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Black Fungus In Jharkhand 2021 : ब्लैक फंगस पर काबू के लिए रिम्स बना नोडल सेंटर, जानें अभी राज्य में हैं कितने मरीज

ब्लैक फंगस मरीजों के बेहतर इलाज और क्लिनिकल मैनेजमेंट और ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के लिए रिम्स सेंटर अॉफ एक्सीलेंस होगा. इससे दवाओं का दुरुपयोग भी नहीं हो सकेगा. अपर मुख्य सचिव ने एक वार्ड चिह्नित कर वहां टेक्निकल एक्सपर्ट ग्रुप बनाने का निर्देश दिया है. जिसमें माइक्रोबायोलोजिस्ट, इंटरनल मेडिसीन स्पेशिलिस्ट, इंटेसिविस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, इएनटी स्पेशलिस्ट, अॉपथालमोलॉजिस्ट, डेंटिस्ट, सर्जन, प्लास्टिक सर्जन, न्यूरो सर्जन, बायोकेमिस्ट आदि को रखना है.

Black Fungus Patient In Jharkhand रांची : ब्लैक फंगस पर काबू पाने के लिए रिम्स रांची को नोडल सेंटर बनाया गया है. स्वास्थ्य विभाग के अपर मुख्य सचिव अरुण कुमार सिंह ने यह आदेश जारी किया है. उन्होंने रिम्स निदेशक को पत्र लिख कर कहा कि पूर्व में कोरोना प्रबंधन के लिए रिम्स सेंटर अॉफ एक्सीलेंस बना हुआ है. इसी तर्ज पर ब्लैक फंगस के लिए भी रिम्स को नोडल सेंटर बनाया गया है.

ब्लैक फंगस मरीजों के बेहतर इलाज और क्लिनिकल मैनेजमेंट और ट्रीटमेंट प्रोटोकॉल के लिए रिम्स सेंटर अॉफ एक्सीलेंस होगा. इससे दवाओं का दुरुपयोग भी नहीं हो सकेगा. अपर मुख्य सचिव ने एक वार्ड चिह्नित कर वहां टेक्निकल एक्सपर्ट ग्रुप बनाने का निर्देश दिया है. जिसमें माइक्रोबायोलोजिस्ट, इंटरनल मेडिसीन स्पेशिलिस्ट, इंटेसिविस्ट, न्यूरोलॉजिस्ट, इएनटी स्पेशलिस्ट, अॉपथालमोलॉजिस्ट, डेंटिस्ट, सर्जन, प्लास्टिक सर्जन, न्यूरो सर्जन, बायोकेमिस्ट आदि को रखना है.

क्या होगा :

बताया गया कि ब्लैक फंगस के इलाज राज्य में कहीं भी किसी भी अस्पताल में होगा तो उसे रिम्स के प्रोटोकॉल का पालन करना होगा. विशेष परिस्थिति में रिम्स में ही मरीज भर्ती किये जायेंगे. रिम्स द्वारा जो गाइडलाइन दिया जायेगा, उसका अनुपालन अन्य मरीजों को करना होगा. कमेटी सरकार को भी सुझाव दे सकेगी.

झारखंड में ब्लैक फंगस के हैं 27 मरीज

राज्य में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या 27 हो गयी है. यह जानकारी स्वास्थ्य विभाग के नोडल पदाधिकारी सिद्धार्थ त्रिपाठी ने सोमवार को ऑनलाइन प्रेस कांफ्रेंस में दी. उन्होंने बताया कि राज्य में कालाजार के मरीजों के लिए स्टॉक में रखी गयी दवा ‘एम्फोरेटेसिन-बी’ का इस्तेमाल ब्लैक फंगस (म्यूकर मायकोसिस) के मरीजों के इलाज में किया जा रहा है.

वर्तमान में ब्लैक फंगस की दवा बाजार में उपलब्ध नहीं होने के कारण राज्य सरकार ने यह निर्णय लिया है. केंद्र ने इसकी मंजूरी दे दी है. मालूम हो कि कालाजार के मरीजों के इलाज में भी एम्फोटेरेसिन-बी इंजेक्शन का इस्तेमाल होता है. कालाजार उन्मूलन कार्यक्रम के तहत यह दवा विश्व स्वास्थ्य संगठन के माध्यम से प्राप्त होती है.

सिद्धार्थ त्रिपाठी ने कहा कि राज्य में ब्लैक फंगस की पर्याप्त दवा उपलब्ध है. बल्कि यह अन्य दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा है. राज्य के चार जिले में ही कालाजार के मरीज मिलते हैं. इनमें दुमका, गोड्डा, पाकुड़ तथा साहिबगंज शामिल हैं. उन्होंने कहा कि कालाजार मरीजों के दवाओं पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. अभी ब्लैक फंगस के केस ज्यादा नहीं हैं.

Posted By : Sameer Oraon

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