Chandra Grahan 2020, Lunar Eclipse 2020, Date & Time, Shubh Muhurat, According To Rashi, Effects, Sutak Kal, Visible in India: सोमवार, 30 नवंबर को साल का अंतिम चंद्रग्रहण लगने जा रहा है. कार्तिक मास की पूर्णिमा तिथि को पड़ने वाला यह ग्रहण कुल 04 घंटे 18 मिनट 11 सेकंड तक रहेगा. जबकि, 3:13 मिनट पर यह अपने चरम पर होगा. ग्रहण रोहिणी नक्षत्र और वृषभ राशि में इस बार का चंद्रगहण पड़ने वाला है. ऐसे में आइये जानते हैं इसका सूतक काल समय, किस देश में दिखेगा, किस राशि के लिए है खतरनाक, क्या है ग्रहण के प्रभाव से बचने का उपाय व अन्य डिटेल के लिए बने रहे हमारे साथ..
भारत के कुछ उत्तरी और पूर्वी हिस्सों से में उपछाया चंद्रग्रहण दिखने वाला है. ड्रिकपंचांग के अनुसार, इसे आंशिक रूप से पटना, रांची, कोलकाता, लखनऊ, वाराणसी और भुवनेश्वर समेत अन्य स्थानों पर देखा जा सकता है.
झारखंड के बोकारों जिला में 22 मिनट 48 सेकेंड दिखेगा ग्रहण
वराणसी में 13 मिनट 7 सेकेंड ही दिखई देखा चंद्र ग्रहण
उत्तर प्रदेश के बलिया में 18 मिनट 39 सेकेंड दिखेगा चंद्र ग्रहण
साल के अंतिम चंद्र ग्रहण पर वृषभ राशि वालों को विशेष सावधानी बरतनी होगी. अत: जिन जातकों का राशि वृषभ है उन्हें ग्रहण के दौरान भोजन नहीं पकाना चाहिए, कपड़े नहीं धोने चाहिए, सब्जी व फल आदि नहीं काटना चाहिए, किसी की बुराई नहीं करना चाहिए, जीव हत्या नहीं करना चाहिए या मांस-मछली का सेवन नहीं करना चाहिए और इस दौरान शारीरिक संबंध भी नहीं बनाना चाहिए.
कार्तिक पूर्णिमा के पावन अवसर पर सोमवार की शाम पांच बजे से बिहार की राजधानी में चंद्रग्रहण दिखाई देगा. यहां पर 5 बजे से 5 बजकर 22 मिनट तक चंद्रग्रहण देखा जा सकता है. वहीं दिन में अपराह्न 1 बजकर 4 मिनट से ही चंद्र ग्रहण प्रारंभ हो जाएगा, जो शाम 5 बजकर 22 मिनट तक रहेगा.
इस बार 30 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा पर चंद्र ग्रहण का साया रहेगा. हालांकि उपच्छाया चंद्र ग्रहण दिखाई न देने के कारण इसका प्रभाव और सूतक काल भी प्रभावी नहीं होगा. शास्त्रानुसार कार्तिक पूर्णिमा के दिन सर्वार्थ सिद्धि योग का संयोग होने से जप, तप, दान व धर्म-कर्म का लाभ कई गुणा अधिक प्राप्त होता है.
चंद्र ग्रहण के दौरान पानी पीने से भी बचना चाहिए. अगर आप बीमार हैं या आप गर्भवती हैं तो आप हल्का गर्म पानी पी सकते हैं. इसमें तुलसी का पत्ता डालकर जूस पी सकते हैं. इसके साथ ही अगर आप सादा पानी नहीं पीना चाहते तो नारियल का पानी पी सकते हैं. सबसे बेहतर यह होगा कि आप ग्रहण से पहले ही अच्छी मात्रा में पानी पी लें.
