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Neeraj Singh Murder Case : धनबाद के पूर्व डिप्टी मेयर नीरज सिंह सहित उनके 4 सहयोगियों हत्या के मामले में कोर्ट ने 8 साल बाद अपना फैसला सुनाया है और साक्ष्य के अभाव में सभी 10 आरोपियों को बरी कर दिया. यह शूटआउट 2017 में धनबाद के सरायढेला में हुआ था और हत्याकांड का आरोप नीरज सिंह के चचेरे भाई और बीजेपी के पूर्व विधायक संजीव सिंह पर लगा था. 2017 से 2025 तक इस केस में 408 तारीखों पर सुनवाई हुई और अंतत: 27 को अगस्त एमपी-एमएलए कोर्ट के विशेष न्यायाधीश दुर्गेशचंद्र अवस्थी ने सभी 10 आरोपियों को बरी कर दिया. कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि किसी भी आरोपी के खिलाफ अभियोजन पक्ष कोई सबूत नहीं दे पाया है.
क्या था नीरज सिंह हत्याकांड

झारखंड के धनबाद में सिंह मेंशन का खास रसूख था. झरिया के चार बार विधायक रहे सूर्यदेव सिंह ने उस दबदबे को हमेशा कायम रखा. नीरज सिंह और संजीव सिंह दोनों ही इसी ‘सिंह मेंशन’ का हिस्सा थे. संजीव सिंह सूर्यदेव सिंह के बेटे हैं, जबकि नीरज सिंह सूर्यदेव सिंह के भाई राजनारायण सिंह के बेटे थे. 21 मार्च 2017 में नीरज सिंह की जब हत्या हुई थी उस वक्त शाम के 7 बज रहे थे और वे अपने कार्यालय से घर की ओर जा रहे थे. पूर्व डिप्टी मेयर और कांग्रेस नेता नीरज सिंह की फॉर्च्यूनर कार सरायढेला थाना क्षेत्र के स्टील गेट के पास एक स्पीड ब्रेकर पर थोड़ी धीमी हुई, उसी वक्त चारों ओर से मोटरसाइकिल पर सवार अज्ञात हमलावरों ने उन पर चारों ओर से गोलियों की बौछार कर दी. हमला इतना भयंकर था कि गाड़ी में नीरज सिंह के साथ मौजूद सभी चार लोग मौके पर ही मारे गए. पोस्टमार्टम में नीरज के शरीर से 17 गोलियां निकलीं. उनके शरीर पर 36 जख्म के निशान मिले. पोस्टमार्टम करने वाले मेडिकल बोर्ड के अनुसार नीरज ससिंह छाती में 16 व चेहरे पर चार गोलियां मारी गई थीं. हालांकि एक इंटरव्यू में उनकी पत्नी पूर्णिमा सिंह ने यह दावा किया था कि उनके पति को 67 गोलियां मारी गईं थीं. हमलावरों ने लगभग ढाई फीट की दूरी से गोली मारी गयी. उन्होंने गोलियां शरीर की ऐसी जगहों पर मारी जहां गोली लगने पर मौत निश्चित है. नीरज सिंह उनके ड्राइवर चंद्रप्रकाश महतो उर्फ घोलटू , अंगरक्षक प्रदीप उर्फ मुन्ना तिवारी और पीए अशोक यादव को गोली मारी गई थी. घटना के वक्त गाड़ी में एक और व्यक्ति था आदित्य राज, उसी ने घटना की जानकारी नीरज सिंह के भाइयों को दी थी. आदित्य राज को भी हाथ में गोली लगी थी.
हत्याकांड के बाद पूरे इलाके में तनाव फैल गया था
नीरज सिंह का पूरा परिवार राजनीतिक पृष्ठभूमि का था, जिसकी वजह से इस हत्याकांड की खबर फैलते ही पूरे इलाके में तनाव का माहौल कायम हो गया. समर्थक सड़क पर उतर आए और कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ गई. सड़क पर प्रदर्शन, पथराव और सड़कजाम किए जा रहे थे. उस वक्त नीरज सिंह के चचेरे भाई संजीव सिंह झरिया के विधायक थे और नीरज सिंह के परिवार ने उनपर ही हत्या का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज कराया था. प्रशासन ने मौके की नजाकत को समझते हुए अविलंब पूरे क्षेत्र में धारा 144 लागू कर दिया और सुरक्षा की चाक चौबंद व्यवस्था कर दी. नीरज सिंह के भाई अभिषेक सिंह ने हत्या की प्राथमिकी दर्ज कराई और उन्होंने प्राथमिकी में यह दावा किया था कि जब उन्हें अपने भाई नीरज सिंह की हत्या की खबर मिली तो वे वहां पहुंचे, तो उन्होंने संजीव सिंह को बाइक पर सवार जाते हुए देखा. उस वक्त संजीव सिंह ने उनसे कहा था कि तुम्हारे भाई को मार दिया है, तुमलोगों का भी यही हश्र होगा.
