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गौतम गंभीर के दिशानिर्देश में भारतीय क्रिकेट का नया दौर

Gautam Gambhir : भारत में इतना टैलेंट है कि अगर मजबूत व्यवस्था बनायी जाये, तो उसे संक्रमणकाल में मुश्किल हालात का अधिक दिन तक सामना नहीं करना होगा. गुरु ग्रेग तो ऐसा नहीं कर सके, पर उनके कोचिंग काल में भारतीय टीम का हिस्सा रहे गौतम गंभीर मजबूत बेंच स्ट्रेंथ का बखूबी लाभ उठा रहे हैं.

Gautam Gambhir : शुभमन गिल की कप्तानी में टीम इंडिया ने वेस्टइंडीज को 2-0 से मात दी है. भारतीय टीम ने टेस्ट क्रिकेट में पिछले 23 साल से वेस्टइंडीज को हराने का सिलसिला जारी रखा है. वेस्टइंडीज ने भारत को आखिरी बार 2002 में हराया था. टीम इंडिया में महानतम क्रिकेट टीम बनने का माद्दा है. बल्कि टीम में इससे एक कदम आगे जाने का माद्दा है. ऑस्ट्रेलिया के महान बल्लेबाज और मशहूर क्रिकेट चिंतक ग्रेग चैपल ने टीम इंडिया का कोच बनने से पहले एक प्रेजेंटेशन दिया था. उन्होंने कहा था कि वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया की टीम महान थी, जब उनके पास जबरदस्त बल्लेबाज और गेंदबाज थे. पर उन महान खिलाडियों की विदाई के बाद वेस्टइंडीज महान टीम नहीं रही और ऑस्ट्रेलिया को भी संक्रमणकाल में संघर्ष का सामना करना पड़ा.


भारत में इतना टैलेंट है कि अगर मजबूत व्यवस्था बनायी जाये, तो उसे संक्रमणकाल में मुश्किल हालात का अधिक दिन तक सामना नहीं करना होगा. गुरु ग्रेग तो ऐसा नहीं कर सके, पर उनके कोचिंग काल में भारतीय टीम का हिस्सा रहे गौतम गंभीर मजबूत बेंच स्ट्रेंथ का बखूबी लाभ उठा रहे हैं. बीते साल और इस साल की शुरुआत में जब भारतीय टीम ऑस्ट्रेलिया का दौरा कर रही थी, तब रोहित शर्मा, विराट कोहली और रविचंद्रन अश्विन टीम का हिस्सा थे. मोहम्मद शमी की गैरमौजूदगी टीम को खलने लगी थी. कई दिग्गज इस बात को लेकर परेशान थे कि इनके जाने के बाद टीम इंडिया का क्या होगा. अश्विन ने ऑस्ट्रेलिया सीरीज के बीच में और विराट कोहली व रोहित शर्मा ने इंग्लैंड के खिलाफ टेस्ट सीरीज से ठीक पहले संन्यास का एलान कर दिया. लेकिन शुभमन गिल की अगुवाई में युवा टीम ने न सिर्फ इंग्लैंड में मुश्किल सीरीज में वापसी करते हुए बराबरी की, बल्कि अब वेस्टइंडीज को घरेलू सीरीज में जबरदस्त तरीके से हरा दिया.


अब तक तीन टेस्ट चैंपियनशिप साइकिल हुए हैं. भारत ने उनमें से दो में फाइनल मैच तक का सफर तय किया है. इसने 2023 वर्ल्ड कप में फाइनल तक का सफर बिना हारे तय किया, 2024 टी-20 वर्ल्ड कप में अपने सभी मैच जीते और 2025 चैंपियंस ट्रॉफी में अपने सभी मैच जीते. ऐसे में तय है कि भारत वेस्टइंडीज और ऑस्ट्रेलिया जैसी चैंपियन टीम बनने के करीब है. पर इससे भी अहम यह है कि टीम इंडिया की बेंच स्ट्रेंथ ऐसी है कि वह लंबे अरसे तक देश को चैंपियन बनाये रख सकती है. भारत टी-20 वर्ल्ड कप में रोहित शर्मा की कप्तानी में वर्ल्ड चैंपियन बना. लेकिन उसके ठीक बाद विराट कोहली, रोहित शर्मा और रविंद्र जडेजा ने टी-20 क्रिकेट को अलविदा कह दिया.

