Kajari Teej 2025: कजरी तीज का व्रत हिंदू धर्म में सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण पर्व माना जाता है. यह व्रत भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की तृतीया तिथि को विशेष श्रद्धा के साथ रखा जाता है और उत्तर भारत के कई राज्यों में बड़े उत्साह और भक्ति भाव से मनाया जाता है. इसका उद्देश्य न केवल पति की दीर्घायु और सुख-समृद्धि की कामना करना है, बल्कि दांपत्य जीवन में प्रेम, विश्वास और मधुरता को प्रगाढ़ बनाना भी है.
शिव-पार्वती पूजा का महत्व
इस दिन महिलाएं दिनभर निर्जल या फलाहार व्रत रखकर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं. पौराणिक मान्यता के अनुसार, माता पार्वती ने कठोर तप कर भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त किया था. इसीलिए कजरी तीज पर शिव-पार्वती की पूजा को वैवाहिक जीवन में स्थिरता, प्रेम और आपसी समझ बढ़ाने का प्रतीक माना जाता है.
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रिश्तों में त्याग और समर्पण का भाव
पति-पत्नी के रिश्ते में मधुरता लाने के पीछे इस व्रत का भावनात्मक और आध्यात्मिक दोनों पहलू निहित हैं. पत्नी का त्याग, संयम और प्रार्थना न केवल उसके समर्पण को दर्शाते हैं, बल्कि पति को यह अनुभव कराते हैं कि उसकी खुशहाली और स्वास्थ्य के लिए पत्नी कितनी निष्ठा से प्रयासरत है. यह एहसास रिश्ते में आपसी सम्मान और प्रेम को और गहरा करता है.
उत्सव और सांस्कृतिक रंग
कजरी तीज के अवसर पर महिलाएं पारंपरिक वेशभूषा धारण करती हैं, मेहंदी लगाती हैं, गीत-संगीत के माध्यम से पर्व का आनंद उठाती हैं और उत्सव का वातावरण बनाती हैं. यह दिन पति-पत्नी के बीच भावनात्मक जुड़ाव और संवाद को प्रबल करने का अवसर बन जाता है.
प्रेम और सामंजस्य का सेतु
इस प्रकार, कजरी तीज का व्रत केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि वैवाहिक रिश्तों में विश्वास, प्रेम और सामंजस्य को मजबूत करने वाला एक सुंदर सेतु है, जो जीवनभर के रिश्ते को और भी मधुर बना देता है.

