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भारत दूसरी श्वेत क्रांति की ओर

second white revolution : दूध प्रोटीन और कैल्शियम का सहज स्रोत है, इसलिए इसके उत्पादन में अग्रणी बने रहने की उपलब्धि मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के लिए भी उल्लेखनीय है.

Second White Revolution : एक ताजा आंकड़ा बताता है कि दुग्ध उत्पादन में अग्रणी बने रहने का भारत का सिलसिला जारी है. राष्ट्रीय दुग्ध दिवस पर, जो कि देश में श्वेत क्रांति के जनक वर्गीज कुरियन की जयंती पर मनाया जाता है, जारी किये गये आंकड़े के अनुसार, 2023-24 में दूध उत्पादन देश में चार प्रतिशत बढ़कर 23.9 करोड़ टन हो गया, जो 2022-23 में 23 करोड़ टन था. प्रति व्यक्ति दूध की उपलब्धता भी 459 ग्राम दैनिक से बढ़कर 471 ग्राम दैनिक हो गयी है.

चूंकि दूध प्रोटीन और कैल्शियम का सहज स्रोत है, इसलिए इसके उत्पादन में अग्रणी बने रहने की उपलब्धि मानव स्वास्थ्य के साथ-साथ अर्थव्यवस्था के लिए भी उल्लेखनीय है. इस क्षेत्र में हुई प्रगति को इस तरह देखा जा सकता है कि 1991-92 में यहां दूध उत्पादन 5.56 करोड़ टन था, जबकि प्रति व्यक्ति उपलब्धता मात्र 178 ग्राम थी. लेकिन 2014-15 से 2021-22 के बीच देश में दुग्ध उत्पादन में 51 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गयी. पिछले एक दशक में अपने यहां दूध उत्पादन की वृद्धि दर वैश्विक दो फीसदी के मुकाबले छह प्रतिशत रही है.

वैश्विक दुग्ध उत्पादन में भारत की हिस्सेदारी करीब 24 फीसदी है, जो जीडीपी का चार से पांच प्रतिशत है. भारत का लक्ष्य 2030 तक देश में वैश्विक दुग्ध उत्पादन की एक तिहाई हिस्सेदारी तक पहुंचना है और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (एनडीडीबी) इस दिशा में काम कर रहा है. दूध उत्पादन में उत्तर प्रदेश पहले स्थान पर और राजस्थान दूसरे स्थान पर है. इसके बाद राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र का स्थान है. देश के कुल दुग्ध उत्पादन में इन पांच राज्यों की हिस्सेदारी 54 प्रतिशत है. भारत दुनिया का सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक देश है, जबकि दूसरे स्थान पर अमेरिका है. लेकिन प्रति पशु दुग्ध उत्पादकता में भारत विकसित देशों से बहुत पीछे है. इस मामले में डेनमार्क पहले स्थान पर है.

पशुपालन और डेयरी विभाग द्वारा डेयरी क्षेत्र में आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को लाभान्वित करने के लिए विभिन्न योजनायें चलायी जा रही हैं. डेयरी विकास के लिए बने राष्ट्रीय कार्यक्रम का उद्देश्य दूध और दुग्ध उत्पादों की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ संगठित खरीद, प्रसंस्करण, मूल्यवर्धन और विपणन की हिस्सेदारी बढ़ाना है. गौरतलब है कि श्वेत क्रांति के करीब साढ़े पांच दशक बाद देश में दूसरी श्वेत क्रांति की शुरुआत सरकार ने इसी साल की है, जिसका उद्देश्य सहकारी सोसाइटीज को और मजबूत करना, रोजगार बढ़ाना तथा स्त्री सशक्तिकरण है. यानी इस दिशा में आगे बढ़ने का सिलसिला अभी जारी रहने वाला है.

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