Dev Deepawali 2025: देव दीपावली के दिन गंगा घाटों पर दीप जलाना सिर्फ एक परंपरा नहीं, बल्कि श्रद्धा, आस्था और प्रकाश का उत्सव है. यह दीप हमें सिखाते हैं कि जब भी जीवन में अंधकार आए, तो एक छोटा सा प्रकाश भी उम्मीद जगा सकता है.
कितने दीप जलाने चाहिए
- देव दीपावली के दिन गंगा घाटों पर लाखों दीये जलाए जाते हैं. घाट से लेकर नौकाओं तक हर जगह दीपों की रौशनी फैल जाती है.
- हालांकि, दीये जलाने की कोई निश्चित संख्या तय नहीं है. परंपरा के अनुसार, लोग अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार 5, 7, 11, 21, 51, 108 या 365 दीप जलाते हैं.
- कुछ लोग विशेष संकल्प लेकर 11 या 108 दीये जलाते हैं, तो वहीं भक्तगण घाटों को रोशन करने के लिए हजारों या लाखों दीये भी जलाते हैं.
दीप जलाने के नियम और शुभ समय
देव दीपावली के दिन प्रदोष काल में दीप जलाना सबसे शुभ माना गया है. यह समय शाम 5:15 बजे से 7:50 बजे के बीच का होता है. इस समय गंगा किनारे दीप जलाने से विशेष पुण्य की प्राप्ति होती है. भगवान शिव की आराधना के लिए 8 या 12 मुख वाले विशेष दीपक भी जलाए जा सकते हैं. दीप जलाते समय एक संकल्प जरूर लें कि यह प्रकाश आपके जीवन से अंधकार मिटाए और घर में सुख-समृद्धि लाए.
दीप जलाने का महत्व
सुख-समृद्धि: माना जाता है कि दीप जलाने से घर में धन, सौभाग्य और शांति आती है.
पापों से मुक्ति: दीपदान सभी पापों का नाश करने वाला कार्य माना गया है.
ज्ञान और प्रकाश का प्रतीक: दीप जीवन के अंधकार को मिटाकर ज्ञान और सकारात्मकता का प्रतीक है.
देवताओं का स्वागत: यह पर्व इस बात का संकेत है कि देवता पृथ्वी पर उतरकर गंगा में स्नान करते हैं, और दीप उनके स्वागत का प्रतीक बनते हैं.
बनारस का अद्भुत नजारा
वाराणसी की देव दीपावली को दुनिया की सबसे सुंदर रोशनी वाली रात कहा जाता है. लगभग 10 लाख से अधिक दीये गंगा घाटों, मंदिरों और नावों पर एक साथ जलाए जाते हैं. जब यह दीप लहरों पर झिलमिलाते हैं, तो ऐसा लगता है मानो गंगा स्वयं प्रकाश का श्रृंगार कर रही हो.
देव दीपावली पर क्या करें और क्या न करें?
करें: गंगा स्नान, दीपदान, भगवान शिव और गंगा जी की पूजा.
न करें: असत्य बोलना, नकारात्मक सोच रखना या गंगा जल को अपवित्र करना.
देव दीपावली और दिवाली में क्या अंतर है?
दिवाली लक्ष्मी पूजा का पर्व है, जबकि देव दीपावली देवताओं की दीपावली है. दिवाली अमावस्या को मनाई जाती है, और देव दीपावली पूर्णिमा को.
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