Pahalgam Attack Reaction : पहलगाम हमले की प्रतिक्रिया में आतंकवादियों और उनके प्रायोजक पाकिस्तान को करारा जवाब देने की तैयारी में सरकार लगी हुई है, जिसके चलते शीर्ष स्तर पर बैठकों का दौर जारी है. विश्व समुदाय ने आतंकी हमले की कड़ी निंदा की है और इस बीच संयुक्त राष्ट्र के महासचिव ने भारतीय विदेश मंत्री जयशंकर तथा पाक प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ से बातचीत कर पहलगाम हमले के लिए न्याय और जवाबदेही सुनिश्चित करने की जरूरत पर बल दिया.
आतंकी हमले की गंभीरता और उसकी तैयारियों के मद्देनजर प्रधानमंत्री मोदी नौ मई को मास्को में होने वाले विजय दिवस समारोह में भी शामिल नहीं होंगे. दरअसल पहलगाम हमले के विरोध में देशभर में गुस्से का माहौल है और सरकार कोई भी कदम उठाने से पहले फूलप्रूफ रणनीति तैयार करना चाहती है, ताकि दोषियों को ऐसी सजा मिले कि कोई दोबारा पहलगाम हमले जैसा दुस्साहस न कर पाये. इसी तैयारी के तहत सुरक्षा मामलों की पहली कैबिनेट बैठक में पाकिस्तान के खिलाफ पांच कदम उठाने की घोषणा की गयी थी, जिनमें सिंधु जल समझौता स्थगित करने का फैसला भी था. उसके बाद प्रधानमंत्री ने रक्षा मंत्री, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार, सीडीएस और सेना प्रमुखों के साथ बैठक की.
सेना की तैयारियों से संतुष्ट प्रधानमंत्री ने उसे जवाबी कार्रवाई के तरीके, लक्ष्य और समय तय करने की पूरी छूट दी है. उस बैठक के ठीक अगले दिन कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (सीसीएस) की हुई बैठक के महत्व को समझा जा सकता है, क्योंकि सुरक्षा मामले में यह सरकार की शीर्ष समिति है. प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई सीसीएस की इस बैठक में गृह मंत्री और रक्षा मंत्री के अलावा सेना के तीनों अंगों के प्रमुख भी शामिल हुए. बैठक में पहलगाम हमला और देश की सुरक्षा पर गहन चर्चा हुई. पाकिस्तान को माकूल जवाब देने की रणनीति पर भी बैठक में गहन विचार-विमर्श किया गया और अपनी तैयारियों की समीक्षा की गयी. इस बीच जमीनी स्तर पर भी कई ठोस कदम उठाये गये हैं.
सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड (एनएसएबी) को पुनर्गठित कर रॉ के पूर्व प्रमुख आलोक जोशी को इसका अध्यक्ष नियुक्त किया है. ऐसे ही, देश की पश्चिमी सीमा यानी जैसलमेर सीमा पर सेना और सीमा सुरक्षा बल ने मजबूत मोर्चाबंदी की है और बंकर तैयार किये जा रहे हैं. जाहिर है, सरकार की तरफ से तमाम पहलुओं पर गहन विचार-विमर्श के बाद ही जवाबी कार्रवाई की जायेगी. आतंकवाद और उसके प्रायोजक को करारा जवाब देना जितना आवश्यक है, उतना ही जरूरी जमीनी स्थितियों का आकलन भी है.