चंद्रग्रहण के दिन विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए, इस बात का ध्यान रखना चाहिए परिवार का कोई भी सदस्य चंद्रमा की ओर न देखें न ही चंद्रमा की रोशनी में बैठे
दरअसल, चंद्रग्रहण एक खगोलीय घटना है. जो 30 नवंबर को दोपहर एक बजकर चार मिनट से शुरू होकर शाम पांच बजकर 22 मिनट तक होगी. यह कुल चार घंटे 18 मिनट 11 सेकंड तक रहेगा, जबकि, 3:13 मिनट पर यह अपने चरम पर होगा. इस बार का चंद्रग्रहण भारत सहित अमेरिका, प्रशांत महासागर, एशिया और आस्ट्रेलिया में भी दिखाई देगा.
30 नवंबर का उपच्छाया चंद्र ग्रहण रोहिणी नक्षत्र और वृष राशि में लगने वाला है. जिसका नकारात्मक असर वृष, मिथुन, सिंह, कन्या और धनु राशि वाले लोगों पर पड़ सकता है. वहीं मेष, कर्क, तुला, वृश्चिक, मकर, कुंभ और मीन राशि वाले लोग अशुभ प्रभाव से बचे रहेंगे.
जब धरती की वास्तविक छाया पर ना पहुंच कर चंद्रमा उसकी उपच्छाया से ही लौट जाती है तो इसे उपछाया चंद्रग्रहण कहते हैं. इस स्थिति में चांद पर धुंधली परत भी बन जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसे ग्रहण के दौरान सूतक काल नहीं पड़ता. आमतौर पर ऐसे ग्रहण नंगी आंखों से नहीं दिख पाते हैं.
साल का अंतिम चंद्रग्रहण कल लगेगा. हालांकि, यह चंद्र ग्रहण एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत महासागर और अमेरिका के कुछ हिस्सों में दिखाई दे सकता है. यह चंद्रग्रहण भारत में नहीं दिखाई देगा, क्योंकि यहां जब चंद्र ग्रहण लगेगा उस समय दोपहर रहेगा.
धर्म शास्त्रों के अनुसार सूतक (Sutak Kaal) चंद्रग्रहण के 9 घंटे पहले लग जाता है. लेकिन, क्योंकि यह ग्रहण एक उपछाया चंद्रग्रहण है. ऐसे में इसका सूतक काल मान्य नहीं होगा. हिंदू धर्म में इसका विशेष महत्व नहीं होता है. फिर भी गर्भवती महिलाओं को निम्नलिखित सावधानियां बरतनी चाहिए...
ग्रहण के दौरान खासकर गर्भवती महिलाओं को घर से बाहर निकलना वर्जित होता है.
ऐसी मान्यता है कि इस दौरान यदि व ग्रहण देख लेंगी तो इसका सीधा और नकारात्मक असर बच्चे के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य पर पड़ सकता है.
गर्भवती महिलाओं को इस दौरान अपने पास नुकीली चीजें रखनी चाहिए. इसके लिए वे चाकू, कैंची, सुई आदि का भी इस्तेमाल कर सकते हैं. ऐसी मान्यता है कि इससे शिशु व गर्भवती महिला की दोनों पर ग्रहण का काला साया नहीं पड़ता है.
हालांकि, नुकीली चीजें रखने समय यह ध्यान देना जरूरी है कि इससे शरीर के किसी अंग को हानि न पहुंचे.
ग्रहण के दौरान बचा हुआ खाना भी नहीं खाना चाहिए. ऐसी मान्यता है कि ग्रहण की हानिकारक किरणों से भोजन दूषित हो जाता है.
ऐसे में ग्रहण से पूर्व बचे हुए खाने में तुलसी पत्ता डालकर खाना न भूलें. हिंदू धर्म में तुलसी पत्ते का विशेष महत्व होता है. माना जाता है कि तुलसी पत्तों को डालने से भोजन शुद्ध हो जाता है.
धार्मिक मामलों के जानकारों की माने तो ग्रहण के दौरान उसके नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए तुलसी के पत्ते को जीभ में रखकर दुर्गा पाठ या हनुमान चालीसा जरूर पढें. इससे हानिकारक या फिर बुरी शक्तियां आसपास नहीं भटकती है.
त्वचा संबंधी रोग ना हो या ग्रहण के दुष्प्रभाव को हटाने के लिए गर्भवती महिलाएं चंद्रग्रहण के बाद स्नान करना न भूलें.