नीरज सिंह की हत्या की वजह क्या थी?
जैसा कि जगजाहिर है, सूर्यदेव सिंह की मौत के बाद सिंह मेंशन में तनाव बढ़ने लगा था और अंतत: यह तनाव परिवार में विभाजन के रूप में सामने आया. नीरज सिंह का परिवार सिंह मेंशन से बाहर आ गया और वे रघुकुल में रहने लगे.
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नीरज का राजनीतिक कद बढ़ना
नीरज सिंह एक कुशल राजनीतिज्ञ के रूप में उभर रहे थे. मजदूरों खासकर असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के बीच वे काफी लोकप्रिय हो चुके थे. आउटसोर्सिंग के मजदूरों की मजदूरी बढ़वाने में उनकी मुख्य भूमिका थी. इसके चलते झरिया विधायक संजीव सिंह और उनके बीच प्रतिद्वंद्विता बढ़ती जा रही थी. मजदूरों का नीरज सिंह के प्रति झुकाव बढ़ गया था, जबकि संजीव सिंह से वे किनारा करने लगे थे. आम जनता में उनकी लोकप्रियता इतनी बढ़ चुकी थी कि उम्मीद की जा रही थी कि वे अगला चुनाव झरिया से जीत सकते हैं, जिसकी वजह से उनकी हत्या की साजिश रची गई.
संपत्ति को लेकर संजीव सिंह और नीरज सिंह में विवाद
सूर्यदेव सिंह का परिवार
| पूर्वज | संतान | पोते/पोतियाँ |
|---|---|---|
| चंडी प्रसाद सिंह | 1. सूर्यदेव सिंह | – किरण सिंह (पुत्री)- राजीव रंजन सिंह (पुत्र)🔴 संजीव सिंह (पुत्र)– मनीष सिंह (पुत्र)- ज्योति सिंह (पुत्री) |
| 2. विक्रमा प्रसाद सिंह | – मीरा सिंह (पुत्री)- धर्मशीला (पुत्री)- पुष्पा (पुत्री)- विमल (पुत्री)- मंजू (पुत्री)- सत्येंद्र सिंह (पुत्र)- माधुरी (पुत्री)- नूतन (पुत्री)- राकेश सिंह (पुत्र)- बलवंत (पुत्र)- यशवंत (पुत्र)- रवि (पुत्र) | |
| 3. बच्चा सिंह | ❌ संतान नहीं | |
| 4. राजनारायण (राजन) सिंह | 🔵 नीरज सिंह (पुत्र)– अभिषेक सिंह उर्फ गुड्डू (पुत्र)- मुकेश सिंह (पुत्र)- एकलव्य सिंह उर्फ छोटे (पुत्र) | |
| 5. रामधीर सिंह | – शशि सिंह (पुत्र)- संध्या (पुत्री)- छाया (पुत्री)- श्वेत शिखा (पुत्री) |
संपत्ति बंटवारे के लिए नीरज सिंह एवं संजीव सिंह के परिवार में विवाद चल रहा था. मामला कोर्ट में लंबित था. धनबाद में कुंती निवास व सिंह मेंशन में हिस्से को ले कर विवाद गहरा गया था. बलिया (यूपी) में भी संपत्ति बंटवारा का विवाद चल रहा था. बलिया में खेती लायक 25 फीसदी भूमि का ही बंटवारा हो पाया था. इस वजह से दोनों परिवार आमने-सामने था.
बच्चा सिंह के उत्तराधिकार को लेकर भी था विवाद
नीरज सिंह और संजीव सिं के चाचा बच्चा सिंह के उत्तराधिकार को लेकर भी दोनों परिवारों में ठनी हुई थी. बच्चा सिंह पूर्व मंत्री रहे थे और उनका झुकाव नीरज सिंह की ओर दिखता था, चूंकि बच्चा सिंह की कोई संतान नहीं थी इसलिए संजीव या नीरज ही उनके उत्तराधिकारी हो सकते थे.
जमानत पर रिहा हो चुके थे संजीव सिंह
संजीव सिंह ने हत्या के कुछ दिनों बाद सरेंडर कर दिया था, हालांकि पुलिस उसकी तलाश में थी. उसके बाद से संजीव सिंह जेल में बंद थे. इसी वर्ष अगस्त माह में सुप्रीम कोर्ट से संजीव सिंह को जमानत मिली थी. कोर्ट ने उन्हें यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि किसी भी स्वतंत्र गवाह ने यह स्वीकार नहीं किया था कि उसने घटनास्थल पर संजीव सिंह को देखा था. संजीव सिंह का स्वास्थ्य अच्छा नहीं है और वे सुनवाई के दौरान भी स्ट्रेचर पर कोर्ट पहुंचे थे.
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