Pahalgam Terror Attack : पहलगाम में जो कुछ हुआ, उसका कुछ-कुछ अंदेशा पहले से था. पाकिस्तान की ओर से इसके संदेश आ रहे थे. खासकर वहां की सेना की तरफ से, क्योंकि वहां सरकार के होने का कोई मतलब नहीं होता. सेना ही सब कुछ तय करती है. लिहाजा सीमापार घुसपैठ और संघर्षविराम का उल्लंघन जैसी घटनाएं तो अपनी जगह थीं ही, पाक सेना प्रमुख का कश्मीर के बारे में घटिया बयान बहुत कुछ बताता था. दरअसल पिछले कुछ समय से जम्मू-कश्मीर में बहुत सारी ऐसी चीजें हुई थीं, जो पाकिस्तान को खटक रही थी.
जम्मू-कश्मीर में चुनाव हुए और सरकार बनी. केंद्र शासित प्रदेश में विकास और बेहतरी के काम लगातार जारी हैं, जिससे स्थानीय लोगों का सरकार के प्रति भरोसा बढ़ा है. पिछले कुछ साल से वहां सैलानियों की संख्या में भारी वृद्धि हो रही थी. इन सबको देखकर पाकिस्तान को लग रहा था कि हालात हमारे हाथ से बाहर निकल रहे हैं. इस बीच पाकिस्तान के दो सूबों-खैबर पख्तूनख्वा और बलूचिस्तान में अलगाववादी हिंसा बढ़ने लगी. पाकिस्तान का मानना रहा है कि बलूचिस्तान में हिंसा भड़काने में भारत का हाथ है. चूंकि पिछले दिनों बलोच अलगाववादियों ने पाकिस्तानी फौज के छक्के छुड़ा दिये थे, शायद तभी सेना ने कश्मीर में हमला बोलने की योजना बना ली थी.
यह मानना चाहिए कि पाकिस्तानी साजिश के संकेतों को देखते हुए हमें चौकन्ना रहना चाहिए था. कश्मीर के जिस पर्यटन केंद्र को ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहा जाता है, और जहां पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है, उस पहलगाम में सुरक्षा व्यवस्था चाक-चौबंद होनी ही चाहिए थी. लेकिन हमारी गफलत का मतलब यह थोड़े ही है कि किसी को भी, कुछ भी करने की छूट मिल जाए? यह कुतर्क ही है. पहलगाम में जो हुआ, वह अमानवीय है और उसके लिए जिम्मेदार आतंकियों तथा उनके मददगारों को कठोर सजा मिलनी चाहिए.
हमारी सरकार ने इस आतंकी हमले को बेहद गंभीरता से लिया है. हमले के तुरंत बाद गृह मंत्री श्रीनगर होते हुए पहलगाम पहुंचे. प्रधानमंत्री सऊदी अरब की अपनी यात्रा बीच में ही छोड़कर लौट आये. वित्त मंत्री अमेरिका यात्रा से लौट आयीं. सुरक्षा मामलों पर कैबिनेट कमेटी की बैठक में कुल पांच कदम उठाये जाने का फैसला लिया गया, जिस बारे में हमारे विदेश सचिव ने बताया है. ये कदम हैं- पाकिस्तान के साथ राजनयिक संबंधों में भारी कटौती. इसके तहत पाकिस्तानी और भारतीय उच्चायोगों में तैनात लोगों की कुल संख्या 55 से घटाकर 30 की जानी है. नयी दिल्ली स्थित पाकिस्तानी उच्चायोग में रक्षा/सैन्य, वायु और नौसेना सलाहकारों को अवांछित व्यक्ति घोषित किया गया है और उनके पास भारत छोड़ने के लिए एक सप्ताह का समय है. सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित किया गया है, अटारी चौकी को लोगों की आवाजाही के लिए बंद किये जाने का फैसला लिया गया है, तथा दक्षेस वीजा छूट योजना (एसवीइएएस) के तहत पाक नागरिकों को भारत की यात्रा करने की अनुमति नहीं दी जायेगी, और जो आये हैं, उन्हें एक मई तक भारत छोड़ना होगा.
