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130th Amendment Bill 2025 : केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बुधवार को लोकसभा में संविधान (130वां संशोधन) विधेयक पेश किया. इस विधेयक के पेश होते ही संसद में विपक्ष ने हंगामा शुरू कर दिया. विपक्ष का कहना है कि जिस पार्टी के पास अपने दम पर सरकार में रहने के लिए बहुमत नहीं है, वो संविधान बदलने की साजिश कर रही है. कांग्रेस पार्टी ने इस विधेयक को राहुल गांधी की वोटर अधिकार यात्रा से ध्यान हटाने की कोशिश बताया है. आखिर इस बिल में ऐसा क्या है कि विपक्ष इतना हमलावर है.
विधेयक में क्या है खास?
संविधान (130वां संशोधन) विधेयक प्रधानमंत्री और मुख्यमंत्रियों को अपराध के मामले में लगातार 30 दिनों तक गिरफ्तारी या हिरासत में रखने पर पद से हटाने से संबंधित है. विधेयक में यह व्यवस्था की गई है कि अगर किसी मौजूदा मंत्री, मुख्यमंत्री या यहां तक कि प्रधानमंत्री को ऐसे अपराध में लगातार 30 दिन तक गिरफ्तार या हिरासत में रखा जाता है, जिसमें की 5 साल या उससे ज्यादा की जेल है, तो वे एक महीने के भीतर अपना पद खो सकते हैं. कुल मिलाकर यह कहा जा सकता है कि संविधान (130वां संशोधन) विधेयक, 2025 में प्रधानमंत्री, मंत्रियों और मुख्यमंत्रियों को गंभीर अपराध के आरोपों में पद से हटाने का प्रावधान है.
विधेयक से हो सकता है बड़ा कानूनी बदलाव
सरकार यह दावा कर रही है कि यह विधेयक राजनीति में शुचिता लाने के लिए पेश किया गया है, जिसका उद्देश्य राजनेताओं को ईमानदार और नैतिक रूप से जिम्मेदार बनाना है. इस विधेयक में पद से हटाने के लिए दोषसिद्धि का इंतजार नहीं किया जा रहा है, बल्कि आरोप और गिरफ्तारी की अवधि के आधार पर निर्णय की व्यवस्था की गई है. हां, अपराध में सजा कितनी होगी, इसपर विशेष ध्यान दिया गया है. इस विधेयक के जरिए संविधान के अनुच्छेद 75, अनुच्छेद 164 और अनुच्छेद 239AA में संशोधन किया जाएगा. इस विधेयक के जरिए जो संशोधन किया जा रहा है उसके अनुसार संविधान के अनुच्छेद 75 में, खंड (5) के बाद, यह खंड जोड़ा जाएगा- जिसके अनुसार मंत्रियों को गिरफ्तारी या हिरासत में 30 दिन तक रखे जाने पर राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री की सलाह पर संबंधित व्यक्ति को उसके पद से हटा दिया जाएगा. प्रधानमंत्री अगर 31वें दिन तक राष्ट्रपति को ऐसी सलाह नहीं देते हैं, तो अगले दिन से वह व्यक्ति मंत्री या मुख्यमंत्री नहीं रहेगा. इस विधेयक में प्रधानमंत्री के लिए यह व्यवस्था की गई है कि पद पर रहते हुए अगर लगातार तीस दिनों की गिरफ्तारी या हिरासत का सामना उन्हें करना पड़ता, जिसमें 5 साल की सजा का प्रावधान है, तो 31वें दिन प्रधानमंत्री को अपना इस्तीफा देना होगा अन्यथा अगले दिन से वह प्रधानमंत्री नहीं रहेंगे. चूंकि वर्तमान में संविधान में ऐसे मंत्री को हटाने का कोई प्रावधान नहीं है, जिसे गंभीर आपराधिक आरोपों के कारण गिरफ्तार और हिरासत में रखा गया हो, इसलिए संविधान के अनुच्छेद 75, 164 और 239AA में संशोधन करने की आवश्यकता है.
विधेयक को पेश करने का उद्देश्य
विपक्ष के भारी विरोध के बाद सरकार ने इस विधेयक को संयुक्त संसदीय समिति के पास भेज दिया है, लेकिन सरकार यह दावा कर रही है कि यह बिल राजनीतिक शुचिता के लिए है और इसका लाभ मिलेगा. सरकार का कहना है कि कोई भी निर्वाचित प्रतिनिधि भारत की जनता की आशाओं और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्व करते हैं. नेताओं और मंत्रियों से यह अपेक्षा की जाती है कि वे राजनीतिक हितों से ऊपर उठकर केवल जनहित और जन कल्याण के लिए कार्य करें. अगर उनके आपराधिक मामलों में शामिल होने की वजह से जनता की अपेक्षाओं को चोट पहुंचती है, तो यह गलत है.
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