Kharmas 2025: हिंदू धर्म में खरमास का समय विशेष महत्व रखता है. यह वह अवधि होती है जब सूर्य धनु या मीन राशि में प्रवेश करता है, जिसके कारण इस काल को शुभ कार्यों के लिए अनुकूल नहीं माना जाता. खरमास लगभग एक महीने तक रहता है और इस दौरान विवाह, गृह प्रवेश, मुंडन जैसे मांगलिक कार्य वर्जित माने जाते हैं. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस समय सूर्य की गति मंद होती है, इसलिए नए और बड़े कार्यों की शुरुआत करने के बजाय संयम, साधना और आत्मचिंतन पर ध्यान देना चाहिए. खरमास का समय पूजा-पाठ, व्रत, दान-पुण्य और सेवा कार्यों के लिए अत्यंत शुभ माना जाता है. इस अवधि में किए गए धार्मिक कर्मों का फल कई गुना प्राप्त होता है. इसलिए खरमास को नकारात्मक रूप में नहीं, बल्कि अपने जीवन को शुद्ध और सकारात्मक बनाने के अवसर के रूप में देखा जाता है.
खरमास में क्या करें
खरमास के समय धार्मिक और सात्त्विक कार्य करना शुभ माना जाता है.
- भगवान विष्णु और सूर्य देव की पूजा करें.
- रोज़ सुबह स्नान कर सूर्य को जल अर्पित करें.
- व्रत, उपवास और दान-पुण्य करें.
- गरीबों और ज़रूरतमंदों को भोजन, कपड़े या धन का दान करें.
- तुलसी पूजन और श्रीहरि का स्मरण करें.
- सात्त्विक भोजन करें और मन को शांत रखें.
- गीता पाठ, रामायण या विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें.
खरमास में क्या नहीं करें
इस समय कुछ कार्यों को करने से बचने की सलाह दी जाती है.
- विवाह, मुंडन, गृह प्रवेश जैसे मांगलिक कार्य न करें.
- नया व्यापार या बड़ा निवेश शुरू न करें.
- अत्यधिक तामसिक भोजन (मांस, शराब) से बचें.
- झगड़ा, क्रोध और गलत व्यवहार से दूर रहें.
- बिना शुभ मुहूर्त के नए काम की शुरुआत न करें.
- दिखावे और फिजूलखर्ची से बचें.
खरमास का धार्मिक महत्व
मान्यता है कि खरमास में शुभ कार्य करने से उनका फल पूर्ण नहीं मिलता, जबकि इस दौरान किए गए जप, तप, दान और सेवा का फल कई गुना मिलता है. इसलिए यह समय आत्मशुद्धि और भक्ति के लिए श्रेष्ठ माना गया है.
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