बेशक कैबिनेट की बैठक में लिये गये इन फैसलों की व्याख्या अलग-अलग तरीके से की जा सकती है. जैसे, कैबिनेट की बैठक में सिर्फ दक्षेस वीजा छूट योजना (एसवीइएएस) के तहत ही पाक नागरिकों का वीजा रद्द करने का फैसला लिया गया. इसके तहत वीजा आम लोगों को नहीं मिलता है, बल्कि व्यापारियों, अधिकारियों आदि को मिलता है. बाद में आम पाकिस्तानियों को जो वीजा दोतरफा रिश्ते के तहत जारी किये जाते हैं, उन पर रोक लगाने का फैसला लिया गया. सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने के सीमित असर ही दिखेंगे. मसलन, पश्चिम की ओर बहने वाली तीन नदियों का पानी पाकिस्तान की ओर जाने से रोकने के लिए हमें बुनियादी ढांचे का निर्माण करना होगा, जिसमें समय लगेगा. पर सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने का फैसला बहुत महत्वपूर्ण है.
हम पाकिस्तान की ओर बहने वाले पानी के बहाव को नियंत्रित तो कर ही सकते हैं. इसके तहत जब पानी की जरूरत न हो, तब पानी छोड़ने का, और जब जरूरत हो, तो पानी की आपूर्ति रोकने का काम कर सकते हैं. इस फैसले से हमारी सरकार ने यह तो जता ही दिया है कि आतंकी हमले के खिलाफ वह कितनी गंभीर है. हालांकि पाकिस्तान के खिलाफ हम और भी कई कठोर कदम उठा सकते हैं, जो फिलहाल हमने नहीं उठाये. जैसे कि हम उस पर आर्थिक प्रतिबंध लगा सकते हैं.
हम पाकिस्तान में व्यापार और निवेश को हतोत्साहित करने के लिए यह फैसला ले सकते हैं कि जो कंपनियां वहां निवेश करेंगी, उन्हें हम अपने बाजारों में प्रतिबंधित करेंगे. हम पाकिस्तान को जीवन रक्षक दवाएं बेचते हैं. जो देश हमारे खिलाफ साजिश रचता है, जो हमारे लोगों को मारता है, उसे जीवन रक्षक दवाएं हम क्यों दे रहे हैं? जाहिर है, पाकिस्तान के खिलाफ और भी कड़े कदम उठाये जा सकते हैं.
सुझाया यह भी जा रहा है कि पाकिस्तान को विश्व बिरादरी में अलग-थलग करने का अभियान भी चलाया जाना चाहिए, क्योंकि पाकिस्तान इस वक्त जितना कमजोर है, उतना पहले कभी नहीं था.लेकिन मुझे इसमें ज्यादा यकीन नहीं है. सच्चाई तो यही है कि विश्व बिरादरी में कोई किसी का सगा नहीं है. इस कारण हमें सिर्फ अपनी ताकत पर भरोसा करना चाहिए. वैश्विक कूटनीति में दूसरों पर निर्भरता ठीक नहीं.
माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में हमारी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई करेगी. जैसा कि उसने उरी और पुलवामा हमलों के बाद किया था. पाकिस्तान को भी इसका अंदेशा है. इसी कारण उसने पाक अधिकृत कश्मीर स्थित आतंकी प्रशिक्षण शिविरों को तत्काल खाली करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा नियंत्रण रेखा के पास हाई अलर्ट घोषित कर दिया गया है. पाकिस्तान सरकार और उसकी सेना ने भी बैठक बुलायी है. यह भी तय है कि हमारी सैन्य कार्रवाई की प्रतिक्रिया में पाकिस्तान जवाबी कार्रवाई करेगा. इसलिए हमें सैन्य कार्रवाई करते हुए पूरी तैयारी रखनी होगी और किसी भी स्थिति के लिए तैयार रहना होगा. ऐसा नहीं होना चाहिए कि सैन्य कार्रवाई के बाद हम शांत हो जायें. इसलिए पाकिस्तान के खिलाफ किसी भी कार्रवाई से पहले हमें युद्ध जैसी स्थिति के लिए तैयार रहना होगा. आतंकवादियों के मददगार और प्रायोजक के खिलाफ सभी मोर्चों पर जंग शुरू करने का यह उचित समय है, ताकि उसे सबक सिखाया जा सके.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)