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रांची के खेलगांव में बन रहा है अंतरराष्ट्रीय स्तर का स्केटिंग स्टेडियम, एक ही छत के नीचे मिलेगी कई सुविधाएं

झारखंड सरकार वेलोड्राम स्टेडियम के पास स्केटिंग स्टेडियम बना रही है. काम भी शुरू हो चुका है. स्टेडियम निर्माण से खिलाड़ियों में खुशी है.

झारखंड के युवाओं के लिए अच्छी खबर है. राजधानी स्थित खेलगांव में स्केटिंग स्टेडियम का निर्माण हाे रहा है. खास बात है कि यह देश का पहला स्केटिंग स्टेडियम होगा, जहां एक ही छत के नीचे स्केटिंग के अलावा स्केट बोर्ड सहित अन्य सुविधाएं भी मिलेंगी. अब खिलाड़ियों को रोड स्केटिंग के लिए भी सड़क के खाली होने का इंतजार नहीं करना पड़ेगा.

झारखंड सरकार वेलोड्राम स्टेडियम के पास स्केटिंग स्टेडियम बना रही है. काम भी शुरू हो चुका है. स्टेडियम निर्माण से खिलाड़ियों में खुशी है. झारखंड में स्केटिंग के 50 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं. इन खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में पदक जीतकर झारखंड का नाम रोशन किया है. लेकिन इनकी सबसे बड़ी समस्या थी कि अभ्यास के लिए कोई स्टेडियम नहीं था.

स्टेडियम में मिलेगी बेहतर सुविधा : स्केटिंग स्टेडियम अंतरराष्ट्रीय स्तर का होगा. इसमें पेवलियन, स्केटिंग ग्राउंड, गैलरी, स्केटिंग बोर्ड, रोलर हॉकी और फ्री स्टाइल ग्राउंड शामिल है. पूरा स्टेडियम 12660.43 स्क्वायर फीट में बनाया जा रहा है. बजट करीब 4.30 करोड़ रुपये का है. एक ही स्टेडियम में तीन तरह के इवेंट हो पायेंगे.

वर्तमान में रांची जिला और आसपास के खिलाड़ी डोरंडा स्थित संत जेवियर स्कूल में स्केटिंग का अभ्यास करते हैं. अंतरराष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी और कोच राजेश राम का कहना है कि इस स्टेडियम के शुरू होने से खिलाड़ियों को किसी भी राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में खेलने में परेशानी नहीं होगी. अभी हमारे खिलाड़ी ओपन ग्राउंड में अभ्यास करते हैं. इस कारण उन्हें बाहर स्टेडियम में खेलने में परेशानी होती है.

अभ्यास के लिए दूसरे

झारखंड में स्केटिंग के 50 से अधिक राष्ट्रीय स्तर के खिलाड़ी हैं. वह राजेश राम अंतरराष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता में अपनी रफ्तार दिखा चुके हैं. वहीं सुमंत, सोमनाथ मिंज, सुषमा टोप्पो, रवि रंजन और अलेक्स लकड़ा ने संत जेवियर स्कूल के ग्राउंड से करियर की शुरुआत की और अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान बना चुके हैं. इन खिलाड़ियों को कभी-कभी बेहतर अभ्यास के लिए दूसरे राज्यों में भी जाना पड़ता है.

स्केटिंग के ये हैं हीरो

मां करती है रेजा का काम और बेटी ने बनायी पहचान

रांची की रहनेवाली सुषमा टोप्पो ने 2015 में स्केटिंग का अभ्यास शुरू किया. इसके बाद राज्य स्तरीय प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता. इस मुकाम तक पहुंचने के लिए सुषमा को काफी संघर्ष करना पड़ा, लेकिन मुश्किलों के बाद भी हौसला नहीं छोड़ा, पिता नहीं है और मां चंदू उराइन रेजा का काम करती हैं. लेकिन खेल के प्रति सुषमा का ऐसा जुनून था कि इनका चयन 2020 में राष्ट्रीय प्रतियोगिता में हुआ. खास बात है कि कोचिंग भी देती हैं. उन्होंने कहा कि स्टेडियम बन जाने से पदक जीतने का रास्ता आसान होगा.

खिलाड़ियों में है उल्लास

झारखंड में अभी तक स्केटिंग का कोई भी स्टेडियम नहीं है. स्टेडियम होने से खिलाड़ियों का लय बना रहता है. पदक जीतने के मौके बढ़ते हैं. साथ ही नये खिलाड़ियों को काफी फायदा होगा.

स्केटिंग सीखने के लिए सोमनाथ घर-घर दूध पहुंचाते थे

गुमला के रहने वाले सोमनाथ मिंज ने इसी वर्ष राष्ट्रीय स्तर की प्रतियोगिता के लिए क्वालिफाइ किया है. इससे पहले राज्य स्तरीय और जिला स्तर पर स्वर्ण पदक जीत चुके हैं. सोमनाथ के पिता पेशे से मिस्त्री हैं. स्केटिंग सीखने और अपना खर्च चलाने के लिए सोमनाथ को दूध भी बेचना पड़ गया. कैब चलाया. सोमनाथ कहते हैं : जब मैं छोटा था तभी स्केटिंग के प्रति गहरा जुड़ाव हो गया था. इसके बाद संत जेवियर स्कूल में एडमिशन हुआ, तो यहां अभ्यास करने का मौका मिला. वहीं अब स्टेडियम बनने के बाद अभ्यास में तेजी आयेगी.

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