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पितृपक्ष : इस बार 14 दिन ही होगा तर्पण, पितर देने आयेंगे आशीर्वाद
सनातन धर्म में आश्विन माह का पहला पखवारा पूर्वजों को समर्पित है. इसे पितृ पक्ष कहते हैं , जो आश्विन कृष्ण प्रतिपदा उदया से अमावस्या तक होता है. पितृ पक्ष का आरंभ सात सितंबर से हो रहा है, लेकिन इस दिन मध्याह्न में प्रतिपदा न मिलने से इस तिथि का श्राद्ध छह सितंबर को ही […]
सनातन धर्म में आश्विन माह का पहला पखवारा पूर्वजों को समर्पित है. इसे पितृ पक्ष कहते हैं , जो आश्विन कृष्ण प्रतिपदा उदया से अमावस्या तक होता है. पितृ पक्ष का आरंभ सात सितंबर से हो रहा है, लेकिन इस दिन मध्याह्न में प्रतिपदा न मिलने से इस तिथि का श्राद्ध छह सितंबर को ही किया जायेगा. इस पक्ष में षष्ठी की हानि है, तो त्रयोदशी व चतुर्दशी का श्राद्ध एक ही दिन 18 सितंबर को किया जायेगा.वहीं अमावस्या दो दिन पड़ रही है. इसमें 19 सितंबर को श्राद्ध अमावस्या (सर्वपैत्री अमावस्या) यानी पितृ विसर्जन किया जायेगा तो 20 को स्नान-दान की अमावस्या मनायी जायेगी. अमावस्या तिथि 19 सितंबर को दिन में 11.16 बजे लग रही है, जो 20 को प्रात: 10.22 बजे तक रहेगी.
इस लिहाज से इस बार पितृपक्ष 14 दिनों का होगा. महालया भादो की पूर्णिमा से आरंभ होकर आश्विन कृष्ण अमावस्या तक रहेगी.ज्योतिषाचार्य पं राजेश्वरी मिश्र के अनुसार शास्त्रों में मनुष्यों के लिए तीन ऋण बताये गये हैं.ये हैं-देव ऋण, ऋषि ऋण और पितृ ऋण. पितृ पक्ष में माता-पिता के प्रति श्रद्धा का समावेश किया गया है.उनके ऋण से मुक्त न होने पर जन्म निरर्थक बताया गया है, इसलिए सनातन धर्म में पितरों के प्रति श्रद्धा अर्पित करने को पितृपक्ष महालया की व्यवस्था की गयी.
सुबह 11.15 बजे तक ही रहेगी अमावस्या : पं विजय ओझा की मानें तो 19 को ही सर्व पितृ मोक्ष अमावस्या रहेगी. इस दिन दोपहर में अमावस्या तिथि रहने से सभी पितरों के निमित्त पिंडदान, श्राद्ध व तर्पण किया जा सकेगा.
अगले दिन 20 सितंबर को सुबह 11.15 तक ही अमावस्या तिथि रहेगी ,जो लोग नाना का श्राद्ध करते हैं, वे इस दिन कर सकेंगे. इसके लिये पितृ पक्ष 15 दिन का रहेगा. इस दिन पवित्र नदियों में स्नान व दान किया जायेगा. उन्होंने बताया कि गत दो वर्षों से पितृ पक्ष 15 दिनों के ही हो रहे हैं. इस बार ये 14 दिनों के ही माने जायेंगे.
विशेष तिथियां : प्रतिपदा का श्राद्ध छह सितंबर, मातृ नवमी 14 सितंबर (माता की मृत्यु तिथि ज्ञात न होने पर श्राद्ध का विधान), आश्विन कृष्ण चतुर्दशी (किसी दुर्घटना में मृत व्यक्तियों का श्राद्ध), सर्वपैत्री अमावस्या 19 सितंबर (मृतक की तिथि ज्ञात न हो या अन्यान्य कारणों से नियत तिथि पर श्राद्ध न होने पर इस दिन श्राद्ध का विधान).
तारीख श्राद्ध
छह सितंबर – प्रतिपदा का श्राद्ध
सात सितंबर – द्वितीया का श्राद्ध
आठ सितंबर – तृतीया का श्राद्ध
नौ सितंबर – चतुर्थी का श्राद्ध
10 सितंबर – पंचमी (भरणी) का श्राद्ध
11 सितंबर – अनुदया षष्ठी का श्राद्ध
12 सितंबर – सप्तमी का श्राद्ध
13 सितंबर – अष्टमी का श्राद्ध
14 सितंबर – नवमी (सौभाग्यवती
तारीख श्राद्ध
स्त्रियों) का श्राद्ध
15 सितंबर – दशमी का श्राद्ध
16 सितंबर – एकादशी (इंद्रा एकादशी)
17 सितंबर – द्वादशी (संन्यासी, वैष्णव, यति का श्राद्ध)
18 सितंबर – त्रयोदशी व चतुर्दशी का श्राद्ध (शास्त्रादि से मृत व्यक्तियों का श्राद्ध)
19 सितंबर – अमावस्या श्राद्ध (सर्वपैत्री) व पितृ विसर्जन
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