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सरकार आधार-संख्या को बुनियादी मानकर नये भारत के निर्माण का सपना पूरा करना चाहती है. नियोजन की शीर्ष संस्था नीति आयोग की कार्य-योजना के हालिया मसौदे से यह बात पूरी तरह साफ हो चुकी है. इसमें कहा गया है कि लोगों के आधार-पंजीकरण को बुनियाद बना कर निजी क्षेत्र की सहायता से सेवा और सामान […]

सरकार आधार-संख्या को बुनियादी मानकर नये भारत के निर्माण का सपना पूरा करना चाहती है. नियोजन की शीर्ष संस्था नीति आयोग की कार्य-योजना के हालिया मसौदे से यह बात पूरी तरह साफ हो चुकी है.
इसमें कहा गया है कि लोगों के आधार-पंजीकरण को बुनियाद बना कर निजी क्षेत्र की सहायता से सेवा और सामान मुहैया कराये जायें. कार्य-योजना के मसौदे के देखते हुए कहा जा सकता है कि अब जरूरी सेवा और सामान हासिल करने के नागरिक अधिकार को पूरा करने के लिए आधार आवश्यक होगा. पैन की अर्जी और आयकर के लिए आधार-संख्या की अनिवार्यता को चुनौती देनेवाली याचिका की सुनवाई के दौरान सरकार की तरफ से अटॉर्नी जनरल ने कहा है कि कोई नागरिक अपनी देह का परम स्वत्वाधिकारी नहीं होता और इसी कारण वह पंजीकरण के लिए आंख की पुतलियों या अंगुलियों की छाप देने से इनकार नहीं कर सकता है. यह तर्क अदालत को मंजूर है या नहीं, यह तो बाद में पता चलेगा, लेकिन इससे यह तो स्पष्ट है कि सरकार आधार को अनिवार्य बनाने पर आमादा है. अफसोस की बात है कि आधार को अनिवार्य बनाने की गंभीर कवायद तो हो रही है, परंतु इससे जुड़ी व्यक्ति की पहचानपरक जानकारियों की सुरक्षा के इंतजाम बेहद लचर हैं.
आधार कानून में विधान है कि सत्यापन के क्रम में संबंधित जानकारी साझा की जा सकती है. यह प्रावधान चिंताजनक है, क्योंकि ऐसी जानकारियों के सार्वजनिक होने की कई खबरें देश के विभिन्न इलाकों से आयी हैं. शोध संस्था सेंटर फॉर इंटरनेट एंड सोसायटी के मुताबिक, साढ़े तेरह करोड़ लोगों की आधार जानकारियां सार्वजनिक हो चुकी हैं.
ऐसी जानकारियों का दुरुपयोग हो सकता है. एक मुश्किल यह भी है कि ऐसी सूचनाएं अनजाने में जाहिर हो जायें और नुकसान उठाना पड़े, तो भी कहीं शिकायत भी नहीं की जा सकती है, क्योंकि मौजूदा नियम के मुताबिक आधार-संख्या के लीक होने की जिम्मेवारी आधार प्राधिकरण की नहीं, स्वयं आधार-कार्ड धारक की है.
हालांकि, प्राधिकरण और सरकार ने बार-बार सूचनाओं के सुरक्षित होने का दावा किया है, पर इस वादे पर भरोसा कर पाना आसान नहीं है. आये दिन डिजिटल तंत्र में हो रही सेंधमारी को देखते हुए सरकार को आधार-संख्या की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करने की दिशा में ठोस कदम उठाना चाहिए, अन्यथा डिजिटल तकनीक माध्यमों से विकास की राह पर आगे बढ़ पाना कठिन हो जायेगा.

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