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सड़क दुर्घटनाओं के डरावने आंकड़े

सड़क हादसा केवल कानून व्यवस्था का मामला नहीं है, बल्कि सामाजिक समस्या भी है. अगर इससे बचना है, तो हमें यातायात नियमों का पालन करना होगा.

आशुतोष चतुर्वेदी

प्रधान संपादक

प्रभात खबर

सड़कों पर आपको एक से एक आधुनिक बाइक और कारें नजर आ जायेंगी. भीड़ भाड़ भरे स्थानों पर भी तेजी से वाहन चलाते लोग भी मिल जायेंगे. ट्रैफिक नियमों की अनदेखी हमारे समाज में रची बसी है. नाबालिगों का वाहन चलाना और उल्टी दिशा में वाहन चलाना आम बात है. रात में तो ट्रैफिक नियमों का कोई अर्थ ही नहीं रह जाता है. लिहाजा हमारे देश में हर साल डेढ़ लाख लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवा देते हैं. दुनियाभर में सबसे अधिक सड़क दुर्घटनाएं भारत में होती हैं.

हमारे देश में वर्ष 2019 में लगभग 4.81 लाख सड़क दुर्घटनाएं हुई थीं, जिनमें 1.51 लाख से अधिक लोगों की मौत हुई और 4.39 लाख लोग घायल हुए. देश में प्रतिदिन औसतन 415 लोग सड़क दुर्घटनाओं में जान गंवा देते हैं. आपको यह जान कर आश्चर्य होगा कि दुनियाभर में सबसे अधिक सड़क हादसे भारत में होते हैं. उसके बाद चीन और अमेरिका का स्थान है. हालांकि इसमें कोई साम्य नहीं है, लेकिन विषय की गंभीरता को बताने के लिए है कि एक साल में कोरोना से अब तक लगभग डेढ़ लाख मौतें हुई हैं और उसकी रोकथाम के लिए हम कितने उपाय कर रहे हैं.

इन सब के बावजूद सड़क दुर्घटनाओं की ओर हमारा ध्यान नहीं है. इनकी रोकथाम के हम समुचित उपाय नहीं कर रहे हैं. सबसे अधिक दोपहिया वाहन दुर्घटनाओं के शिकार होते हैं और जान गंवाने वालों में सबसे अधिक युवा हैं. आप अंदाज लगा सकते हैं कि किसी युवा का हादसे में चला जाना परिवार पर कितना भारी पड़ता होगा.

नये बजट में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने पुराने वाहनों को सड़कों से हटाने के लिए नयी स्क्रैप पॉलिसी की घोषणा की है. इसके बाद यह विषय विमर्श में आया है. नयी नीति के मुताबिक, 20 साल से पुराने लाखों वाहनों को स्क्रैप किया जायेगा. माना जा रहा है कि इससे गाड़ियों की वजह से होने वाले प्रदूषण में 25 से 30 फीसदी की कमी आयेगी. साथ ही पुराने वाहन अनेक बार दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं.

उसमें भी सुधार आयेगा. परिवहन मंत्रालय ने भी कहा है कि नयी स्क्रैप पॉलिसी के आने से ऐसे वाहनों के उपयोग में कमी आयेगी, जो पर्यावरण को अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. मंत्रालय का कहना है कि वाणिज्यिक वाहन वाहनों से होने वाले कुल प्रदूषण में लगभग 65-70 फीसदी योगदान करते हैं. इसमें पुराने वाहनों का भारी योगदान होता है और ये अनेक बार दुर्घटना के कारण भी बनते हैं.

प्रभात खबर के बिहार, झारखंड और पश्चिम बंगाल संस्करणों में ऐसा कोई दिन नहीं जाता, जब हम किसी बड़े सड़क हादसे की खबर न छापते हों. ऐसा नहीं कि केवल आम आदमी ही इन हादसों को शिकार होता हो. कुछ समय पहले केंद्रीय मंत्री श्रीपद नाइक भी सड़क दुर्घटना में घायल हो गये थे. कर्नाटक के अंकोला में उनकी कार दुर्घटना का शिकार हो गयी.

श्रीपद नाइक कर्नाटक में धर्मस्थल से गोवा लौट रहे थे. इस हादसे में मंत्री की पत्नी और निजी सचिव की मौत हो गयी थी. देश में एक बड़ी समस्या घायलों को अस्पताल तक पहुंचाने की है. लोग पुलिस की पूछताछ से बचने के लिए घायलों की अनदेखी कर देते हैं. अक्सर देखने में आता है कि सड़क किनारे कोई दुर्घटना हो जाती है और कोई मदद को आगे नहीं आता है. नतीजतन अनेक घायलों की मौत हो जाती है.