वर्ष 2026 के टी-20 वर्ल्ड कप के लिए सूर्य कुमार यादव की कप्तानी में यंग टीम इंडिया तैयार है. अभिषेक शर्मा, शुभमन गिल, संजू सैमसन जैसे युवा बल्लेबाज और हार्दिक पंड्या, अक्षर पटेल और बुमराह जैसे मंजे हुए दिग्गज खिताब बचाने को तैयार हैं. वर्ष 2025 की चैंपियंस ट्रॉफी का चैंपियन भारत रोहित शर्मा की कप्तानी में बना. लेकिन 2027 में 50 ओवर वर्ल्ड कप के लिए शुभमन गिल को कप्तान बनाकर टीम इंडिया ने प्लान बी को अमली जामा पहना दिया है. यदि 2027 के वर्ल्ड कप में रोहित शर्मा और विराट कोहली नहीं भी खेलते हैं, तो यशस्वी जायसवाल, अभिषेक शर्मा जैसे खिलाड़ी उनकी जगह लेने को तैयार बैठे हैं. इसी तरह शुभमन गिल की कप्तानी में टेस्ट क्रिकेट में नयी टीम इंडिया लगभग तैयार हो चुकी है और वह इस टेस्ट चैंपियनशिप साइकिल को जीतने का माद्दा रखती है.

अहम बात यह है कि वैभव सूर्यवंशी, आयुष महात्रे और हर्ष दुबे जैसे क्रिकेटर अगली पीढ़ी के लिए तैयार हो रहे हैं. भारत के पास जबरदस्त बेंच स्ट्रेंथ तो है ही, गुरु गौतम गंभीर और अजित अगरकर की लीडरशिप में आक्रामक और दीर्घकालीन क्रिकेट को लेकर सोच भी है. इस सोच को लेकर कुछ लोगों में मतभेद हो सकते हैं, पर यह सोच भारत को लंबे समय तक चैंपियन बनाये रखने में कारगर है. कभी बुझते दीये को जलाये रखने की परंपरा थी. कपिल देव से लेकर सचिन तेंदुलकर तक तय समय से अधिक खेले. पर यह नया भारत है और गौतम गंभीर की सोच में टीम पहले और सुपर स्टार बाद में आते हैं. शायद इसलिए विराट कोहली और रोहित शर्मा को वह लंबा वक्त नहीं मिल रहा, जो कपिल देव और सचिन तेंदुलकर को मिला.


कपिल देव के बाद भारत ने हमेशा ऑलराउंडर का रोना रोया, पर किसी भी ऑलराउंडर को तैयार होने का पर्याप्त मौका नहीं दिया. गौतम गंभीर टीम में ऑलराउंडर तैयार होने का पर्याप्त मौका दे रहे हैं. नीतीश रेड्डी, वाशिंगटन सुंदर और शिवम दुबे इसकी मिसाल हैं. नीतीश रेड्डी को वेस्टइंडीज के खिलाफ घरेलू सीरीज में भी मौका दिया गया, ताकि मुश्किल विदेशी टूर में उनके प्रति भरोसा जग सके. वाशिंगटन सुंदर को बॉलिंग और बैटिंग के पर्याप्त मौके दिये जा रहे हैं. शिवम दुबे को हार्दिक पंड्या की तरह सीमित ओवर क्रिकेट के दमदार ऑलराउंडर के तौर पर तैयार किया जा रहा है. युवा क्रिकेटरों को भी खुद को साबित करने के पर्याप्त मौके दिये जा रहे हैं. टेस्ट क्रिकेट में साई सुदर्शन इसके उदाहरण हैं. आने वाला कल भारतीय क्रिकेट का स्वर्णिम काल साबित हो सकता है. शायद गुरु ग्रेग के क्रिकेट दर्शन को अमली जामा पहनाने का काम गुरु गंभीर करें.
(ये लेखक के निजी विचार हैं.)

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