घाटी में अलगाववादियों के बंद से पिछले चार महीनों से स्कूल नहीं खुल पाये हैं. बच्चों को स्कूल से दूर रखने के लिए स्कूलों को जलाये जाने के कारण उनका शिक्षण खतरे में आ चुका है. अलगाववादियों के बच्चे देश के बड़े शहरों में और विदेशों में शिक्षण ले रहे हैं.
खुद के बच्चों को शिक्षण मिलना चाहिए, उसमें रुकावट न आये, इन बातों पर ध्यान दिया जाता है, पर जब दूसरों की बात आती है तब उन्हें पास के स्कूल में कदम भी न रखने के लिए सामाजिक स्थिति को ही बिगाड़ दिया जाता है. सिर्फ इससे समाधान न होने से उनके स्कूलों को फूंका जा रहा है. शिक्षण के दुश्मनों को सफलता मिल रही है लेकिन स्कूलों के खुलने का बेसब्री से इंतजार करनेवाले उन तमाम बच्चों को कुछ लोगों की बेवकूफी की कीमत चुकानी पड़ रही है.
अमित पडियार, ई-मेल से