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अभिषेक दुबे
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Sports
भारत को खेल की महाशक्ति बनाना मुश्किल तो है, पर नामुमकिन नहीं
Sports News: 26 जनवरी, 1950 में जब भारत ने अपना पहला गणतंत्र दिवस मनाया, खेल के नाम पर लिखने के लिए सिर्फ हॉकी जगत में बादशाहत थी और विश्व क्रिकेट में भारत की बाल आहट थी. तब से अबतक काफी कुछ बदला है, लेकिन संभावना और प्रदर्शन के बीच एक गहरी खाई बरकरार है.
Opinion
बैकफुट पर महानायक रोहित शर्मा, पढ़ें अभिषेक दुबे का लेख
Rohit Sharma : एक स्वर्णिम करियर के यादगार सफर की स्क्रिप्ट के आखिरी कुछ पन्ने लिखे जा रहे थे. अगला निशाना 2025 में चैंपियंस ट्रॉफी और वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप के ताज पर था. ठीक तभी एक मोड़ आया. हेड कोच राहुल द्रविड़ की जगह गौतम गंभीर ने ली.
Opinion
प्रयोग का दूसरा नाम रविचंद्रन अश्विन
Ravichandran Ashwin Retirement : खेल के दीवानों को महेंद्र सिंह धौनी के टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की याद आ जाती है. धौनी ने भी ऑस्ट्रेलिया में सीरीज के बीच में संन्यास का एलान कर दिया था. क्रिकेट के पारंपरिक पंडितों ने तब भी उनकी आलोचना की थी.
Opinion
क्रिकेट में प्रतिस्पर्धा के साथ सख्त होते तेवर
बीते दशकों में क्रिकेट का बड़ा विस्तार हुआ है. इस विश्व कप में हम देख रहे हैं कि अफगानिस्तान की टीम ने बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है. अनेक देश अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में आने के लिए दस्तक दे रहे हैं. इस तरह क्रिकेट भी एक ग्लोबल गेम बनने की दिशा में अग्रसर है.
Opinion
नाओमी ओसाका और युवा पीढ़ी के सच
वैसे मानसिक समस्या से जुड़े सच का सामना उन्हें और दूसरे खेलों को एक दिन करना ही होगा. खेलों से आगे यह आज की युवा पीढ़ी से जुड़ी सबसे बड़ी चुनौती है.
Opinion
भारत में फुटबॉल पर भी हो ध्यान
फुटबॉल में सभी टीमों के बीच मुकाबला कांटे का है. ऐसे भी भारत के लिए टॉप टीमों में जगह बनाना नामुमकिन तो नहीं, लेकिन कठिन जरूर है.
Opinion
तोक्यो ओलिंपिक से हमारी उम्मीदें
तोक्यो ओलिंपिक में भारत को कितने मेडल मिलेंगे? इस पर अधिकतर लोगों का मानना है कि भारत या तो लंदन ओलिंपिक-2012 के बराबर पदक लाने में कामयाब होगा या फिर इससे आगे जायेगा.