झारखंड सरकार ने घायलों की सहायता के लिए लोगों को प्रोत्साहित का सराहनीय कदम उठाया है. झारखंड कैबिनेट ने सड़क दुर्घटना में घायलों की मदद के लिए आगे आने वाले लोगों को प्रोत्साहित करने के लिए ‘नेक आदमी’ नीति को स्वीकृति दी है. इसके तहत घायलों को दुर्घटना के प्रथम घंटे में अस्पताल पहुंचाने में मदद देने वाले व्यक्ति को ‘नेक आदमी’ का तमगा देते हुए सम्मानित किया जायेगा और इनाम दिया जायेगा.

इस बात का ध्यान रखा जायेगा कि उसे पूछताछ के नाम पर पुलिस तंग न करे. अत्यावश्यक होने पर पूछताछ के लिए ऐसे लोगों को पुलिस अगर बुलायेगी, तो प्रत्येक बार उस व्यक्ति को प्रोत्साहन राशि भी देगी.

हाइवे और अन्य सड़कों पर जहां-तहां सड़क किनारे खड़े वाहनों की वजह से भी अक्सर हादसे होते हैं. दूर से यह पता नहीं चल पाता है कि वाहन चल रहा है कि रुका है? सर्दी के मौसम में जब दिखाई देना कम हो जाता है, तो यह समस्या और गंभीर हो जाती है. जब तक आगे वाले वाहन के करीब पीछे की गाड़ी पहुंचती है, तब तक देर हो जाती है और लोग बेवजह मारे जाते हैं. पूरे देश में ऐसे सड़क हादसे होते हैं और हम अब तक इस समस्या का समाधान नहीं ढूंढ पाये हैं.

इसके अलावा, तेज गति से वाहन चलाना, सीट बेल्ट का इस्तेमाल न करना, वाहन चलाने के दौरान मोबाइल पर बात करना, शराब पीकर वाहन चलाना, मोटर साइकिल चालक और सवारी का हेलमेट नहीं लगाना भी हादसों के कारण बनते हैं. हादसे की एक अन्य वजह है- गलत दिशा में वाहन चलाना. यह समस्या आम है. कई बार सड़क हादसों में वाहन सवार लोगों की दुर्घटना स्थल पर ही मौत हो जाती है.

केंद्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने उम्मीद जतायी है कि उनका मंत्रालय अनेक उपाय अपना रहा है और वर्ष 2025 तक सड़क दुर्घटनाएं और इसके कारण होने वाली मौतों में लगभग 50 प्रतिशत तक कम आ जायेगी. गडकरी ने कहा कि प्रतिदिन सड़क दुर्घटनाओं में 415 लोगों की मौत हो जाती है और सड़कों पर लोगों के जीवन की रक्षा सुनिश्चित करने के काम को तेज करने की जरूरत है.

उन्होंने बताया कि तमिलनाडु ने इस क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य किया है. वहां सड़क हादसों और उसके कारण होने वाली मौतों की संख्या में 53 फीसदी की कमी आयी है. वैसे तो पिछले साल लॉकडाउन और अन्य पाबंदियों की वजह से पूरे देश में सड़क दुर्घटनाओं की संख्या में बड़ी कमी आयी है, लेकिन तमिलनाडु लगातार इस क्षेत्र में बेहतर कार्य कर रहा है. नितिन गडकरी ने कहा कि दुर्घटनाओं के कारणों की पहचान करने, घायलों को अस्पताल ले जाने के लिए 13 मिनट के भीतर घटनास्थल पर एंबुलेंस पहुंचाने, दुर्घटना की जगह की समुचित मरम्मत करने और विभिन्न एजेंसियों के बीच बेहतर समन्वय के मामले में तमिलनाडु मॉडल को देशभर में अपनाने की जरूरत है.

उन्होंने कहा कि सरकार सड़क पर दुर्घटना संभावित क्षेत्र की पहचान करने और उसके समाधान के लिए 14 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी. हम सभी को यह जान लेना जरूरी है कि सड़क दुर्घटनाओं के कारण न केवल जान की क्षति होती है, बल्कि देश की अर्थव्यवस्था पर भी इसका असर पड़ता है. सड़क हादसा केवल कानून व्यवस्था का मामला भर नहीं है, बल्कि एक सामाजिक समस्या भी है. अगर हमें सड़क हादसों से बचना है, तो हम सभी को यातायात नियमों का पालन करना होगा. साथ ही युवाओं को इस बारे में लगातार आगाह करते रहना होगा.

Posted By : Sameer Oraon

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