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ज्योतिष : दैत्यगुरु शुक्र का रत्न है हीरा, पर नीलम से भी ज्यादा खतरनाक, रास न आये तो धूल में भी मिला देता है

II सदगुरु स्वामी II आनन्द जी ज्योतिष : दैत्यगुरु शुक्र का रत्न है हीरा, पर नीलम से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है कल तक नीरव मोदी और मेहुल चोकसी हीरे का पर्याय हुआ करते थे, आज उन्हीं हीरों ने उन्हें और उनकी आसमान सी इज्जत को कोयला बना दिया. ऐश्वर्य और समृद्धि का प्रतीक […]

II सदगुरु स्वामी II
आनन्द जी
ज्योतिष : दैत्यगुरु शुक्र का रत्न है हीरा, पर नीलम से भी ज्यादा खतरनाक हो सकता है कल तक नीरव मोदी और मेहुल चोकसी हीरे का पर्याय हुआ करते थे, आज उन्हीं हीरों ने उन्हें और उनकी आसमान सी इज्जत को कोयला बना दिया. ऐश्वर्य और समृद्धि का प्रतीक रत्न हीरा एक पारदर्शी रत्न है. रासायनिक रूप से समझें तो नाजुक दिल को लूटने वाला हीरा, सबसे कठोर प्राकृतिक पदार्थ है, जो कार्बन का शुद्धतम रूप है. हीरा रासायनिक तौर पर बहुत निष्क्रिय होता है और अघुलनशील होता है. हीरे को दैत्यगुरु शुक्र का रत्न माना जाता है. दैत्य भौतिकता और विलासिता के प्रतीक हैं. भौतिक समृद्धि क्षणभंगुर यानि शीघ्र नष्ट हो जाने वाली प्रवृत्ति है. विष्णु पुराण के अनुसार दैत्य कश्यप ऋषि और दिति के पुत्र और देव कश्यप ऋषि की दूसरी पत्नी अदिति के पुत्र थे.
लिहाजा देव और दैत्य आपस में सौतेले भाई थे. देवों की प्रवृत्तियां राजसिक और सात्विक थीं, जबकि दैत्यों की प्रवृत्तियां तामसिक और भौतिक. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, जन्म कुंडली में शुक्र यदि षष्ठम, अष्टम या द्वादश भाव में हो तो हीरा अर्श से फर्श पर फेंक देता है. भाग्य, कर्म और लाभ भाव के साथ स्वघर का शुक्र होने पर हीरा किस्मत चमका देता है.
यूं तो हीरे को शुक्र का रत्न होने की वजह से प्रेम का रत्न भी माना जाता है, पर कड़वी सच्चाई तो ये है कि शुक्रदेव का रत्न हीरा शनिदेव के रत्न नीलम की तरह ही ऐसा रत्न है, जो यदि रास न आये तो धूल में भी मिला देता है. शाहजहां के काल में 787 कैरेट का सबसे बड़ा हीरा ‘ग्रेट मुगल’ गोलकुंडा की खान से 1650 में निकला था, जो कोहिनूर से छह गुना ज्यादा बड़ा था, वो शाहजहां ही नहीं, मुगलिया सल्तनत के ताबूत की वो कील बन गया, जिसने शाहजहां को जेल में सड़ने के लिए विवश कर दिया.
ऐसा ही एक बहुमूल्य हीरा था, अहमदाबाद डायमंड, जो बाबर ने 1526 में पानीपत की लड़ाई के बाद ग्वालियर के राजा विक्रमजीत को हराकर हासिल किया था. जिसके कुछ वक्त के बाद 1530 में ही बाबर की मौत हो गयी. द रिजेंट नाम का 410 कैरेट का हीरा 1702 के आसपास गोलकुंडा की खान से निकला था. जो कालांतर में एक तिहाई यानि 140 कैरेट का होकर 1812 में विश्व विजेता नेपोलियन के पास पहुंचा और दुनिया को जीतने वाला नेपोलियन 1815 में वाटरलू के युद्ध में खाक हो गया.
90 कैरेट से बड़ा हीरा ब्रोलिटी ऑफ इंडिया ने 12वीं शताब्दी में फ्रांस की महारानी का हमसाया हो गया. जिसके कुछ वर्षों बाद ही उनकी मौत हो गयी. ब्रोलिटी आज कहां है, कोई नहीं जानता. ऐसा ही एक काला इतिहास है 200 कैरेट के ओरलोव का, 18वीं शताब्दी में मैसूर के मंदिर की एक मूर्ति की आंख से फ्रांसीसी सैनिक ने चुराया था. यहां वहां होते हुए ओरलोव नादिरशाह के पास पहुंचा और कुछ ही समय के पश्चात नादिरशाह की हत्या हो गयी. नादिरशाह की हत्या के बाद यह हीरा चोरी हो गया और इसे शाफरास नामक आर्मिनियाई अमीर को बेच दिया गया. निजाम हैदराबाद का हीरा प्रेम जगजाहिर था, पर, उनका अंतिम दिन बहुत खूबसूरत नहीं था. कुछ ऐसा ही अजीब इतिहास रहा है द ब्लू होप (45 कैरेट), आगरा डायमंड (32 कैरेट) और द नेपाल (78 कैरेट) का. पश्चिमी देशों में हीरा विवाह में वर-वधू के बाद सबसे महत्वपूर्ण घटक है और वहां रिश्तों की बुनियाद कैसे दरक जाती है, जग जाहिर है.
सिर्फ हीरा ही नहीं, हीरों के व्यापारियों की कथा भी बहुत हसीन नहीं है. एक जमाने में फिल्मों के सबसे बड़े फाइनांनसर माने जाने वाले भरत शाह, जो अपने समय के हीरों के प्रख्यात व्यापारी थे, उन्हें लंबे समय तक जेल में रहना पड़ा. एक और हीरा व्यापारी, दिनेश गांधी (फिल्मों के बड़े फाइनांनसर थे) की जल कर मौत हो गयी थी. कल तक हीरे के 57 पहलुओं की तरह चमचमाने वाले आज के दौर के दो बड़े हीरा व्यापारी नीरव मोदी और मेहुल चोकसी की कोयले जैसी दास्तान तो हर किसी की जुबान पर है ही.
जहां गया कोहिनूर, जमींदोज हुई हुकूमत
कभी विश्व का नूर माना जाने वाला कोहिनूर तो अपनी बेनुरियत और अशुभता के लिए विश्वविख्यात है. कोहिनूर ने पहले दिल लूटा और बाद में दिल वाले को सदा के लिए लूट लिया. वो जहां-जहां गया, हुकूमत को जमींदोज करता गया. सिर्फ कोहिनूर ही नहीं, ऐसे हीरों की लंबी फेहरिस्त है, जिन्हें हासिल करने के लिए न जाने कितना खून बहाया गया और जिसने-जिसने उन्हें हासिल किया, धूल धुसरित होता गया.
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