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52 साल बाद श्रीकृष्‍ण जन्माष्‍टमी पर यह शुभ संयोग, सभी मनोकामनाएं होंगी पूर्ण

नयी दिल्ली : इस बार 25 अगस्त को श्रीकृष्‍ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जायेगा. कान्हा जी का जन्मदिवस हर लिहाज से काफी खास होता है लेकिन इस बार की जन्माष्टमी काफी अनोखी है क्योंकि इस बार पूरे 52 साल बाद ऐसे त्रिगुण संयोग बन रहे हैं, जैसे कि द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय […]

नयी दिल्ली : इस बार 25 अगस्त को श्रीकृष्‍ण जन्माष्टमी महोत्सव मनाया जायेगा. कान्हा जी का जन्मदिवस हर लिहाज से काफी खास होता है लेकिन इस बार की जन्माष्टमी काफी अनोखी है क्योंकि इस बार पूरे 52 साल बाद ऐसे त्रिगुण संयोग बन रहे हैं, जैसे कि द्वापर में भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के समय बने थे. विद्वानों का मत है कि जिस समय मां देवकी ने जब भगवान श्रीकृष्‍ण को जन्म दिया था, उस समय रोहिणी नक्षत्र था और भादो की अष्टमी थी. ऐसे नक्षत्र साल 1958 में बने थे. उसके बाद ऐसे शुभ मुहुर्त इस साल यानी 25 अगस्त 2016 को बन रहे हैं.

इन शुभ प्रभावों के कारण श्रीकृष्‍ण जन्माष्‍टमी के दिन भगवान श्रीकृष्‍ण कर पूजा से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होंगी. पंडितों के मुताबिक इस दिन सच्चे मन से पूजा-अर्चना करने से जातक की हर मुराद पूरी होगी. अच्छे फल पाने के लिए इस दिन जातक गरीबों को खाना खिलाएं और दान-पुण्य करें तो आने वाले दिन उनके लिए अच्छे साबित होंगे.

पूजन का शुभ समय व मुहूर्त

जन्माष्टमी को तंत्र की 4 महारात्रियों में से 1 माना गया है. इस बार ऐसे योग हैं जिसमें श्रीकृष्‍ण भगवान का जन्म हुआ था. इन नक्षत्र में जन्म लेने के कारण श्रीकृष्ण ने सभी राक्षसों एवं कामदेव का रासलीला में अहंकार तोड़ा था. विशेष रूप से इस रात्रि को शनि, राहु, केतु, भूत, प्रेत, वशीकरण, सम्मोहन, भक्ति और प्रेम के प्रयोग एवं उपाय करने से विशेष फल की प्राप्ति होगी. पूजन के लिए रात्रि अभिजीत मुहूर्त श्रेष्ठ रहेगा.

विशेष ज्योतिषीय जानकारी प्राप्त कर अनुष्ठान वैदिक विद्वान पंडित से करवाने चाहिए. 24 अगस्त को रात 10:17 मिनट से ही अष्टमी लग जायेगी. लेकिन व्रत रखने का अच्छा दिन गुरूवार को ही है इसलिए इच्छुक जातक इसी दिन को व्रत रखें. इस बार इस रोहिणी नक्षत्र लग रहा है इसलिए निशिता पूजा का सबसे उत्तम समय मध्यरात्रि यानी कि 12 बजे से लेकर 12: 45 बजे तक है

उपवास एवं पारण

गुरुवार 25 अगस्त को भक्त भगवान श्रीकृष्‍ण का उपवास रख सकते हैं. दिनभर के उपवास के बाद भक्त श्रद्धाभाव से रात्रि 12 बजे से 12:45 बजे तक पूजन कर सकते हैं. जो लोग पारण मानते हैं वे दूसरे दिन शुक्रवार को सुबह 10:52 बजे के बाद उपावास तोड़े. अगर पारण नहीं मानते हैं तो गुरुवार 12:45 के बाद भी उपवास तोड़ सकते हैं. पूजन में ‘क्लीं कृष्‍णाय वासुदेवाय हरि: परमात्मने प्रणत: क्लेशनाशाय गोविंदाय नमो नम:’ मंत्र से भगवान श्रीकृष्‍ण की पूजा करें. मनवांक्षित फल प्राप्त होगा.

Prabhat Khabar Digital Desk
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