Voter ID Number: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने दो राज्याें में एक जैसे वोटर आईडी नंबर के मामले को उठाया था. उनका आरोप है कि इसके सहारे बीजेपी पश्चिम बंगाल में चुनाव जीतने की जोड़तोड़ कर रही है. इस मुद्दे को ज्यादा प्रचार मिलने के बाद चुनाव आयोग ने अपनी चुप्पी तोड़ दी है. आयोग ने दो अलग-अलग राज्यों में एक ही जैसे नंबर वाले मतदाता पहचान पत्र मिलने के मामले में अपना पक्ष रखा है. उनका कहना है कि कुछ मतदाताओं के पास एक ही ईपीआईसी (EPIC) नंबर हो सकता है, लेकिन उनके जनसांख्यिकीय विवरण (Demographic Detail), विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र और मतदान केंद्र अलग-अलग होते हैं. एक जैसे ही नंबर होने के बावजूद प्रत्येक मतदाता अपने संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में निर्धारित मतदान केंद्र पर ही वोट डाल सकता है. हालांकि जानकारी में आए एक जैसे नंबरों को ठीक किया जाएगा. साथ ही दोबारा ऐसा न हो इसके लिए ERONET 2.0 प्लेटफॉर्म को अपडेट किया जाएगा. निर्वाचन आयोग का प्रयास होगा कि प्रत्येक पंजीकृत मतदाता को एक अद्वितीय ईपीआईसी (Unique EPIC) नंबर मिले.
ऐसे जारी हो गए एक जैसे दो नंबर
निर्वाचन आयोग (Election Commission of India) का कहना है कि कुछ राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी कार्यालयों ने समान अल्फ़ान्यूमेरिक अनुक्रमों के साथ ईपीआईसी (EPIC) नंबर दिए, जिससे राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न निर्वाचन क्षेत्रों में डुप्लिकेट नंबरों की संभावना बढ़ गई. मतदाता सूची डेटाबेस को ERONET प्रणाली में एकीकृत करने से पहले इस्तेमाल होने वाली विकेंद्रीकृत और मैन्युअल प्रक्रिया के कारण एक जैसे नंबर जारी हो गए.
क्या है EPIC नंबर
EPIC नंबर भारत में पंजीकृत मतदाताओं के मतदाता पहचान पत्र पर प्रिंट किया जाता है. मतदाता की पहचान, मतदान में पारदर्शिता बनाए रखने और धोखाधड़ी को रोकने के लिए इसका इस्तेमाल किया जाता है. मतदाता अपने पंजीकरण, मतदान केंद्र और मतदाता सूची में नाम दर्ज होने की जानकारी EPIC नंबर से ले सकते हैं.
पश्चिम बंगाल की सीएम ने उठाया मुद्दा
पश्चिम बंगाल में अगले साल चुनाव होने हैं. वहां की मुख्यमंत्री लगातार वोटर लिस्ट में गड़बड़ी के मुद्दे को उठा रही हैं. उनके आरोपों के जवाब में ही निर्वाचन आयोग ने दो अलग-अलग राज्यों में एक ही EPIC नंबर वाले वोटर कार्ड को लेकर स्थिति साफ की है. आयोग ने एक नंबर के दो पहचान पत्र होने के मामले में होने वाली गड़बड़ी को सुधारने का कार्य भी शुरू कर दिया है. आयोग ने सोशल मीडिया पर वायरल होने और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आरोप के बाद स्वयं ही मीडिया को इस मामले में जानकारी दी. ममता बनर्जी का आरोप है कि हरियाणा और गुजरात के लोगों के नाम पश्चिम बंगाल के निवासियों के EPIC नंबर पर ही दर्ज हैं. उन्होंने महाराष्ट्र और दिल्ली में बीजेपी की जीत के पीछे इसी गड़बड़ी को बताया है.
मतदाता पहचान पत्र न होने पर भी डाल सकते हैं वोट
मतदाता पहचान पत्र (Voter ID Card) न होने पर कोई भारतीय नागरिक वोट डाल सकता है. लेकिन उसे मतदान का अधिकार तभी मिलेगा जब उसका नाम मतदाता सूची में दर्ज होगा. यहीं नहीं मतदाता को निर्वाचन आयोग से मान्यता प्राप्त 12 वैकल्पिक फोटोयुक्त पहचान पत्रों में से कोई एक दिखाना होता है. इस वैकल्पिक पहचान पत्रों में आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैनकार्ड, पासपोर्ट, पेंशन पेपर, पीएसयू, सार्वजनिक लिमिटेड कंपनियों को जारी किए गए सेवा पहचान पत्र, डाकघर की फोटोयुक्त पासबुक, राष्ट्रीय जनसंख्या रजिस्टर के तहत आरजीआई का स्मार्ट कार्ड, श्रम मंत्रालय की योजना के तहत जारी स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, सांसदों, विधायकों, एमएलसी को जारी किए गए पहचान पत्र के साथ ही भारत सरकार के सामाजिक न्याय मंत्रालय द्वारा दिव्यांगजनों को जारी यूनिक डिसेबिलिटी आईडी को दिखाकर भी वोट डाला जा सकता है. एनआरआई को वोट डालने के लिए ओरिजिनल पासपोर्ट दिखाना होगा.
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