24.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

लेटेस्ट वीडियो

पहलगाम हमले की कीमत चुकानी होगी, पढ़ें अनिल त्रिगुणायत का लेख

Terror Attack In Pahalgam : आखिर इसी समय पहलगाम हमले को अंजाम क्यों दिया गया, जिसे पुलवामा के बाद दूसरा सबसे बड़ा आतंकी हमला बताया जा रहा है? इसके कई कारण हैं. एक तो मुंबई हमले के षड्यंत्रकारी तहव्वुर राणा को भारत लाये जाने के बाद से पाकिस्तान की हवाइयां उड़ी हुई हैं कि पता नहीं, वह इस्लामाबाद के कौन-से रहस्य पर से पर्दा उठा दे.

Audio Book

ऑडियो सुनें

Terror Attack In Pahalgam : जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर किया गया आतंकवादी हमला भीषण तो है ही, साथ ही साथ कायराना भी है. जब कश्मीर घाटी आतंकवाद से त्रस्त थी और आये दिन आतंकी हमले होते थे, तब भी पर्यटकों को निशाना बनाने से यथासंभव बचा जाता था, क्योंकि पर्यटक जम्मू-कश्मीर की जीवनरेखा हैं. पर्यटकों से ही वहां के स्थानीय लोगों का गुजारा चलता है. यह पहले से ही पता है कि आतंकवाद को जिलाये रखने के लिए पाकिस्तान में टीआरएफ जैसे छोटे-छोटे कई आतंकवादी संगठन बने हुए हैं. ये संगठन जम्मू-कश्मीर में लोन वुल्फ अटैक जैसे छोटे हमले भी करते रहे हैं, ताकि आतंकवाद को जीवित रखा जा सके. ऐसे ही एक गुट ने इस हमले को अंजाम दिया.


आखिर इसी समय पहलगाम हमले को अंजाम क्यों दिया गया, जिसे पुलवामा के बाद दूसरा सबसे बड़ा आतंकी हमला बताया जा रहा है? इसके कई कारण हैं. एक तो मुंबई हमले के षड्यंत्रकारी तहव्वुर राणा को भारत लाये जाने के बाद से पाकिस्तान की हवाइयां उड़ी हुई हैं कि पता नहीं, वह इस्लामाबाद के कौन-से रहस्य पर से पर्दा उठा दे. राणा को भारत लाये जाने के बाद इस्लामाबाद ने खुद-ब-खुद यह कहा कि राणा का पाकिस्तान से कोई लेना-देना नहीं है. और राणा ने भी कई दशक से अपने पाकिस्तानी दस्तावेजों का नवीकरण नहीं कराया है, जबकि इस्लामाबाद से किसी ने सफाई नहीं मांगी थी.

जाहिर है, डरा-सहमा पाकिस्तान खुद को पाक-साफ बताने के लिए सफाइयां देता फिर रहा है. आतंकियों ने पर्यटकों को निशाना बनाने का ठीक वह समय चुना, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सऊदी अरब की दो दिवसीय यात्रा पर निकले हुए थे. प्रधानमंत्री का यह दौरा व्यापार, पर्यटन, ऊर्जा और सैन्य संबंधों के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण माना जा रहा था. वास्तविकता यह है कि भारत और सऊदी अरब ने पिछले कुछ वर्षों में आर्थिक सहयोग, रक्षा सहयोग, ऊर्जा साझेदारी और सांस्कृतिक आदान-प्रदान के माध्यम से आपसी संबंधों को मजबूत किया है. और यह भी देखने लायक है कि सऊदी अरब से भारत की यह दोस्ती पाकिस्तान की कीमत पर परवान चढ़ी है.

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 के हटने पर पाकिस्तान ने तब अपने परम मित्र सऊदी अरब को अपने साथ लेना चाहा था. लेकिन सऊदी अरब ने न केवल तटस्थ रास्ता चुना, बल्कि तब से पाकिस्तान के साथ उसके रिश्ते भी पहले वाले नहीं रह गये. इस्लामाबाद को इस बात की नाराजगी है कि उसका दोस्त सऊदी अरब अब भारत के साथ है. इसीलिए प्रधानमंत्री मोदी की सऊदी अरब यात्रा के दौरान पहलगाम में आतंकी हमले को अंजाम दिया गया.


