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बिहार में लापरवाह BEO पर शिक्षा विभाग ने कसा शिकंजा, बच्चों की उपस्थिति हुई 50 फीसदी से कम तो मिलेगी ये सजा

विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों की लापरवाही से आशातित सफलता नहीं मिल रही. बच्चों की उपस्थिति कम होने पर शिक्षा विभाग ने सभी बीईओ पर कार्रवाई करने के आदेश दे दिये हैं. इस संबंध में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र भेजा गया है.

पटना. बिहार के सरकारी स्कूलों में छात्रों की उपस्थिति को सुनिश्चित करने के लिए शिक्षा विभाग ने लापरवाह BEO पर शिकंजा कस दिया है. सरकारी स्कूलों की व्यवस्था ठीक करने के लिए शिक्षा विभाग आज कल नये-नये कदम उठा रहा है. हालांकि शिक्षा विभाग के पदाधिकारियों की लापरवाही से इसमें थोड़ी परेशानी हो रही है. विद्यालयों में बच्चों की उपस्थिति में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों की लापरवाही से आशातित सफलता नहीं मिल रही. बच्चों की उपस्थिति कम होने पर शिक्षा विभाग ने सभी बीईओ पर कार्रवाई करने के आदेश दे दिये हैं. इस संबंध में सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को पत्र भेजा गया है.

15 अगस्त से होगा बीईओ पर होगा एक्शन

15 अगस्त के बाद बिहार के किसी भी प्रखंड के प्राथमिक, मध्य,माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालयों में छात्र-छात्राओं की उपस्थिति 50 फ़ीसदी से कम रही तो इसके लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी दोषी माने जाएंगे. तत्काल उनका वेतन स्थगित किया जाएगा. साथ ही उनके खिलाफ कार्य में घोर लापरवाही, आदेश की अवहेलना करने को लेकर शो-कॉज पूछा जायेगा. इसके बाद आरोप गठित कर विभागीय कार्यवाही संचालित की जाएगी. माध्यमिक शिक्षा के निदेशक कन्हैया प्रसाद श्रीवास्तव ने सभी जिला शिक्षा पदाधिकारियों को इस संबंध में पत्र लिखा है.

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जहां बीईओ बैठते हैं, वहीं के बच्चे स्कूल से बाहर

आदेश में कहा गया है कि बिहार के सभी विद्यालयों में निरीक्षण किया जा रहा है. रिपोर्ट की समीक्षा में यह बात सामने आ रही है कि बच्चों की उपस्थिति में सुधार हो रहा है. फिर भी यह बात सामने आ रही है कि प्रखंड मुख्यालय जहां प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी का कार्यालय है, वहीं के अगल-बगल के स्कूलों में 50 फ़ीसदी उपस्थिति नहीं रह रही. यह विभाग के लिए चिंता का विषय है. समीक्षा में यह स्पष्ट हो रहा है कि प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी अपने कार्यालय के इर्द-गिर्द यानी प्रखंड मुख्यालय में अवस्थित सरकारी विद्यालयों में निरीक्षण नहीं कर रहे. जिससे अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहे हैं.

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निरीक्षण नहीं करना लापरवाही है

आदेश में कहा गया है कि सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को निरीक्षण के लिए पर्याप्त सुविधाएं दी गयी हैं. फिर भी निरीक्षण नहीं करना लापरवाही है. प्रखंड मुख्यालय के विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति में सुधार नहीं होने के लिए प्रखंड शिक्षा पदाधिकारियों को जिम्मेवारी से मुक्त नहीं किया जा सकता. ऐसी स्थिति में प्रखंड मुख्यालय में अवस्थित प्राथमिक, माध्यमिक, उच्च माध्यमिक विद्यालयों में छात्रों की उपस्थिति 50% से कम रहने पर वहां के बीईओ की कार्य के प्रति लापरवाही मानते हुए उनका वेतन तत्काल प्रभाव से स्थगित रखने की कार्यवाही करें.

शिक्षक अब स्कूल टाइम में नहीं कर सकेंगे ट्यूशन-कोचिंग

शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव सचिव केके पाठक शिक्षा व्यवस्था में सुधार लाने की कोशिश में जुटे है. उन्होंने स्कूल टाइम में कोचिंग और ट्यूशन पढ़ानेवाले शिक्षकों की नकेल कस दी है. इससे पहले जींस-टी शर्ट और भड़काऊ ड्रेस में शिक्षकों के स्कूल आने पर पाबंदी लगाने का आदेश जारी किया गया था. जिन सख्ती से शिक्षक कल तक कोसों दूर थे, उससे अब सामना करना उनके काफी कठिन हो गया है. शिक्षा विभाग की सख्ती का असर अब स्कूलों में दिख रहा है. सभी शिक्षक समय पर स्कूल पहुंच रहे हैं और निर्धारित अवधि तक रह भी रहे हैं.

शपथ पत्र पर देना होगी जानकारी

शिक्षा विभाग का स्पष्ट निर्देश है कि स्कूल टाइम में कोई शिक्षक अब कोचिंग का संचालन नहीं करेंगे और न ही ट्यूशन ही पढ़ाएंगे. यानी अब एक समय में दो कमाई नही कर सकेंगे. अपर मुख्य सचिव पाठक ने स्पष्ट आदेश जारी किया है कि कोई भी सरकारी शिक्षक स्कूल टाइम में कोचिंग-ट्यूशन नहीं करेंगे. इसके आलावा किसी शैक्षणिक संस्थानों में काम नहीं करेंगे. पिछले दिन वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से अपर मुख्य सचिव ने यह आदेश दिया था. उनके आदेश के आलोक में डीईओ ने सभी बीईओ को पत्र जारी किया है और कहा है कि सभी प्रधान शिक्षक एवं शिक्षकों से इस आशय का प्रमाण-पत्र प्राप्त करें कि ‘वे विद्यालय में शिक्षण कार्य के अतिरिक्त कोचिंग संस्थान, कॉन्वेंट समेत अन्य शिक्षण संस्थानों में शैक्षणिक कार्य नही करते हैं. इसके लिए बाकायदा प्रमाण-पत्र का फॉर्मेट भी दिया गया है, जिसे भरकर शिक्षक देंगे.

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