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Bhakti Obstacles: जीवन में सच्ची भक्ति पाने से रोकती हैं ये 5 चीजें, जानिए कैसे करें दूर

Bhakti Obstacles: आध्यात्मिक ग्रंथों में बताया गया है कि जीवन में पांच प्रमुख चीजें ऐसी हैं, जो भक्ति के मार्ग में बाधा बन सकती हैं. इसे भक्ति के कांटे कहा गया है. साधक अगर इनसे प्रभावित होता है तो उसका आध्यात्मिक विकास धीमा हो जाता है. आइए जानते हैं क्या है वो 5 भक्ति के कांटे.

Bhakti Obstacles: जीवन में अक्सर हम धन, पद, सुंदरता और ज्ञान में लिप्त होकर भक्ति और आध्यात्मिकता को भूल जाते हैं. लेकिन सत्संग के बिखरे मोती किताब के अनुसार, ये सब केवल भक्ति के पांच कांटे हैं. अगर साधक इनसे बचना चाहता है, तो उसे नित्य भगवान्‌ के गुणगान को अपनी आदत बनाना होगा.

ये 5 चीजें आपकी भक्ति में बनती हैं बाधा

1. ऊंची जाति का अभिमान

किसी भी व्यक्ति का जाति या परिवार का गर्व उसे भगवान् के करीब जाने से रोक सकता है. जब हम यह सोचते हैं कि हम दूसरों से ऊपर हैं, तो हमारी भक्ति में अहंकार आ जाता है. अहंकार भक्ति का सबसे बड़ा शत्रु है.

2. विद्या या ज्ञान का घमंड

यदि कोई अपने ज्ञान या पढ़ाई का घमंड करता है, तो वह यह सोचने लगता है कि उसे किसी से सीखने की जरूरत नहीं. ऐसे व्यक्ति का मन भगवान् के गुणों को स्वीकार करने के लिए खुला नहीं रहता.

3. धन, ऐश्वर्य और पद का गौरव

जब हम धन, ऐश्वर्य या उच्च पद को अपने मूल्य या पहचान का आधार मानते हैं, तो हमारा मन भक्ति से भटक जाता है. भक्ति में सच्चा ध्यान तब आता है जब हम अपने धन और पद को अहंकार का स्रोत न बनने दें.

4. शरीर का सौंदर्य

सौंदर्य एक समय तक मन को मोह सकता है. जब कोई व्यक्ति अपने शरीर या रूप का गर्व करने लगता है, तो वह यह भूल जाता है कि असली सुंदरता भगवान् के गुणों में है. इससे भक्ति की शक्ति कमजोर पड़ती है.

5. युवावस्था का जोश

युवावस्था का जोश और शारीरिक ऊर्जा जीवन में आनंद लाती है. लेकिन जब हम इसे भक्ति या आत्म-ज्ञान से भटकने का कारण बना देते हैं, तो यह भी हमारे आध्यात्मिक विकास में बाधा बन जाती है.

 भगवान के गुणगान का महत्व

ग्रंथ में आगे कहा गया है कि साधक को नित्य भगवान्‌ के गुणगान करना चाहिए.

यदि व्यक्ति यह नहीं करता, तो उसकी जीभ “मेंढक की जीभ” जैसी बन जाती है. इसका अर्थ है

जिस तरह मेंढक की जीभ बेकार सी लगती है

  • उसमें मिठास नहीं होती
  • वह किसी पवित्र काम में नहीं लगती
  • वह बस कोलाहल (टर्र–टर्र) ही करती है

उसी तरह ऐसी जीभ भगवान के गुणों का स्वाद नहीं ले पाती,
यानी वह भक्ति का आनंद, आध्यात्मिक मिठास महसूस नहीं कर सकती.

कौन है असली दुर्भाग्यशाली

लेखक बताते हैं कि असली दुर्भाग्यशाली वह है, जिसमें व्यक्ति भगवान के गुणों का श्रवण नहीं करता. मानसिक और आध्यात्मिक दृष्टि से व्यक्ति का जीवन तब ही शांत रहेगा, जब वह रोज भगवान के गुणगान में लीन रहेगा.

मानसिक अशांति दूर करती है भक्ति

किताब के अनुसार भक्ति केवल धार्मिक कर्तव्य नहीं है, बल्कि जीवन की कठिनाइयों और मानसिक अशांति को दूर करने का सबसे असरदार तरीका है. कहा जाता है साधक जितना नियमित भगवान्‌ के गुणों का श्रवण करेगा, उतना ही उसका जीवन सुखमय और शांतिपूर्ण होगा.

उपाय

इन बाधाओं को दूर करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण है नित्य भगवान् के गुणगान और स्मरण की आदत. अपने अहंकार, ज्ञान या धन के गर्व को पीछे छोड़कर साधारण जीवन अपनाएं. अपनी जवानी और सौंदर्य को केवल ईश्वर की सेवा और भक्ति में लगाएं. नियमित रूप से ध्यान, प्रार्थना और भजन करें, और मन को हमेशा भगवान् की ओर केंद्रित रखें. इस सरल अभ्यास से ये सभी बाधाएं धीरे-धीरे कम हो जायेंगी और भक्ति का मार्ग सुगम हो जाएगा.

ये भी पढ़ें: Meaning of True Bhakti: सिर्फ गंगास्नान नहीं, मन का स्नान भी जरूरी, जानिए क्या है सच्ची भक्ति का अर्थ

JayshreeAnand
JayshreeAnand
कहानियों को पढ़ने और लिखने की रुचि ने मुझे पत्रकारिता की ओर प्रेरित किया. सीखने और समझने की इस यात्रा में मैं लगातार नए अनुभवों को अपनाते हुए खुद को बेहतर बनाने की कोशिश करती हूं. वर्तमान मे मैं धार्मिक और सामाजिक पहलुओं को नजदीक से समझने और लोगों तक पहुंचाने का प्रयास कर रही हूं.

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