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बद्रीनाथ धाम: भगवान बद्रीविशाल का इशारा, भारत से जल्द खत्म होगा कोरोना संकट

कोरोना संकट से पूरी दुनिया जूझ रही है. लगातार अपने देश में भी संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. वहीं, इसके लंबे समय तक चलने की अटकलें भी जारी हैं. इसी दौरान बद्रीनाथ मंदिर में भगवान बद्री विशाल की ओर से कोरोना संकट जल्द ही खत्म हो जाने के संकेत मिले है.

कोरोना संकट से पूरी दुनिया जूझ रही है. लगातार अपने देश में भी संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़ती जा रही है. वहीं, इसके लंबे समय तक चलने की अटकलें भी जारी हैं. इसी दौरान बद्रीनाथ मंदिर में भगवान बद्री विशाल की ओर से कोरोना संकट जल्द ही खत्म हो जाने के संकेत मिले है. उत्तराखंड में बद्रीनाथ धाम के कपाट 15 मई शुक्रवार को ब्रह्म मुहूर्त में खोल दिए गए. इससे पहले बद्रीनाथ मंदिर को भव्य तरीके से फूलों से सजाया गया. वहीं इतिहास में पहली बार इस मौके पर केवल 11 ही लोग शामिल हुए, जबकि इस दौरान कोरोना लॉकडाउन की वजह से धाम में अन्य श्रद्धालु मौजूद नहीं हुए थे.

बद्रीनाथ के कपाट बंद किए जाने के दौरान भगवान बद्रीविशाल को घी का लेपन किया जाता है, वहीं इस दौरान बर्फबारी व ठंड के चलते ये घी सूख जाता है, ऐसे में जब बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के बाद खोले जाते हैं, तो ये घी सूखकर कड़क हो जाते है, लेकिन इस बार जब कपाट खोले गए तो घी का लेपन गीली अवस्था में ही मिला. जानकारों के मानें तो बद्री विशाल पर लेपन किया गया घी गीली अवस्था में कई वर्षों में एक बार ही मिलता है, जिसे बद्री विशाल का भाविष्य के सुखमय होने का इशारा माना जाता है. इतनी सर्दी में भी घी का गीला रहना किसी चमत्कार से कम नहीं माना जा सकता.

कई वर्षों बाद इस बार भी बाबा बद्रीविशाल का सुखमय भविष्य की ओर इशारा है. इस दौरान बद्रीविशाल से जुड़े लोगों के अनुसार जिस वर्ष ये घी का लेपन गीली अवस्था में मिलता है, उस साल देश के लिए अच्छा सिद्ध होता है. इस वर्ष घी का गीला मिलना ये दर्शाता है कि ये वर्ष भी आने वाले समय में सुखमय रहेगा. ऐसे में अभी भारत सहित विश्व में कोरोना की दहशत है और यदि समय सुखमय होना है तो कोरोना को खत्म होना ही होगा, वहीं इस बार भी बद्रीविशाल की ओर से सुखमय समय का इशारा मिला है. ऐसे में माना जा रहा है कि जल्द ही कोरोना से छूटकारा मिल सकता है.

वहीं केदारनाथ धाम के कपाट 29 अप्रैल तथा गंगोत्री एवं यमुनोत्री धाम के कपाट अक्षय तृतीया पर 26 अप्रैल को खुल चुके हैं. द्वितीय केदार मद्महेश्वर के कपाट 11 मई को खुल चुके हैं, जबकि तृतीय केदार तुंगनाथ जी के कपाट 20 मई को तथा चतुर्थ केदार रुद्रनाथ जी के कपाट 18 मई को खुल जाएंगे. वहीं इससे पहले गुरुवार को योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर से कुबेर जी, उद्धव जी, गरुड़ जी, आदि गुरु शंकराचार्य की गद्दी और गाडू घड़ा तेल कलश यात्रा के साथ बदरीनाथ के रावल (मुख्य पुजारी) ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी बद्रीनाथ धाम पहुंचे थे.

योग ध्यान बदरी मंदिर पांडुकेश्वर में कुबेर जी, उद्धव जी और गरुड़ जी की विशेष पूजा हुईं. हक-हकूकधारियों ने सामाजिक दूरी का पालन करते हुए भगवान को पुष्प अर्पित किए. भक्तों ने भगवान बद्रीनाथ से कोरोना संकट से निजात दिलाने की कामना की. इससे पहले गुरुवार की सुबह पांडुकेश्वर से डोली यात्रा बदरीनाथ के रावल के साथ बदरीनाथ धाम के लिए निकली तो पुलिस ने पांडुकेश्वर में ही यात्रा को रोक दिया. सभी के पास चेक किए गए. जो बिना पास थे, उनको लौटा दिया गया.

Radheshyam Kushwaha
Radheshyam Kushwaha
पत्रकारिता की क्षेत्र में 12 साल का अनुभव है. इस सफर की शुरुआत राज एक्सप्रेस न्यूज पेपर भोपाल से की. यहां से आगे बढ़ते हुए समय जगत, राजस्थान पत्रिका, हिंदुस्तान न्यूज पेपर के बाद वर्तमान में प्रभात खबर के डिजिटल विभाग में बिहार डेस्क पर कार्यरत है. लगातार कुछ अलग और बेहतर करने के साथ हर दिन कुछ न कुछ सीखने की कोशिश करते है. धर्म, राजनीति, अपराध और पॉजिटिव खबरों को पढ़ते लिखते रहते है.

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