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क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा के साथ सख्त होते तेवर

बीते दशकों में क्रिकेट का बड़ा विस्तार हुआ है. इस विश्व कप में हम देख रहे हैं कि अफगानिस्तान की टीम ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है. अनेक देश अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आने के लिए दस्तक दे रहे हैं. इस तरह क्रिकेट भी एक ग्लोबल गेम बनने की दिशा में अग्रसर है.

क्रिकेट विश्व कप में बांग्लादेश के साथ मैच में श्रीलंका के एंजेलो मैथ्यूज को दो मिनट के भीतर क्रीज पर नहीं आने के कारण आउट करार देना का जो मामला हुआ है, उसके दो पहलू हैं. पहली बात यह है कि क्रिकेट में बल्लेबाज को आउट देने के दस नियम हैं, जिनमें से एक टाइम आउट का भी है. टाइम आउट को लेकर दो बातें हैं. मेरीलेबोन मेलबॉर्न क्रिकेट क्लब (एमसीसी) की नियमावली के अनुसार, नये बल्लेबाज को पिछले बल्लेबाज के आउट होने के तीन मिनट के भीतर गेंद का सामना करने के लिए तैयार हो जाना चाहिए. आइसीसी हर टूर्नामेंट के लिए नियम और शर्तें बनाती हैं.

इस साल के विश्व कप में टाइम आउट की अवधि दो मिनट रखी गयी है. इस प्रकरण का दूसरा पहलू यह है कि क्रिकेट को जेंटलमेन गेम कहा जाता है. ऐसा इसलिए कहा जाता है कि खेल की भावना और परंपराओं का पालन किया जाता है. इसलिए अचरज की बात नहीं है कि क्रिकेट के 165 साल के इतिहास में किसी बड़े टूर्नामेंट में टाइम आउट नियम के तहत पहली बार किसी खिलाड़ी को आउट किया गया है. इसका मतलब यह है कि कहीं न कहीं इस तरह से आउट करना खेल भावना के विपरीत है, तभी तो पहले इस तरह आउट नहीं दिया गया.

कई लोग, जो पुराने क्रिकेट, जिसे प्यूरिटन क्रिकेट कहा जाता है, के प्रेमी हैं, उनका मानना है कि यह गलत हुआ है. क्रिकेट इंग्लैंड से शुरू होकर ऑस्ट्रेलिया पहुंचा, फिर भारत और वेस्ट इंडीज पहुंचा. बीते दशकों में क्रिकेट का बड़ा विस्तार हुआ है. इस विश्व कप में हम देख रहे हैं कि अफगानिस्तान की टीम ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है. अनेक देश अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आने के लिए दस्तक दे रहे हैं. इस तरह क्रिकेट भी एक ग्लोबल गेम बनने की दिशा में अग्रसर है. जो नयी टीमें आ रही हैं, उनका मानना है कि खेल एक तरह का युद्ध है. जैसा कि बांग्लादेश के कप्तान शकीब अल हसन ने कहा है. उनका यह भी कहना है कि वे सभी नियमों का पालन भी कर रहे हैं. इस टूर्नामेंट में बांग्लादेश का प्रदर्शन निराशाजनक रहा है. वह शायद पहली टीम है, जो सेमीफाइनल की दौड़ से बाहर हुई है. बांग्लादेश के कप्तान के व्यवहार को लेकर दो-तीन साल से सवाल उठाये जा रहे हैं. किसी ने उन्हें बेटिंग को लेकर संपर्क किया था, जिसकी जानकारी उन्होंने आइसीसी को नहीं दी थी. उस पर विवाद हुआ था.

अब सवाल यह है कि क्रिकेट में जो नया व्याकरण गढ़ा जा रहा है, क्या उसका असर दूसरी चीजों पर भी होगा. क्रिकेट में आउट करने का एक नियम मांकडिंग आउट का भी है. इसमें व्यवस्था यह है कि अगर गेंदबाज के गेंद फेंकने से पहले नॉन-स्ट्राइकिंग बल्लेबाज क्रीज से बाहर निकल जाता है, तो गेंदबाज विकेट पर गेंद मारकर उसे आउट कर सकता है. विश्व कप के एक पूर्व आयोजन में एक मैच में वेस्ट इंडीज के गेंदबाज कर्टनी वाल्श को ऐसा अवसर मिला था, पर उन्होंने बल्लेबाज को आउट करने की जगह उसे आगाह किया कि वह क्रीज से बाहर न निकले. उस मैच में वेस्ट इंडीज को हार का सामना करना पड़ा था, लेकिन क्रिकेट की खेल भावना के अनुरूप व्यवहार करने के लिए कर्टनी वाल्श और वेस्ट इंडीज की खूब सराहना हुई थी. लेकिन हमारे देश के गेंदबाज आर अश्विन का मानना है कि यह नियम है, तो उन्हें जब मौका मिलेगा, वे बल्लेबाज को इस तरह से आउट जरूर करेंगे. उनका कहना है कि अगर बल्लेबाज को आउट नहीं किया गया, तो वह रन लेने के लिए हमेशा आगे जाता रहेगा. लेकिन भारतीय टीम के कप्तान रोहित शर्मा की राय इससे बिल्कुल अलग है. उनका कहना है कि ऐसा करना खेल भावना की दृष्टि से ठीक नहीं है. एक ही टीम में दो तरह के नजरिये हैं.

जैसे-जैसे क्रिकेट का विस्तार होगा, टूर्नामेंटों की संख्या बढ़ेगी, प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी, वैसे-वैसे इस तरह के मामले बढ़ेंगे. टाइम आउट का जो मामला 165 साल तक नहीं आया था, अब आ गया. विश्व कप 1975 से हो रहा है, उसमें भी पहले कभी ऐसा नहीं हुआ. जिस तरह नये-नये रिकॉर्ड बन रहे हैं, उसी तरह इस तरह के प्रकरण आयेंगे, जिन्हें हमें स्वीकार करना होगा. जो लोग खेल भावना की बात करते हैं, वे तो अपनी राय पर कायम रहेंगे, पर दूसरी धारा जो आयेगी, वह नियमों का हवाला देगी. उल्लेखनीय है कि पहले क्रिकेट के खेल का संचालन एमसीसी की नियमावली के अनुसार होता था. उसी के मानदंडों के अनुसार बल्ले के आकार-प्रकार से लेकर आउट होने के नियम माने जाते थे.

अब आइसीसी अपने हर टूर्नामेंट के लिए अलग नियमावली तैयार करती है. उसी तरह से आइपीएल जैसे टूर्नामेंट अपना नियम बनाते हैं. टी-ट्वेंटी आने के बाद स्ट्रेटेजिक टाइम आउट लाया गया. इसका पहले मतलब होता था कि कप्तान नये सिरे से अपनी रणनीति पर विचार करे, लेकिन टी-ट्वेंटी में इसका व्यवसायिक पहलू भी शामिल है. यह आइपीएल के नियम में तो है, पर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट के नियमों का हिस्सा नहीं है. सभी आयोजन अपना नियम बनाने के लिए स्वतंत्र हैं, पर अभी भी 90 फीसदी से अधिक नियम एमसीसी नियमावली के ही हैं. बहरहाल, इतना तो तय है कि हम आगे कुछ नये नियम भी देखेंगे और पुराने नियमों को लेकर होने वाली बहस भी. (ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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