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समुद्री व्यापार में बड़ी छलांग

Vizhinjam Port : केरल के मुख्यमंत्री ने इसके आगमन को ऐतिहासिक पल बताते हुए कहा कि यह विजिंझम बंदरगाह की रणनीतिक वैश्विक भूमिका को रेखांकित करता है और विकास के हमारे सामूहिक सपने को गति देता है.

Vizhinjam Port : केरल के विजिंझम बंदरगाह पर दुनिया के सबसे बड़े कंटेनर जहाज एमएससी इरिना के पहुंचने को समुद्री व्यापार के क्षेत्र में भारत की बड़ी छलांग बताया जा रहा है, तो यह उचित ही है. केरल का विजिंझम देश का पहला डीप वाटर ट्रांसशिपमेंट पोर्ट है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विगत दो मई को इसे देश को समर्पित किया था. दक्षिण एशिया के किसी बंदरगाह पर एमएससी इरिना पहली बार आया है. इसके स्वागत में पारंपरिक जल सलामी दी गयी, जो भारत के समुद्री आतिथ्य की संस्कृति का प्रतीक है. इसका आना भारत को वैश्विक ट्रांसशिपमेंट और लॉजिस्टिक्स में नयी ऊंचाई पर पहुंचाने की दिशा में बड़ा कदम है.

केरल के मुख्यमंत्री ने इसके आगमन को ऐतिहासिक पल बताते हुए कहा कि यह विजिंझम बंदरगाह की रणनीतिक वैश्विक भूमिका को रेखांकित करता है और विकास के हमारे सामूहिक सपने को गति देता है. कुल 24,346 टीइयू की क्षमता वाले इस जहाज को एशिया और यूरोप के बीच भारी मात्रा में कंटेनर परिवहन के लिए डिजाइन किया गया है. कुल 399.9 मीटर लंबा और 61.3 मीटर चौड़ा एमएससी इरिना फीफा के एक मानक फुटबॉल मैदान से चार गुना लंबा है और हरित तकनीक से लैस यह जहाज कार्बन उत्सर्जन को चार प्रतिशत तक कम करता है.

इस विशाल जहाज को मार्च, 2023 में लॉन्च किया गया था और उसी साल अप्रैल में इसका पहला सफर शुरू हुआ था. सिर्फ यही नहीं कि विजिंझम बंदरगाह के शुरू होने से विदेशी निर्भरता में कमी आयेगी और खासकर चीन का असर कम होगा, बल्कि यह भारतीय बंदरगाह चीनी क्षेत्रों से आयात और यूरोपीय क्षेत्रों को निर्यात, दोनों की लागत और डिलीवरी टाइम को भी कम कर देगा. जाहिर है, इस विशाल जहाज को हैंडल करना विजिंझम बंदरगाह की उच्च क्षमता और आधुनिक सुविधाओं को ही दर्शाता है.

गौरतलब है कि इस बंदरगाह ने हाल ही में दूसरे बड़े जहाजों का भी स्वागत किया, जिनमें एमएससी तुर्किये और एमएससी मिशेल कैपेलिनी के अलावा कुछ और कंटेनर जहाज थे. इस लिहाज से देखें, तो विजिंझम बंदरगाह दक्षिण एशिया का गेटवे बनने की दिशा में तेजी से अग्रसर है. सबसे बड़े जहाज का स्वागत करने के कारण केरल न केवल वैश्विक समुद्री व्यापार के मानचित्र पर आ गया है, बल्कि इससे दक्षिण भारत में निर्मित और जल्दी खराब होने वाले सामान, रेडीमेड गारमेंट्स तथा औद्योगिक उत्पादों को यूरोपीय बंदरगाहों तक पहले की तुलना में तेजी से पहुंचाये जाने की उम्मीद भी स्वाभाविक ही बढ़ गयी है.

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