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डिजिटल लेन-देन में वृद्धि

यूपीआइ अब सिंगापुर, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, फ्रांस, भूटान और नेपाल जैसे देशों में भी अपनी पहुंच बढ़ा रहा है. इससे भारतीय पर्यटक, छात्र और व्यावसायिक यात्री अपने घरेलू यूपीआइ एप के जरिये भुगतान कर सकते हैं.

रिजर्व बैंक की वार्षिक रिपोर्ट के मुताबिक, विगत मई महीने में यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस यानी यूपीआइ के जरिये लेन-देन में 4.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो डिजिटल लेन-देन में हो रही बढ़ोतरी के बारे में बताती है. आंकड़े के मुताबिक, बीते महीने यूपीआइ से लेन-देन संख्या के हिसाब से 18.68 अरब और मूल्य के हिसाब से 25.14 लाख करोड़ रुपये पर पहुंच गया, जो अप्रैल, 2016 में डिजिटल भुगतान व्यवस्था लागू होने के बाद से अब तक का सर्वाधिक है. जबकि अप्रैल में यह आंकड़ा 23.95 लाख करोड़ रुपये का था. अगर मई, 2024 से तुलना करें, तो मई, 2025 में यूपीआइ से लेन-देन में संख्या के हिसाब से 33 प्रतिशत की, जबकि मूल्य के लिहाज से 23 फीसदी की वृद्धि हुई. सच्चाई यह है कि 2016 में शुरू होने के बाद से ही यूपीआइ के इस्तेमाल में लगातार तेजी आयी है. नोटबंदी के बाद डिजिटल पेमेंट को तो बढ़ावा मिला ही, स्मार्टफोन के इस्तेमाल में वृद्धि तथा गूगल पे, फोन पे, पेटीएम जैसे निजी एप्स की शुरुआत ने यूपीआइ को और लोकप्रिय बनाया. हालांकि अब इसकी रफ्तार थोड़ी धीमी हो रही है. फोन पे और गूगल पे जैसे डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने यूपीआइ की बाजार हिस्सेदारी पर कुछ कब्जा किया है.

यूपीआइ को और बढ़ावा देने के लिए सरकार ने 1,500 करोड़ रुपये की प्रोत्साहन योजना को मंजूरी दी है, ताकि छोटे डिजिटल लेन-देन का खर्च कम हो सके. यूपीआइ अब सिंगापुर, मॉरीशस, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, फ्रांस, भूटान और नेपाल जैसे देशों में भी अपनी पहुंच बढ़ा रहा है. इससे भारतीय पर्यटक, छात्र और व्यावसायिक यात्री अपने घरेलू यूपीआइ एप के जरिये भुगतान कर सकते हैं. केंद्रीय बैंक का कहना है कि वह 2028-29 तक बीस और देशों में यूपीआइ का विस्तार करने के लिए प्रतिबद्ध है. पिछले कुछ महीनों में यूपीआइ में कुछ तकनीकी समस्याएं भी आयीं. जैसे, अप्रैल में सर्वर पर ज्यादा दबाव के कारण एक दिन पेमेंट और फंड ट्रांसफर में परेशानी आयी थी. गौर करने की बात है कि मई में डिजिटल पेमेंट के दूसरे प्लेटफॉर्मों पर भी लेन-देन में वृद्धि हुई. अलबत्ता एक विचित्र विरोधाभास यह है कि डिजिटल लेन-देने में वृद्धि के साथ नकदी में लेन-देन भी बढ़ रहा है. खासकर पांच सौ रुपये का नोट नकदी का प्रमुख रूप बन गया है, जो मात्रा के हिसाब से सभी बैंक नोटों का 41 प्रतिशत और कुल मूल्य का 86 प्रतिशत है, जबकि सरकार कम मूल्य वाले नोटों का प्रचलन बढ़ाने की कोशिश में है.

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