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छत्रपति शिवाजी के साम्राज्य में क्या ‘गोवा’ भी था शामिल! अब क्यों उठा विवाद

Chhatrapati Shivaji: मराठा साम्राज्य 1674 से छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के साथ अस्तित्व में आया था. शिवाजी महाराज का जन्म 1630 में हुआ और मृत्यु 1680 में हुई थी. मराठा साम्राज्य 1674 से 1818 तक रहा. मराठों को मुगल शासन को खत्म करने श्रेय दिया जाता है. 17वीं शताब्दी में मराठों ने आदिल शाही वंश के खिलाफ विद्रोह शुरू किया था. मराठा साम्राज्य अटक से कटक तक, गुजरात, बंगाल, पेशावर, लाहौर तक फैला हुआ था.

Chhatrapati Shivaji: छावा फिल्म के रिलीज होने के बाद से छत्रपति शिवाजी के मराठा साम्राज्य, उनसे जुड़े ऐतिहासिक तथ्यों में छेड़छाड़ की चर्चाएं आम हो रही हैं. नया विवाद मशहूर कोंकणी लेखक उदय भांबरे की एक टिप्पणी के बाद हुआ है, जो उन्होंने गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत के शिवाजी महाराज की जयंती के मौके पर दिए बयान के संदर्भ में की थी. इससे पहले छावा फिल्म के निर्देशक लक्ष्मण उतेकर पर भी ऐतिहासिक तथ्यों से छेड़छाड़ का आरोप लगा था. वह इसके लिए माफी मांग चुके हैं.

Chhatrapati Shivaji: छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती के मौके पर गोवा के मुख्यमंत्री प्रमोद सावंत ने एक समारोह में कहा था कि पुर्तगालियों ने 450 वर्षों तक पूरे गोवा पर शासन किया था, ये एक गलत तथ्य है. पुर्तगाली शासन के अधीन गोवा के केवल तीन तालुके थे, बाकी पर शिवाजी का शासन था. इस पर कोंकणी लेखक उदय भांबरे ने टिप्पणी की है. जिसके बाद उनके खिलाफ प्रदर्शन किया गया. हालांकि उदय भांबरे ने अपनी टिप्पणी को सही बताया और कहा कि उन्होंने इतिहास में दर्ज तथ्यों के आधार पर ऐसा कहा है.

इतिहास में क्या है दर्ज

उदय भांबरे का इस मामले में कहना है कि मैंने मुख्यमंत्री के बयान को सही बताया है. जिसमें उन्होंने कहा है कि पुर्तगालियों ने पूरे गोवा पर 450 साल राज नहीं किया है. मैंने बताया है कि कैसे अलग-अलग ताल्लुके पुर्तगालियों के कब्जे में समय-समय पर आए. तिसवाडी तालुका ही ऐसा था, जिस पर पुर्तगालियों ने 450 साल राज किया. क्योंकि इस तालुका को उन्होंने 1510 में जीता था. बारदेज (Bardez) और सालसेट (Salcete) तालुका आदिल शाह ने उन्हें दिया था, इसे पुर्तगालियों ने जीता नहीं था. ये तालुका उन्हें 1543 में सौंपा गया था. पुर्तगालियों ने 1763 में पोंडा तालुका पर विजय हासिल की थी. शेष छह तालुके केवल 1781 और 1788 के बीच पुर्तगालियों के अधीन आए थे.

छत्रपति शिवाजी महाराज का साम्राज्य

मराठा साम्राज्य 1674 से छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक के साथ अस्तित्व में आया था. छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 1630 में हुआ और मृत्यु 1680 में हुई थी. मराठा साम्राज्य 1674 से 1818 तक रहा. शिवाजी का ठाणे ज़िले को छोड़कर लगभग पूरे महाराष्ट्र पर शासन था. उन्होंने रायगढ़ किले को अपनी राजधानी बनाया था. साथ ही कोंकण तट को सुरक्षित रखने के लिए नौसेना भी बनायी थी. छत्रपति शिवाजी महाराज के उत्तराधिकारी उनके बेटे संभाजी बने. जिस पर छावा फिल्म बनायी गई है. संभाजी की मृत्यु के बाद उनके बेटे राजाराम बने. राजाराम की मृत्यु के बाद मराठा साम्राज्य लगभग खत्म हो गया था.

पुर्तगालियों से थे अच्छे संबंध

उदय भांबरे का कहना है उन्होंने शिवाजी के साम्राज्य के खिलाफ कुछ नहीं कहा है. मैं शिवाजी का सम्मान करता हूं. लेकिन यह भी सही नहीं है कि छत्रपति शिवाजी ने पूरे गोवा पर राज किया. उन्होंने गोवा के किसी भी क्षेत्र पर कभी भी जीत हासिल नहीं की. शिवाजी के पुर्तगालियों से अच्छे संबंध थे, क्योंकि उनके दुश्मन एक ही थे. इसलिए जब शिवाजी ने अपनी नौसेना के गठन की योजना बनाई तो उन्होंने पुर्तगालियों से इसमें मदद ली और उनसे कारीगर मांगे. पुर्तगालियों ने इसके बाद शिवाजी को कारीगर दिए और उन्होंने 20 पानी के जहाज बनाकर दिए. उदय भांबरे का कहना है कि पुर्तगाली मराठा संबंधों पर आधारित डॉ. पांडुरंग पिसुरलेकर की किताब को कोट करते हुए कही है. उदय भांबरे ने एक और बात कही है, जिसमें उन्होंने शिवाजी के धर्म परिवर्तन को रोकने के दावे को गलत बताया है. क्योंकि धर्मांतरण 1540 से शुरू हुए थे. जबकि शिवाजी का जन्म 1630 में हुआ था.

छावा फिल्म में क्या है विवादित

छावा शिवाजी सावंत की नॉवेल पर आधारित है. इस किताब में छत्रपति शिवाजी के पुत्र महाराज शम्भाजी के जीवन-संघर्ष का चित्रण है. इस निर्देशक लक्ष्मण उतेकर हैं. आरोप लगा है कि फिल्म छावा में गणोजी और कान्होजी नाम के दो किरदारों को गलत तरीके से पेश किया गया है. गणोजी और कान्होजी, संभाजी महाराज को धोखा देकर औरंगजेब के साथ मिलते दिखाए गए हैं. जिसको लेकर गणोजी शिर्के और कान्होजी शिर्के के वंशजों ने फिल्म का विरोध किया है. इसके बाद निर्देशक लक्ष्मण उतेकर ने माफी भी मांगी ली है.

मराठा छत्रपति

  • छत्रपति शिवाजी महराज माता-जीजा बाई (1674-1680)
  • छत्रपति सम्भाजी महाराज (1680-1689)
  • छत्रपति राजाराम प्रथम (1689-1700) शिवाजी महाराज के द्वितीय पुत्र
  • महारानी ताराबाई (1700-1707) अपने अल्पवयस्क पुत्र शिवाजी द्वितीय की संरक्षिका बनी)
  • छत्रपति शाहू (1707-1749) छत्रपति संभाजी और महारानी यशूबाई के बेटे
  • छत्रपति रामराज छत्रपति राजाराम और महारानी ताराबाई के पौत्र
  • छत्रपति शाहू जी द्वितीय (1777-1808)
  • छत्रपती प्रताप राव महाराज (1808-1818)

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