बच्चे का जन्म लाल चक्रों या धब्बे के साथ हो सकते है साथ ही साथ अन्य त्वचा संबंधी रोग भी संभव है.
चन्द्रमा जब पृथ्वी की धूसर छाया से होकर गुजरता है तो इस तरह की परिस्थिति बनती है. इसे उपच्छाया चन्द्रग्रहण भी कहा जाता है. धार्मिक मान्यताओं की मानें तो उपच्छाया चन्द्रग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होता है. ऐसे में मंदिर का पट भी इस दौरान बंद नहीं होगा.
ग्रहण काल के समय भोजन नहीं करना चाहिए. क्योंकि ये शरीर के लिए नुकसानदायक माना गया है. घर में पके हुए भोजन में सूतक काल लगने से पहले ही तुलसी के पत्ते डालकर रख देने चाहिए. इससे भोजन दूषित नहीं होता है.
जब चन्द्रमा पृथ्वी की धूसर छाया में से होकर गुजरता है तो इस तरह की परिस्थिति बनती है. इसे उपच्छाया चन्द्रग्रहण कहते हैं. ज्योतिषीय गणना के अनुसार इस बार चंद्र ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होगा. इस दौरान मंदिर आदि बंद नहीं किए जाएंगे. पूजा-पाछ को लेकर भी कोई नियम आदि नहीं माना जाएगा. दरअसल यह उपछाया चंद्रग्रहण है.
खिड़कियों को अखबारों या मोटे पर्दों से ढक देना, ताकि ग्रहण की कोई भी किरण घर में प्रवेश न कर सके. ग्रहण के दौरान या पहले भोजन बना हुआ है तो उसे फेंकना नहीं चाहिए. बल्कि उसमें तुलसी के पत्ते डालकर उसे शुद्ध कर लेना चाहिए. ग्रहण के समाप्ति के बाद स्नान-ध्यान कर घर में गंगाजल छिड़कना चाहिए और फिर जाकर भोजन ग्रहण करना चाहिए.
ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को ग्रहण के सीधे प्रभाव में न आने के साथ-साथ उन्हें चाकू-छुरी या तेज धार वाले हथियार का प्रयोग भी नहीं करना चाहिए. क्योंकि ऐसा करने से गर्भ में पल रहे शिशु के शरीर पर उसका बुरा असर होता है. इसके साथ ही ग्रहण की अवधि में सिलाई-कढ़ाई का कार्य भी न करें और न ही किसी प्रकार की चीज़ों का सेवन करें.
चंद्र ग्रहण 30 नवंबर को लग रहा है. यह इस साल का आखिरी चंद्र ग्रहण है, जो उपछाया चंद्र ग्रहण होगा. धार्मिक और ज्योतिषीय दृष्टि से ग्रहण का लगना अशुभ माना जाता है. ग्रहण में लगने वाले सूतक का विचार किया जाता है. ज्योतिष विद्वानों का मानना है कि उपछाया चंद्र ग्रहण के कारण इस बार सूतक काल मान्य नहीं होगा.
जब धरती की वास्तविक छाया पर ना पहुंच कर चंद्रमा उसकी उपच्छाया से ही लौट जाती है तो इसे उपछाया चंद्रग्रहण कहते हैं. इस स्थिति में चांद पर धुंधली परत भी बन जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ऐसे ग्रहण के दौरान सूतक काल नहीं पड़ता. आमतौर पर ऐसे ग्रहण नंगी आंखों से नहीं दिख पाते हैं.
कार्तिक पूर्णिमा के दिन पड़ने वाला चंद्रग्रहण उपछाया होगा. हिन्दु धर्म की मान्यताओं के अनुसार यदि चंद्रग्रहण उपछाया हुआ तो इसका विशेष महत्व नहीं होता. अर्थात इसका सूतक काल नहीं पड़ता. इसे नग्न आंखों से देखा नहीं जा सकता है.
दोपहर 1 बजकर 04 मिनट पर एक छाया से पहला स्पर्श
दोपहर 3 बजकर 13 मिनट पर परमग्रास चंद्रग्रहण
शाम 5 बजकर 22 मिनट पर उपच्छाया से अंतिम स्पर्श
Posted By: Sumit Kumar Verma