Dev Deepawali 2025: देव दिवाली, जिसे देव दीपावली भी कहा जाता है, कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. माना जाता है कि इस दिन भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था. इस विजय के उपलक्ष्य में सभी देवी-देवताओं ने शिवजी की आराधना की थी. तभी से यह पर्व देवताओं की दिवाली यानी देव दिवाली के रूप में मनाया जाता है. जो व्यक्ति इस दिन श्रद्धा से पूजा करता है, उसके जीवन में सुख, शांति और समृद्धि बनी रहती है.
देव दिवाली 2025 की तारीख और मुहूर्त
- वैदिक पंचांग के अनुसार इस साल देव दिवाली 5 नवंबर 2025 (बुधवार) को मनाई जाएगी.
- कार्तिक पूर्णिमा की शुरुआत: 4 नवंबर रात 10:36 बजे
- समापन: 5 नवंबर शाम 6:48 बजे
- ब्रह्म मुहूर्त: सुबह 04:52 से 05:44 बजे तक
- विजय मुहूर्त: दोपहर 01:54 से 02:38 बजे तक
- गोधूलि मुहूर्त: शाम 05:33 से 05:59 बजे तक
- प्रदोषकाल दीपदान मुहूर्त: शाम 05:15 से 07:50 बजे तक
- इन मुहूर्तों में पूजा और दीपदान करना विशेष फलदायी माना गया है.
देव दिवाली पर पूजा विधि
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और सूर्य देव को जल अर्पित करें. इसके बाद प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा करें. पूजा के लिए चौकी पर साफ कपड़ा बिछाएं और शिवजी की प्रतिमा या शिवलिंग स्थापित करें. फिर देसी घी का दीपक जलाएं और भोलेनाथ को फूलों की माला, दूध, शहद, घी, दही और पंचामृत अर्पित करें. इसके बाद शिव चालीसा और मंत्रों का जाप करें. पूजा के अंत में भगवान शिव को फल और मिठाई का भोग लगाकर परिवार की सुख-शांति की प्रार्थना करें.
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देव दिवाली के दिन गंगा या किसी पवित्र नदी के किनारे दीपदान करना बहुत शुभ माना गया है. कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस दिन दीपदान करता है, उसके जीवन से दुख दूर होते हैं, पापों का नाश होता है और घर में धन-समृद्धि का आगमन होता है.
इस दिन दान-पुण्य करना भी बहुत फलदायी होता है. भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा पाने के लिए जरूरतमंदों को भोजन, वस्त्र या दीपदान अवश्य करें. देव दिवाली का यह पावन पर्व हमें याद दिलाता है कि जब हम श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा करते हैं, तो हमारे जीवन में खुशहाली और सकारात्मक ऊर्जा स्वतः आने लगती है.

