Anant Chaturdashi Vrat Katha In Hindi: शास्त्रों में अनंत चतुर्दशी का विशेष महत्व है. पंचांग के अनुसार यह पर्व भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को मनाया जाता है. इस वर्ष यह पर्व 6 सितंबर 2025 को पड़ रहा है और इसे अनंत चौदस भी कहा जाता है. इस दिन भगवान विष्णु और माता पार्वती की पूजा की जाती है, और अनंत सूत्र बांधने की परंपरा निभाई जाती है. अनंत चतुर्दशी व्रत के दौरान व्रत कथा पढ़ना भी अत्यंत शुभ माना जाता है.
व्रत कथा के अनुसार, एक बार महाराज युधिष्ठिर ने राजसूय यज्ञ आयोजित किया. यज्ञ मंडप बहुत सुंदर और अद्भुत बनाया गया था. वहां की व्यवस्था देखकर दुर्योधन जला और उसका उपहास करने पर उसने युधिष्ठिर को जुए में हाराकर पांडवों को 12 वर्ष के वनवास पर भेज दिया. वनवास में पांडवों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा.
एक दिन भगवान कृष्ण युधिष्ठिर से मिलने आए और उन्होंने उन्हें अनंत चतुर्दशी व्रत करने की सलाह दी. कहा गया कि इस व्रत से खोया हुआ राज्य वापस प्राप्त किया जा सकता है. इस पर श्रीकृष्ण ने एक कथा सुनाई.
प्राचीन काल में एक ब्राह्मण की कन्या सुशीला थी. उसका विवाह कौण्डिनय ऋषि से हुआ. विवाह के बाद रास्ते में रात होने पर वे नदी के किनारे ठहरे. ऋषि ने सुशीला को अनंत व्रत का महत्व समझाया. सुशीला ने 14 गांठों वाला डोरा बांधकर व्रत प्रारंभ किया.
जब कौण्डिनय ऋषि ने इसे देखा और उसे आग में फेंक दिया, तो अनंत भगवान का अपमान हुआ और ऋषि की संपत्ति नष्ट हो गई. पश्चाताप में वे अनंत भगवान की खोज में वन में भटकते रहे और अंततः उन्हें भगवान ने दर्शन दिए. भगवान ने कहा कि उनके अपमान के कारण यह विपत्ति आई, लेकिन अब वे प्रसन्न हैं. उन्होंने कहा कि विधिपूर्वक 14 वर्षों तक व्रत करने से सभी कष्ट दूर होंगे.
कौण्डिनय ऋषि ने भगवान की आज्ञा के अनुसार व्रत किया और उनके सभी कष्ट दूर हो गए. उन्हें मोक्ष की प्राप्ति भी हुई. इसी प्रकार, युधिष्ठिर ने भी अनंत भगवान का व्रत किया, जिससे पांडवों को महाभारत के युद्ध में सफलता मिली.

