिवरात्रि मनायी जाती है.शिवभक्तों के लिए शिवरात्रि का व्रत एवं भगवान् शिव की पूजा विशेष फलदायी है.महाशिवरात्रि शिव और शक्ति का मिलन का दिन है.मान्यता है कि इस समय भगवान् शिव का अशं प्रत्येक शिवलिंग में पूरे दिन और रात मौजूद रहता है.
भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा से होता है इन्हें फायदा
महाशिवरात्रि में शिवजी की पूजा और उपासना करने से शिवजी शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं तथा भक्तों का हर मनोकामना पूरी करते हैं.स्थाई सुख-समृद्धि,संतान सुख,आयु-आरोग्य की बृद्धि,रोग बाधा से छुटकारा मिलता है.जिन व्यक्तियों की जन्म कुण्डली में कालसर्प दोष,विष योग,शनि की आढैया तथा साढ़ेसाती,साथ ही मंगली दोष व्याप्त है उन्हें शिवरात्रि का व्रत एवं भगवान शिव की विधिपूर्वक पूजा उपासना करना चाहिए.
महाशिवरात्रि व्रत से बढ़कर और कोई व्रत नहीं
जिन लोगों के घर में कलह,वाद-विवाद,लड़ाई-झगड़े से परेशानी,मामला मुकदमा,आर्थिक हानि,चालू व्यापार बंद हो जाना,भाग्य बाधा,संतान हीनता,विवाह बाधा तथा सुखद दाम्पत्य जीवन के लिए महाशिवरात्रि व्रत से बढ़कर और कोई व्रत नहीं हैं.
60 वर्षों बाद बन रहा है त्रिग्रही योग
इस वर्ष 2025 में महाशिवरात्रि पर्व के तीन दुर्लभ संयोग बन रहा है. 60 वर्षों बाद त्रिग्रही योग(सूर्य,बुध व शनि कुंभ राशि में रहेंगे),31 वर्षों बाद बुधादित्य योग तथा 7 वर्ष वाद बुधवार का संयोग तथा श्रवण व धनिष्ठा नक्षत्र का युग्म संयोग. 26 फरवरी बुधवार त्रयोदशी तिथि दिवा 9 बजकर 19 मिनट तक उपरांत चतुर्दशी तिथि का का शुरूआत होगी.
चतुर्दशी तिथि का समापन 27 फरवरी बृहस्पतिवार दिवा 8 बजकर 09 मिनट पर होगी,श्रवण नक्षत्र दिवा 4 बजकर 10 तक उपरांत धनिष्ठा नक्षत्र,शिवयोग रात्रि 12 बजकर 03 मिनट तक उपरांत सिद्ध योग है. चन्द्रमा मकर राशि में रात्रि 3.50 के उपरांत कुंभ राशि में प्रवेश करेंगे.इस दिन सुबह से लेकर रात्रि जागरण कर शिव पूजा का विधान है.
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चार पहर की पूजा का है विशेष महत्व
महाशिवरात्रि के अवसर पर निर्जला व्रत रखकर रात्रि के चारों पहरों में चार बार पूजा करते हैं उन्हें शिवजी के विशेष कृपा मिलता है.समस्त संकट दूर हो जाता है.मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
- रात्रि के प्रथम पहर में पूजा का समय-सायं 6 बजकर 19 मिनट से लेकर रात्रि 9 बजकर 26 मिनट
- रात्रि के द्वितीय पहर में पूजा का समय-रात्रि 9 बजकर 26 मिनट से (27 फरवरी) की अर्धरात्रि 12 बजकर 34 मिनट
- रात्रि के तृतीय पहर में पूजा के समय-अर्धरात्रि 12 बजकर 34 मिनट से रात्रि 3 बजकर 41 मिनट
- रात्रि के चतुर्थ पहर पूजा के समय –(27 फरवरी) सुबह 3 बजकर 41 मिनट से प्रातः 6 बजकर 48 मिनट