इस हमले का एक और महत्वपूर्ण कारण अमेरिकी उपराष्ट्रपति जेडी वेंस का इस समय भारत में होना है. डोनाल्ड ट्रंप के टैरिफ वार से दुनियाभर में खलबली मची है और ट्रंप के मुख्य निशाने पर पाकिस्तान का दोस्त चीन है. लेकिन पाकिस्तान यह भी देख रहा है कि उसी अमेरिका के उपराष्ट्रपति भारत के चार दिनों के दौरे पर आये हैं, उनकी प्रधानमंत्री मोदी से कई मुद्दों पर सफल बातचीत हुई है, वह भारतीय प्रधानमंत्री की प्रशंसा कर रहे हैं और वेंस की पत्नी के भारत से जुड़ाव पर भी खूब बात हो रही है. इस बीच मोदी सरकार ने जम्मू-कश्मीर में शांति और स्थिरता लाने के लिए लगातार प्रयास किये हैं, पिछले दिनों वहां विधानसभा चुनाव हुए और श्रीनगर में उमर अब्दुल्ला की सरकार है, तथा घाटी में पर्यटकों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है. विभिन्न मोर्चों पर भारत की इतनी सफलता पाकिस्तान को हजम नहीं हो रही. इसलिए पहलगाम में आतंकी हमलों को अंजाम देकर उसने अमेरिकी उपराष्ट्रपति को प्रकारांतर से यह बताने की कोशिश की है कि जम्मू-कश्मीर में स्थिति गंभीर है.

अमेरिकी उपराष्ट्रपति की मौजूदगी में घाटी में किये जाने वाले आतंकी हमले की गंभीरता वैसे ही बढ़ जाती है. इस संदर्भ में यह याद किया जाना चाहिए कि 2000 में भी तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन के भारत दौरे से पहले जम्मू-कश्मीर के छत्तीसिंहपुरा में सुनियोजित ढंग से आतंकी हमला किया गया था. लेकिन पाकिस्तान की मंशा के विपरीत, विश्व समुदाय ने पहलगाम में पर्यटकों को निशाना बनाकर किये गये आतंकवादी हमले की निंदा की है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने प्रधानमंत्री मोदी से बात की है और हमले के दोषियों को न्याय के दायरे में लाने के लिए भारत को पूर्ण समर्थन देने की बात कही है. अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने इस हमले पर एक्स पर अपनी संवेदनाएं व्यक्त की हैं. रूस के राष्ट्रपति पुतिन, इस्राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी आदि ने इस हमले की भारी भर्त्सना की है. संयुक्त राष्ट्र से लेकर यूरोपीय संघ ने पहलगाम हमले की कड़ी निंदा की है.


जाहिर है, पहले की तरह इस बार भी आतंकी हमले के जरिये भारत को विश्व समुदाय के सामने कमतर या खंडित साबित करने की पाकिस्तान की मंशा बेकार साबित हुई. उल्टे पाकिस्तान की तरफ से आये हुए कुछ बयानात उसे ही संदेह के घेरे में डालते हैं. पहलगाम हमले से कुछ ही दिन पहले पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल मुनीर ने इस्लामाबाद में आयोजित प्रवासी पाकिस्तानियों के एक कार्यक्रम के दौरान कश्मीर को पाकिस्तान के गले की नस बताते हुए कहा था कि उनके पूर्वज मानते थे, हिंदू और मुसलमान जीवन के हर पहलू में अलग हैं. जनरल मुनीर का वह बयान बेहद ही घटिया और उकसाने वाला था. भारतीय जांच एजेंसियां हालांकि अभी तक किसी निष्कर्ष पर नहीं पहुंची हैं, लेकिन कुछ खुफिया अधिकारियों का यह मानना है कि जनरल मुनीर के उत्तेजक भाषण ने लश्कर के संगठन द रेजिस्टेंस फ्रंट यानी टीआरएफ को आतंकी हमले के लिए उकसाया.

गौरतलब है कि टीआरएफ ने पहलगाम में किये गये आतंकी हमले की जिम्मेदारी ली है. पहलगाम हमले पर पाक रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का बयान भी उतना ही निंदनीय है. पहले उन्होंने कहा कि पहलगाम हमले से पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं है. फिर उन्होंने भारत के खिलाफ ही जहर उगला. हमारी सरकार ने इस हमले को अत्यंत गंभीरता से लिया है, जो आतंकवाद को बर्दाश्त न करने की हमारी नीति के बारे में ही बताता है. प्रधानमंत्री सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर लौट आये हैं और गृह मंत्री हमले के तुरंत बाद जम्मू-कश्मीर गये. अब आंतरिक सुरक्षा को और मजबूत करते हुए पाकिस्तान को दंडित करने समेत वे तमाम कदम उठाये जाने चाहिए, जो फिलहाल जरूरी हो सकते हैं.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel