Chaitra Navratri 2025 4th Day Maa Kushmanda :चैत्र नवरात्रि के चौथे दिन मां दुर्गा के चौथे रूप, मां कूष्मांडा की पूजा का आयोजन किया जाता है. देवी कूष्मांडा को सृष्टि की सृजन शक्ति माना जाता है. मान्यता है कि जब सृष्टि का कोई अस्तित्व नहीं था, तब इन्हीं देवी ने अपनी हल्की मुस्कान से ब्रह्मांड की रचना की, इसलिए इन्हें ‘आदि शक्ति’ के नाम से भी जाना जाता है.
मां कूष्मांडा का स्वरूप
मां कूष्मांडा के आठ हाथ हैं, जिनमें कमल, धनुष-बाण, गदा, चक्र, अमृत कलश, जप माला और कमंडल धारण किए हुए हैं. इनका वाहन सिंह है, जो शक्ति और साहस का प्रतीक माना जाता है.
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चौथे दिन की पूजा विधि
- स्नान और संकल्प: प्रातःकाल स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और व्रत का संकल्प लें.
- घटस्थापना स्थल पर पूजन: मां कूष्मांडा की प्रतिमा या चित्र को स्थापित करें और गंगाजल से शुद्ध करें.
- पूजा सामग्री: लाल फूल, नारियल, रोली, अक्षत, कुमकुम, चंदन, धूप और दीप जलाएं.
- मंत्र जाप: “ॐ ऐं ह्रीं क्लीं कूष्माण्डायै नमः” इस मंत्र का 108 बार जाप करें.
- नैवेद्य अर्पण: मां को मालपुए का भोग अर्पित करें, जो उन्हें बहुत प्रिय है.
- हवन और आरती: हवन करें और फिर मां की आरती गाएं.
- कन्या पूजन: यदि संभव हो तो कन्याओं को भोजन कराएं और उन्हें वस्त्र या उपहार दें.
मां कूष्मांडा की उपासना का फल
यह माना जाता है कि मां कूष्मांडा की पूजा से भक्तों के रोग, भय और दरिद्रता समाप्त होती है. उनकी कृपा से आयु, यश, बल और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है.
मां कूष्मांडा का ध्यान मंत्र (Maa Kushmanda Mantra)
दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्.
जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥
या देवी सर्वभूतेषु मां कूष्मांडा रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:
सुरासम्पूर्णकलशं रूधिराप्लुतमेव च.
दधानाहस्तपद्याभ्यां कुष्माण्डा शुभदास्तु मे॥