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Dev Deepawali 2025: बनारस में ऐसे मनाई जाती है देव दीपावली, जानिए पौराणिक मान्यता और आस्था की कहानी

Dev Deepawali 2025: क्या आप जानते हैं कि बनारस में देव दीपावली इतनी खास क्यों होती है? आखिर ऐसा क्या है कि इस दिन पूरा काशी शहर दीपों से जगमगाने लगता है और गंगा किनारे लाखों दीप एक साथ जल उठते हैं? आइए जानते हैं इस दिन की पौराणिक मान्यता.

Dev Deepawali 2025: देव दीपावली बनारस का सबसे बड़ा और खूबसूरत पर्व माना जाता है. इस दिन पूरा शहर दीपों से जगमगा उठता है. मान्यता है कि कार्तिक पूर्णिमा की रात भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस का वध किया था, और उसी खुशी में देवताओं ने दीप जलाकर उत्सव मनाया. तभी से काशी में देव दीपावली मनाने की परंपरा शुरू हुई.

देव दीपावली की शुरुआत कैसे हुई

पौराणिक कथा के अनुसार, त्रिपुरासुर नाम के दैत्य ने तीनों लोकों में आतंक फैला दिया था. तब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर का वध किया और देवताओं को भय से मुक्ति दिलाई. देवताओं ने काशी में गंगा तट पर दीप जलाकर भगवान शिव का आभार जताया. तभी से इस दिन को “देव दीपावली” कहा जाने लगा — यानी देवताओं की दीपावली.

बनारस में ऐसे मनाई जाती है देव दीपावली

  • देव दीपावली के दिन वाराणसी के सभी घाटों पर लाखों दीप जलाए जाते हैं.
  • गंगा आरती के दौरान पूरा घाट रोशनी से नहाया हुआ दिखाई देता है. लोग अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दीपदान करते हैं.
  • नौकाओं पर बैठकर पर्यटक इस नजारे को देखने आते हैं, और ऐसा दृश्य बनता है मानो धरती पर स्वर्ग उतर आया हो.

पूजा और आरती का विशेष महत्व

सुबह से ही श्रद्धालु गंगा में स्नान करते हैं और भगवान शिव की पूजा करते हैं.

शाम के समय गंगा आरती होती है, जहाँ सैकड़ों पुजारी एक साथ दीप थाल लेकर मंत्रोच्चार करते हैं.

यह दृश्य इतना भव्य होता है कि दूर-दूर से श्रद्धालु और पर्यटक सिर्फ इसे देखने बनारस आते हैं.

 भक्ति और श्रद्धा का पर्व

इस दिन घरों, मंदिरों और घाटों पर दीप जलाकर लोग भगवान शिव को याद करते हैं. माना जाता है कि इस दिन दीपदान करने से जीवन से अंधकार मिटता है और सुख-समृद्धि आती है. देव दीपावली के समय बनारस की गलियों से लेकर घाटों तक भक्ति का माहौल छा जाता है.

देव दीपावली क्या है?

देव दीपावली कार्तिक पूर्णिमा के दिन मनाया जाने वाला पर्व है. इस दिन देवता गंगा में स्नान करने के लिए पृथ्वी पर आते हैं और भगवान शिव की आराधना करते हैं.

देव दीपावली पर दीपदान का क्या महत्व है?

कहा जाता है कि इस दिन गंगा में दीपदान करने से पापों का नाश होता है और जीवन में सुख-समृद्धि आती है. यह पूर्वजों की आत्मा की शांति का भी प्रतीक है.

गंगा आरती देखने का सबसे अच्छा समय क्या होता है?

शाम को सूर्यास्त के बाद, लगभग 6:00 से 7:00 बजे के बीच गंगा आरती होती है. इस समय घाटों पर सबसे ज्यादा भीड़ रहती है और दृश्य बेहद मनमोहक होता है.

क्या पर्यटक भी देव दीपावली में भाग ले सकते हैं?

हाँ, देश-विदेश से हजारों पर्यटक इस दिन बनारस आते हैं. वे नौकाओं पर बैठकर गंगा आरती और दीपदान का अद्भुत नजारा देखते हैं.

ये भी पढ़ें: Dev Deepawali 2025: देव दीपावली पर शिवजी की करें पूजा, जीवन में आएगी सुख, शांति और समृद्धि

JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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