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विदेशी निवेश में वृद्धि

रक्षा, बीमा और पेंशन जैसे क्षेत्रों में एफडीआइ सीमा में वृद्धि तथा एकल ब्रांड खुदरा व्यापार के लिए लागू उदार नीतियों से तस्वीर बदली है. यही नहीं, एफडीआइ के लिए स्रोत देशों की संख्या वित्त वर्ष 2013-14 में 89 थी, जो 2023-24 में बढ़कर 112 हो गयी.

पिछले वित्त वर्ष में एफडीआइ (प्रत्यक्ष विदेशी निवेश) में 14 प्रतिशत की बढ़ोतरी से स्पष्ट है कि वैश्विक स्तर पर विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भारत निवेश का आकर्षक गंतव्य बना हुआ है. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में एफडीआइ बढ़कर 81.04 अरब डॉलर हो गया, जो 2023-24 में प्राप्त 71.28 अरब डॉलर की तुलना में 14 प्रतिशत अधिक रहा. यह पिछले तीन साल का सबसे ऊंचा आंकड़ा है. वर्ष 2024-25 में सर्वाधिक एफडीआइ सेवा क्षेत्र में आया, जिसे कुल एफडीआइ का 19 फीसदी मिला और यह 2023-24 के 6.64 अरब डॉलर से 40.77 फीसदी बढ़कर 9.35 अरब डॉलर हो गया. उसके बाद कंप्यूटर सॉफ्टवेयर तथा हार्डवेयर (16 फीसदी) तथा ट्रेडिंग (आठ प्रतिशत) का स्थान रहा. मैन्युफैक्चरिंग, यानी विनिर्माण के क्षेत्र में भी एफडीआइ 2023-24 के 16.12 अरब डॉलर से 18 फीसदी बढ़कर 2024-25 में 19.04 अरब डॉलर तक पहुंच गया.

जहां तक राज्यों की बात है, तो सबसे सबसे ज्यादा एफडीआइ महाराष्ट्र के हिस्से में (39 फीसदी) गया. उसके बाद कर्नाटक (13 फीसदी) और दिल्ली (12 प्रतिशत) का स्थान रहा. जबकि इस अवधि में सबसे ज्यादा एफडीआइ सिंगापुर (19 प्रतिशत) से आया. लगातार सातवें साल सिंगापुर से सर्वाधिक निवेश आया. दरअसल, भारत और सिंगापुर के बीच दोहरा कराधान बचाव संधि के कारण सिंगापुर के संगठनों को भारत में निवेश करने में मदद मिलती है और भारत से कमाई पर उनके कुल कर का बोझ भी कम होता है. वैश्विक वित्तीय केंद्र के रूप में मजबूत स्थिति, बेहतर द्विपक्षीय संबंध और वैश्विक निजी इक्विटी तथा उद्यम पूंजी निवेश का गेटवे होने के कारण सिंगापुर भारत के लिए एफडीआइ का सबसे बड़ा स्रोत बना हुआ है. सिंगापुर के बाद मॉरीशस (17 फीसदी) और अमेरिका (11 फीसदी) का स्थान रहा. वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के अनुसार, निवेशकों के अनुरूप तैयार की गयी नीतियों के कारण पिछले कुछ वर्षों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश काफी बढ़ा है. रक्षा, बीमा और पेंशन जैसे क्षेत्रों में एफडीआइ सीमा में वृद्धि तथा एकल ब्रांड खुदरा व्यापार के लिए लागू उदार नीतियों से तस्वीर बदली है. यही नहीं, एफडीआइ के लिए स्रोत देशों की संख्या वित्त वर्ष 2013-14 में 89 थी, जो 2023-24 में बढ़कर 112 हो गयी. यह निवेश गंतव्य के रूप में भारत के प्रति बढ़ते आकर्षण के बारे में बताता है. जाहिर है कि यह एक बड़ी उपलब्धि है.

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